कोरोना वायरस से संक्रमित डॉक्टर ने किया मरीजों का इलाज, पूरा हॉस्पिटल क्वारंटाइन

नई दिल्ली
जब एक डॉक्टर इतनी लापरवाही बरत सकता है तो आम इंसान का क्या? स्पेन से हल्के बुखार के लक्षण के साथ डॉक्टर आया तो न तो डॉक्टर ने खुद जांच कराना जरूरी समझा और न ही अस्पताल ने। इस बीच डॉक्टर अपने ओपीडी में मरीजों को भी देखा, अपने दोस्त डॉक्टर और स्टाफ से भी मिला, वह काम करता रहा। चूंकि उसके अंदर कोरोना वायरस था, उसने समय के साथ असर दिखाया, उसमें लक्षण आए, जब जांच की गई तो वह पॉजिटिव पाया गया। आज लगभग पूरा अस्पताल सिर्फ एक आदमी और उसकी एक गलती की वजह से कोरोना के संदिग्ध में आ गया है।
अस्पताल की भी भारी लापरवाही
कोच्ची में काम करने वाले डॉक्टर दीपक दामोदरन ने कहा कि हमारे यहां जांच की जो गाइडलाइंस तय की गई हैं, वो सही नहीं हैं। अगर शुरुआती बुखार, सर्दी, जुकाम वाले की जांच नहीं करेंगे तो कैसे पता चलेगा कि मरीज में वायरस है या नहीं? अगर इस मरीज की जांच हल्के सिस्टम में ही हो जाती तो आज स्थिति अलग होती। चूंकि वह पॉजिटिव निकला है, उसकी वजह से उसके दोस्त और बाकी स्टाफ तक में वायरस फैलने का डर है। यहां तक कि उसने अपने ओपीडी में जिन मरीजों को देखा है उसे कब कैसे ट्रेस किया जाएगा, उसे खोजना और क्वारंटाइन करना कितना मुश्किल हो गया है।
डॉक्टर दीपक ने कहा कि इस समस्या की एक बड़ी वजह जानकारी की कमी है। अगर डॉक्टर और आम इंसान अपने शुरुआती लक्षणों को समझें, खुद को क्वारंटाइन करें तो यह स्थिति नहीं बने लेकिन अपने देश में लोग अपनी बीमारी छिपाना बेहतर समझते हैं। जानकारी के अनुसार, स्पेन से लौटने के बाद डॉक्टर में 2 से 5 मार्च के बीच हल्के लक्षण थे लेकिन 8 मार्च को उसे गले में दिक्कत होने लगी। डॉक्टर ने 9 मार्च को उसने अपने विदेश दौरे के बारे में जानकारी राज्य सरकार को दी। उन्हें तुरंत होम क्वारंटाइन रहने को कहा गया, उसके बाद जांच की गई तो वह पॉजिटिव पाया गया है।
कोरोना पर लगाम के लिए सोशल डिस्टेंस है जरूरी
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सोशल डिस्टेंस का सामान्य अर्थ लोगों से दूरी बनाए रखना है। अगर बाहर जाते हैं तो लोगों से कम से कम 6 फीट की दूरी बेहद जरूरी है। कोरोना से बचने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय शुरू से ही लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की अपील करता रहा है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि भीड़ में यह पता नहीं होता कि कौन इस खतरनाक वायरस से संक्रमित है? अगर किसी को इसका संक्रमण होगा तो दूसरे भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। इस स्थिति में संक्रमण बढ़ने का खतरा ज्यादा होता है।
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सोशल डिस्टेंस का सीधा मकसद यही है कि इस महामारी को बढ़ने से रोकना। अगर ऐसा करने में सफल होते हैं तो इससे स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ कम पड़ेगा। सोशल डिस्टेंस इस बीमारी को रोकने से ज्यादा इसके बढ़ने की दर को कम करने का साधन है, जिससे लोग ज्यादा बीमार नहीं पड़ें। इंफेक्शन कम फैले और बीमारी थम जाए, इसलिए एक-दूसरे से कम संपर्क रखने को ही सोशल दूरी कहा जाता है।
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सोशल डिस्टेंस का सीधा मकसद यही है कि इस महामारी को बढ़ने से रोकना। अगर ऐसा करने में सफल होते हैं तो इससे स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ कम पड़ेगा। सोशल डिस्टेंस इस बीमारी को रोकने से ज्यादा इसके बढ़ने की दर को कम करने का साधन है, जिससे लोग ज्यादा बीमार नहीं पड़ें। यूनाइटेड किंगडम (यूके) में कोरोनवायरस के खिलाफ जंग में रणनीति का अभाव देखने को मिला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के बावजूद यूके में सोशल डिस्टेंस को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई। यहां 70 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और आत्म अलगाव के लिए कहा गया। जिससे वहां कोरोना वायरस का संक्रमण ज्यादा देखने को मिल रहा है।
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संक्रामक रोग विशेषज्ञ एमिली लैंडन ने वोक्स को बताया, ‘जितने अधिक युवा और स्वस्थ लोग एक ही समय में बीमार होंगे, उतने ही बुजुर्ग लोग भी इससे बीमार होंगे, और ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य सेवा पर गहरा दबाव होगा।’ विचार यह है कि कोविड-19 के रोगियों से भरे अस्पतालों की स्थिति से बचा जाए क्योंकि अगर मरीज बढ़ेंगे तो स्वास्थ्यकर्मियों की मुश्किलें बढ़ेंगी साथ ही मरीज भी ज्यादा प्रभावित होंगे।
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सोशल डिस्टेंस यानी सामाजिक दूरी के जरिए इस गंभीर वायरस के संक्रमण को रोका जा सकता है। अगर किसी को सर्दी-जुकाम या फिर खांसी की समस्या है तो ऐसे लोगों करीब जाने से परहेज करना चाहिए। इसके साथ ही किसी भीड़ वाली जगह पर कम से कम लोगों से 6 फीट की दूरी जरूरी है।
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इसके साथ ही अगर किसी को भी लगता है कि उन्हें कोरोना वायरस के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो जरूरी है कि वो एक बार अपनी जांच जरूरी कराएं। कोरोना वायरस का संक्रमण तभी कम होगा जब आप खुद इसे हराना चाहेंगे। ऐसे में अगर कहीं बाहर जाते हैं तो वहां से घर आने पर हाथ सफाई से धुलें। ज्यादा से ज्यादा सेनेटाइजर्स का इस्तेमाल करें। अपने हाथों से आंख, नाक, मुंह को बार-बार नहीं छुएं।
अब किसे, कहां ढूंढें
डॉक्टर होने के बावजूद अपना ट्रैवल हिस्ट्री छिपाना, अपनी बीमारी को नहीं बताने की वजह से आज उस अस्पताल में काम करने वाले हर कोई संदिग्ध में है। इस बारे में डॉक्टरों का कहना है कि हर इंसान को सोच बदलनी होगी, सरकार का प्रयास ठीक है, हम उनसे ज्यादा की मांग करेंगे, लेकिन अगर इन छोटी-छोटी चीजों को हम जनता छिपा लेंगे तो इस महामारी को रोक पाना संभव नहीं होगा। सरकार जल्द से जल्द साधारण लक्षण वाले की भी जांच करें, ताकि कोई भी इंसान इससे बच नहीं पाए। जिन्हें है वो क्वारंटाइन हों, जिसे नहीं है, वह अपना काम करे।