भारत में कोरोना: केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन बोले- भारत में दूसरे विकसित जैसे नहीं हालत, बुरी स्थित के लिए भी तैयार

- देश में कोरोना वायरस के करीब 60 हजार मरीज, अबतक 1981 लोगों की गई जान
- रोज आ रहे ढाई से तीन हजार नए केस, ठीक होने वाले पेशेंट्स की संख्या भी बढ़ी
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का दावा, भारत बुरे से बुरे हालात का सामना करने को तैयार
- डॉ हर्षवर्धन ने कहा, विकसित देशों में जैसे हालात बने, भारत में वैसा होने की संभावना नहीं
नई दिल्ली
पूरी दुनिया में कहर बरपा रहा कोरोना वायरस भारत में शायद उतना खतरनाक ना साबित हो। अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस जैसे विकसित देशों में कोविड-19 के कारण लाखों लोग मारे गए हैं। हालांकि भारत में उतने बुरे हालात नहीं होंगे। केंद्र सरकार का अनुमान तो यही कहता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन के मुताबिक, ‘देश बुरे से बुरे हालात का सामान करने के लिए तैयार हो गया है।’ उन्होंने कहा कि ‘कई विकसित देशों में जैसे हालात बने, हम उस तरह की स्थिति भारत में बनती नहीं देख रहे हैं।’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि पिछले तीन दिन में, कोरोना वायरस मामलों का डबलिंग रेट करीब 11 दिन का रहा है। पिछले सात दिनों की बात करें तो डबलिंग रेट 9.9 दिन हो जाता है। शनिवार को डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि देश में कोरोना से मरने वालों की दर 3.3 प्रतिशत है जो कि दुनिया में सबसे कम फैटलिटी रेट्स में शामिल है। इसके अलावा भारत का रिकवरी रेट 29.9% हो गया है। हर्षवर्धन ने कहा कि यह सब बेहद अच्छे संकेत हैं।
COVID-19: कम्यूनिटी ट्रांसमिशन तो नहीं हुआ शुरू? 75 जिलों की होगी निगरानीदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले करीब 60 हजार के करीब पहुंच चुके हैं। अभी भी 200 से ज्यादा ऐसे जिले हैं जो कोरोना से अछूते हैं। दूसरी तरफ, कुछ ऐसे जिले हैं जो कोरोना संक्रमण के गढ़ बन चुके हैं। देश में करीब 75 जिलों में ही कोविड-19 के ज्यादातर मामले हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च अब इन 75 जिलों में स्टडी शुरू करने की योजना बना रहा है ताकि पता लगाया जा सके कि कहीं इन जिलों में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन तो शुरू नहीं हो गई है।
भारत ने बदली पेशेंट डिस्चार्ज पॉलिसी
बढ़ते कोरोना केसेज के बीच, केंद्र सरकार ने मरीजों की डिस्चार्ज पॉलिसी में बदलाव किया है। अब सामान्य केसेज में डिस्चार्ज से पहले टेस्टिंग की जरूरत नहीं रह गई है। कोरोना पेशेंट में कोई लक्षण ना दिखने, उसकी हालात सामान्य लगने पर 10 दिन में भी अस्पताल से डिस्चार्ज किय जा सकता है। डिस्चार्ज होने के बाद, मरीज को 14 दिन की बजाय अब 7 दिन के होम आइसोलेशन में रहना होगा। डिस्चार्ज के 14वें दिन टेली-कॉन्फ्रेंस के जरिए मरीज का फॉलो-अप किया जाएगा।
भारत में अबतक करीब दो हजार मौतें
भारत में शनिवार सुबह तक कोविड-19 संक्रमण से संक्रमित हुए लोगों की संख्या 59 हजार के पार हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, “अबतक 1,981 मौतों सहित कुल 59 हजार 662 लोग कोविड-19 से संक्रमित हुए हैं। वहीं, उपचार के बाद कुल 39 हजार 834 लोगों को पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई।” देश मे सबसे ज्यादा कोरोना के मरीज महाराष्ट्र में हैं। यहां अबतक 19,063 लोग कोरोना पीड़ित मिले हैं। महाराष्ट्र में 731 लोगों की मौत हुई है।
पूरी दुनिया में 2.70 लाख से ज्यादा मौतें
दुनिया भर में कोविड-19 से हुई मौतों का आंकड़ा 2,70,000 से ज्यादा हो गया है। कोरोना मामलों की संख्या 40 लाख के पार पहुंच गई है। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (CSSE) ने यह डेटा दिया है। कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा मौतें फर्स्ट वर्ल्ड कंट्रीज में हुई हैं। अमेरिका सबसे बुरी तरह प्रभावित है। यहां अबतक 77,180 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। दूसरा नंबर ब्रिटेन का है, जहां 31,316 लोगों की मौत हो चुकी है।
कहां हैं सबसे ज्यादा कोरोना केसेज
CSSE के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका 1,283,929 मामलों के साथ टॉप पर है। इसके बाद स्पेन (222,857), इटली (217,185), यूके (212,629), रूस (187,859), फ्रांस (176,202), जर्मनी (170,588), ब्राजील (146,894), तुर्की (135,569) और ईरान (104,691) का नंबर आता है। 10,000 से अधिक मौतों वाले अन्य देश की बात करें तो वे इटली (30,201), स्पेन (26,299), फ्रांस (26,233), और ब्राजील (10,017) हैं।
चाइना कनेक्शन, जिससे आएगा निवेश और नौकरियां
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सरकार जिस निवेश की बात कर रही है, दरअसल वही लेबर लॉ का चाइना कनेक्शन है। चीन से करीब 1000 कंपनियां निकलने की फिराक में हैं और भारत की कोशिश है कि उन कंपनियों को अपनी ओर खींचा जा सके। ऐसे में लेबर लॉ बदला जा रहा है, ताकि इन कंपनियों को वैसा ही माहौल दिया जा सके, जैसा उन्हें चीन में मिला हुआ था। बता दें कि चीन में अधिकतर आईटी कंपनियों में 12 घंटे तक भी काम होता है। अगर ये 1000 कंपनियां भारत में आ जाती हैं तो बेशक भारी-भरकम निवेश आएगा और जब इतनी सारी कंपनियां यहां आएंगी तो उससे नौकरियां भी पैदा होंगी।
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लेबर लॉ में बदलाव कर के 12 घंटे की शिफ्ट को मंजूरी देना तो सिर्फ एक पहलू है। इसके अलावा बचाव के उपायों में भी ढील दी गई है, जिसे लेबर सेफ्टी के लिए सबसे अधिक जरूरी माना जाता है। यही वजह है कि ट्रेड यूनियनें इसके खिलाफ हैं। मौजूदा समय में इतने सख्त नियमों के बावजूद बहुत सारी कंपनियां मजदूरों का शोषण करने से नहीं चूकती हैं तो फिर नियमों में ढील देने के बाद तो कंपनियों को शोषण करने का एक हथियार ही मिल जाएगा।
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चीन में बहुत सारी आईटी कंपनियों में 12 घंटे की शिफ्ट होती है। इसे चीन में 996 वर्किंग आवर सिस्टम भी कहते हैं, क्योंकि इससे तहत सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक हफ्ते में 6 दिन काम होता है, यानी 72 घंटे। चीन में भी और बाहर के देशों में भी इसकी आलोचना होती रही है, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी वाले चीन में ये चलता आ रहा है। इसके खिलाफ वहां कुछ प्रदर्शन भी हुए।
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पिछले दिनों से ये खबर आ रही है कि कोरोना वायरस की वजह से करीब 1000 मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां चीन छोड़ने (1000 companies may leave china) की तैयारी में हैं। भारत उनके लिए नया ठिकाना हो सकता है और मोदी सरकार अब इसी कोशिश में लगी है कि उन्हें भारत में आकर्षित किया जाए। चुनौती ये है कि चीन जैसा इंफ्रास्ट्रक्चर और चीन जितनी सस्ती लेबर कहां से लाएं? इसी वजह से लेबर लॉ बदला जा रहा है, ताकि इन कंपनियों को लुभाया जा सके।
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अगर बात चीन की करें तो वहां पर सबसे अहम चीज थी लेबर और इंफ्रास्ट्रक्चर। लेबर की बात करें तो एक तो वहां सस्ती लेबर है, आसानी से मिल जाती है और ऊपर से चीन की कम्युनिस्ट सरकार लेबरों के लिए जो नियम बना देती है, उसे सब मानते हैं। ऐसे में कंपनियों को लेबर की तरफ से या लेबर के लिए कोई दिक्कत नहीं होती है। वहीं चीन ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर तो खूब काम किया ही है, जिससे कंपनियां चीन में अपने प्रोडक्शन हब लगा लेती हैं। भले ही वह कंपनी अमेरिका की हो या जापान की हो या अन्य देशों की, वह अपने देश में प्रोडक्शन हब ना लगाकर दूसरे देश में प्रोडक्शन हब लगाती हैं और चीन जैसे देश इसके लिए सबसे बेहतर विकल्प होते हैं।