उप कृषि निदेशक ने गेंहूँ में करनाल बंट और पीली गेरुई रोगो के निदान की दी जानकारी

उप कृषि निदेशक ने गेंहूँ में करनाल बंट और पीली गेरुई रोगो के निदान की दी जानकारी

सहारनपुर [24CityNews]: उप कृषि निदेशक राकेश बाबू ने बताया कि गेंहूँ की फसल में मौसम के उतार-चढाव से करनाल बंट और पीली गेरुई कीट/रोगो के प्रकोप होने के फलस्वरूप उत्पादन प्रभावित होगा, लेकिन इन रोगो का नियंत्रण कर किसान भरपूर फसल ले सकते है।

उन्होंने गेंहूँ का करनाल बन्ट रोग जानकारी देते हुए बताया कि इसके आक्रमण के फलस्वरूप फसल के दाने आंशिक रूप से काले चूर्ण में बदल जाते हैं तथा ज्यादा प्रकोप होने पर काली बाली बनती है, गेंहूँ की फसल में करनाल बन्ट रोग की पहचान फसल में दानो में काला चूर्ण भर जाता है तथा दाने काले पड़ जाते है। जिसकी पहचान बाद में ही होती है। लेकिन इसकी रोकथाम निम्न प्रकार से की जा सकती हैः-

रोग की पहचानः इस रोग में दाने आंशिक रूप से काले चूर्ण में बदल जाते हैं यह रोग संक्रमित बीज तथा भूमि द्वारा फैलता है, इसके नियंत्रण हेतु निम्न रसायनों का प्रयोग करें

1-टेबुकोनाजोल 25 प्रतिषत ई0सी0 या प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत ई0सी0 प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 700 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

गेंहूँ का माहु कीट: माहु कीट के नियन्त्रण हेतु नीम आयल का 0.01 प्रति0 का 500 मिली0 प्रति0 एकड 300 से 350 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई2-क्यूनालफास 25 ई0सी0 1.25 लीटर प्रति हे0 की दर से 600 से 700 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें या कारटापहाइड््रोक्लोराइड 4 जी दानेदार रसायन 17 से 18 किग्रा0 प्रति0 हे0 की दर से प्रयोग करें अथवा
नीम आयल 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 700 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

गेंहूँ का पीला रतुआ रोगः इस रोग का प्रकोप पोधो की पत्तियों पर होता है। पत्तियों पर पीले रंग की धारिया बन जाती है तापमान बढ़नें पर पीली धारियाॅ निचली सतह पर काले रंग में बदल जाती है। उपचार हेतु प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिषत ई॰सी॰ या जिनेब 75 प्रतिषत डब्ल्यू॰पी॰ 2.5 किग्रा॰ प्रति हे॰ से 600 से 700 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

1-भूमि शोधन:- इस रोग की रोकथाम हेतु ट््राइकोडर्मा बायो पैस्टीसाइड 2.5 किग्रा0 मात्रा को 75- 100 किग्रा0 सडी हुई गोबर की खाद में मिलाकर हल्का पानी का छिटा देकर 8 से 10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुवाई से पूर्व आखिरी जुताई के समय मिलाकर भूमि शोधन करना चाहिए ।
2-बीज शोधन:- थीरम 75 प्रतिशत डी0एस0/डब्लू0 एस0 2.5 ग्राम अथवा कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू0पी0 2.5 ग्राम अथवा कार्बाक्सिन 75 प्रतिशत डब्लू0पी0 की 2 ग्र्राम मात्रा से प्रति किग्रा0 बीज को शोधित करके बुवाई करनी चाहिए ।
3-पर्णीय उपचार:- जनवरी माह में वर्षा होने के कारण पीली गेरुई रोग के आने की प्रबल सम्भावना हो जाती है । गेंहूँ की खडी फसल में सुरक्षात्मक रूप से प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ई0सी0 की 500 मिली0 मात्रा 750 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करना चाहिए।
4-फसल की नियमित निगरानी करते रहना चाहिए अधिक जानकारी हेतु विकासखण्ड स्तर पर स्थित कृशि रक्षा इकाई,जिला स्तर पर जिला कृशि रक्षा अधिकारी एवं मण्डल स्तर पर उप कृशि निदेशक (कृशि रक्षा),बेरीबाग सहारनपुर मण्डल सहारनपुर से सम्पर्क करे।

उक्त के सम्बन्ध में अधिक जानकारी हेतु विकास खण्ड स्तर पर प्रभारी क्रषि रक्षा इकाई , जनपद स्तर पर जिला कृषि रक्षा अधिकारी, एवं मंडल स्तर पर उप कृशि निदेषक(कृषि रक्षा) सहारनपुर मंडल सहारनपुर से सम्पर्क करें। मोबाईल नं0 9452247111 एवं 9452257111 पर एस0एम0एस0/व्हाटसअप के माध्यम से प्रेषित कीट/रोग से सम्बन्धित समस्याओं को डाउनलोड करने के उपरान्त सम्बन्धित जिला कृषि रक्षा अधिकारी द्वारा समस्या का निदान 48 घंटे में किसानो को एस0एम0एस0/व्हाटसअप के माध्यम से करा दिया जाता है।

उप कृषि निदेशक ने बताया है कि 22 फरवरी 2020 एवं 22 अगस्त 2020 को जनपद/मण्डल स्तर पर पेंशन समााधान दिवस आयोजित कराये जायेंगे।

उन्होने बताया कि मण्डल स्तर पर संयुक्त कृषि निदेशक, सहारनपुर मण्डल सहारनपुर एवं जनपद स्तर पर उप कृषि निदेशक सहारनपुर के कार्यालय में उपरोक्त तिथियों में पेंशन समाधान दिवस का आयोजन किया जायेगा।

 


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