Delhi Metro का घाटा 2000 करोड़ रुपये तक पहुंचा, जानें- कैसे होगी आसान होगी DMRC की राह

Delhi Metro का घाटा 2000 करोड़ रुपये तक पहुंचा, जानें- कैसे होगी आसान होगी DMRC की राह

नई दिल्ली । कोरोना वायरस संक्रमण ने कई संस्थानों को जबरदस्त आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। सरकारी के साथ प्राइवेट संस्थानों को भी करोड़ों को नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई में सालों का वक्त लग सकता है। इसी कड़ी में तकरीबन 6 महीने तक बंद रही दिल्ली मेट्रो को भी लॉकडाउन के दौरान भारी नुकसान हुआ है और घाटे का यह सिलसिला अब भी जारी है। बताया जा रहा है कि 22 मार्च से लेकर अब तक यानी 9 महीने के लंबे अंतराल के दौरान दिल्ली मेट्रो रेल निगम को  1900 करोड़ रुपये से अधिक का भारी घाटा हो चुका है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि घाटे में चल रही दिल्ली मेट्रो के समक्ष आने वाले समय में संचालन को लेकर आर्थिक संकट खड़ा हो सकता है। 9 महीने बंद रहने के दौरान हुए तकरीबन 2000 करोड़ रुपये की घाटे के लिए DMRC ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार दोनों  से फिर आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। यहां पर याद दिला दें कि इससे पहले केंद्र सरकार घाटे के सिलसिले में डीएमआरसी को दिल्ली सरकार के समक्ष गुहार लगाने की सलाह दे चुका है।

लगातार बढ़ता जा रहा DMRC का घाटा

दिल्ली मेट्रो से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, सितंबर तक दिल्ली मेट्रो रेल निगम को 1500 करोड़ रुपये के आसपास का घाटा हो चुका था। इसके बाद 7 सितंबर से दिल्ली मेट्रो का संचालन शुरू हुआ तो बेहद कम यात्रियों के साथ ट्रेनें चल रही हैं। इस दौरान सैनेटाइजर, साफ-सफाई के साथ कोरोना की रोकथाम के लिए अन्य मद में खर्च बढ़ा है। फिलहाल तो स्थिति यह है कि आमदमी अठन्नी खर्चा रुपैया की स्थिति बनी हुई है। इससे दिल्ली मेट्रो के संचालन की लागत भी बढ़ गई है, लेकिन कमाई में इजाफा नहीं हुआ है।

जापानी कंपनी को देना है 2200 करोड़ रुपये

22 मार्च से बंद दिल्ली मेट्रो जहां खुद घाटे में हैं वहीं, उसे 9 महीन के दौरान 2200 करोड़ रुपये जापनी कंपनी जीका को देना है, जो लोन की किश्त है। घाटा 1900 करोड़ हुआ, जबकि दिल्ली मेट्रो को परिचालन से कमाई की मात्र 247 करोड़ रुपये ही हुई है।

संपत्ति का किराया भी घटा

दिल्ली मेट्रो रेल निगम की कमाई में संपत्ति से आने वाला किराया भी शामिल हैं। 22 मार्च 2020 से लॉकडाउन के चलते मेट्रो का संचालन बंद है और स्टेशनों पर खुली दुकानों का किराया भी नहीं आया। इससे दिल्ली मेट्रो को दोहरा घाटा हुआ।

यह भी जानें

पिछले 9 महीने के दौरन परिचालन लागत व कमाई के बीच के अंतर पाटने के लिए DMRC ने 1910 करोड़ रुपये कंसलटेंसी शुल्क का इस्तेमाल किया है। फिलहाल दिल्ली मेट्रो के पास कंसलटेंसी शुल्क का सिर्फ 260 करोड़ रुपये ही शेष है।

ऐसे हो सकता है घाटा कम

  • दिल्ली सरकार अनुदान के दौरान कुछ पैसा डीएमआरसी को मुहैया कराए।
  • दिल्ली मेट्रो आने वाले दिनों में किराये में भी बढ़ोतरी कर सकता है।
  • मेट्रो लोन लेकर भी कुछ अदायगी कम कर सकती है। 

     

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