Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर के लोग हो जाएं सावधान, जरूरी काम होने पर ही घर से निकलें

Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर के लोग हो जाएं सावधान, जरूरी काम होने पर ही घर से निकलें

नई दिल्ली । दिल्ली-एनसीआर की मौजूदा दमघोंटू हवा में व्यायाम शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। इस हवा में हृदय और फेफड़ों को आराम देने की सलाह दी गई है। अगर पार्क वगैरह में वर्जिश अथवा सैर की जाती है तो उससे सांस लेने या हृदय गति बढ़ने की आशंका है। देश- विदेश के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण विशेषज्ञों तथा कुछ जागरूक नागरिकों के समूह ‘माइ राइट टू ब्रीद'(एमआरटीबी) ने एक स्वास्थ्य प्रोटोकॉल तैयार किया है। इस प्रोटोकॉल को 10 वर्ष से ऊपर की आयु वाले स्वस्थ बच्चों, 10 वर्ष से कम आयु वाले स्वस्थ बच्चों, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं वाले पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 60 वर्ष से ऊपर की आयु वाले बुजुर्गों के लिए तैयार किया गया है।

प्रोटोकॉल के मुताबिक तीसरी श्रेणी में आने वाले बच्चों और बुजुर्गों को सलाह दी गई है कि हवा की अच्छी और संतोषजनक श्रेणी को छोड़कर शेष श्रेणियों में वह आराम करें। घर से बाहर की गतिविधियां न करें। दूसरी श्रेणी के बच्चों के लिए हवा के खराब होते ही शारीरिक गतिविधियां बंद कर देने की सलाह दी गई है, जबकि पहली श्रेणी के बच्चों के लिए सलाह है कि वे हवा के बहुत खराब होते ही घर या स्कूल से बाहर की गतिविधियां रोक दें।

प्रोटोकॉल के मुताबिक जब हवा की गुणवत्ता मध्यम श्रेणी की हो जाती है तो अधिक मेहनत वाली कोई शारीरिक गतिविधि नहीं करनी चाहिए। लंबी दूरी की दौड़, साइकिलिंग और मैराथन से भी बचना चाहिए। इसी तरह जब हवा खराब या बहुत खराब हो जाए तो श्वास दर और हृदय दर को बिल्कुल नहीं बढ़ने देना चाहिए। गंभीर श्रेणी की हवा में हर वर्ग के लोगों को केवल घर के भीतर आराम ही करने की हिदायत दी गई है। असहजता महसूस होते ही डॉक्टर के पास जाने से परहेज नहीं करना चाहिए।

डॉ. आजाद कुमार (सदस्य, ऑल इंडिया इंडियन मेडिसिन ग्रेजुएट एसोसिएशन) का कहना है कि प्रदूषण एक जटिल समस्या है और इससे फेफड़े ही नहीं बल्कि तंत्रिका तंत्र और मानसिक संकाय भी प्रभावित होते हैं। मास्क पहनने से केवल पीएम 2.5 और पीएम 10 के कणों को ही शरीर के भीतर जाने से रोका जा सकता है, वह भी एक सीमा तक ही। जहरीली गैसों के प्रभाव को रोकने में मास्क सक्षम नहीं हैं। इसलिए अधिक प्रदूषण हो जाने पर घर में कैद हो जाना ही समाधान है।

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