देश में कोरोना वायरस के मामले 30000 के पार, मौत का आंकड़ा 1000 के करीब

देश में कोरोना वायरस के मामले 30000 के पार, मौत का आंकड़ा 1000 के करीब

 नई दिल्ली: देश में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के सत्यापित मामले 30000 के पार चले गए जबकि महाराष्ट्र, गुजरात और कुछ अन्य राज्यों से अधिक मरीजों की मौत के साथ ही इस महामारी से मरने वालों की संख्या 1000 के समीप पहुंच गई। इस बीमारी के तत्काल किसी उपचार की आशाएं तब धूमिल हो गयीं जब स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि फिलहाल इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं है कि प्लाज्मा थेरेपी को इसका उपचार स्वीकार कर लिया जाएं।

मंत्रालय ने इस बात को लेकर सावधान किया कि प्लाज्मा थेरेपी देने में यदि उपयुक्त दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया तो उसके जान जोखिम में डालने वाले प्रभाव हो सकते हैं। इसमें स्वस्थ हो चुके कोविड-19 के मरीज से रक्त प्लाज्मा गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को चढ़ाया जाता है। परीक्षण के दौर से गुजर रही यह थेरेपी इस सिद्धांत पर कार्य करती है कि स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर चुके व्यक्ति के प्लाज्मा के एंटीबाडी का इस्तेमाल कर बीमार व्यक्ति में स्वस्थ व्यक्ति से रोग प्रतिरोधकता अंतरित की जा सकती है।

विभिन्न राज्यों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देशभर में इस घातक वायरस की चपेट में अबतक 30200 से अधिक लोग आ चुके। उनमें से 947 मरीजों की मौत हो गयी जबकि 7000 से अधिक स्वस्थ हो गए। आंकड़ों के लिहाज से अबतक परीक्षण से गुजरे हर 25 व्यक्तियों में एक व्यक्ति संक्रमित पाया। जितने लेाग संक्रमित पाए गए, उनमें हर 30 व्यक्तियों में एक की जान चली गई। जो लोग स्वस्थ हुए हैं वे चार मरीजों में एक हैं। दरअसल ऐसी उम्मीद बन रही थी कि प्लाज्मा थेरेपी कोविड-19 के लिए संभावित उपचार हो सकती है क्योंकि दिल्ली सरकार ने कहा था कि उसे कुछ मरीजों पर उत्साहवर्धक नतीजे मिले हैं।

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राजस्थान और कर्नाटक समेत कुछ अन्य राज्यों ने परीक्षण शुरू किया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को ही अधिकारियों को प्लाज्मा थेरेपी को बढ़ावा देने का निर्देश दिया और कई स्थानों पर प्लाज्मा बैंक बनाने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। इस बीमारी से उबर चुके कई लोगों ने दूसरों के उपचार के लिए अपना प्लाज्मा देने की पेशकश की है। अपनी दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 के इलाज में इस पद्धति की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन शुरु किया है। लेकिन जबतक अध्ययन पूरा नहीं हो जाता और ठोस वैज्ञानिक सबूत नहीं मिल जाता तब तक इस थेरेपी का बस शोध या परीक्षण के लिए उपयोग किया जाए।