कांग्रेस संविधान की हत्यारी है, तानाशाही उसके DNA में है… Emergency पर बोले शिवराज सिंह चौहान

कांग्रेस संविधान की हत्यारी है, तानाशाही उसके DNA में है… Emergency पर बोले शिवराज सिंह चौहान

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आपातकाल के दौरान अपने अनुभव को याद करते हुए कहा कि मैंने जेल में बहुत सारे अमानवीय अत्याचार देखे। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र का इतना काला दौर था कि मैं अभी भी हैरान हूं कि ऐसा वास्तव में हुआ था। कोई इतना बड़ा पाप और अन्याय कैसे कर सकता है? वाराणसी में भाजपा नेता ने कहा कि उस समय मेरी उम्र 16 साल थी और मैंने 10वीं पास कर ली थी। 1974 में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और दोषपूर्ण शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश नारायण का आंदोलन चल रहा था। मैं इससे जुड़ा हुआ था और चूंकि मैं अपने स्कूल का अध्यक्ष भी था, इसलिए मैं उस आंदोलन में शामिल हो गया।

शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा कि मैं ‘आपातकाल हटाओ’ और ‘इंदिरा तेरी तानाशाही नहीं चलेगी’ के पर्चे बांटता था। आपातकाल के आखिरी नौ महीनों में 9 अप्रैल को पुलिस को इसकी भनक लग गई। वे मेरे घर आए, मुझे थप्पड़ मारे और ऐसी गालियां दीं कि मैं दोहरा भी नहीं सकता। वे मुझे सीढ़ियों से घसीटकर नीचे लाए और पुलिस स्टेशन ले गए। उन्होंने मेरे घुटनों और कोहनियों पर इतनी बुरी तरह मारा कि आज भी उनमें दर्द होता है। उन्होंने मुझे पूरी रात प्रताड़ित किया और फिर सुबह उन्होंने मुझे हथकड़ी लगाई और मजिस्ट्रेट के पास ले गए, जिन्होंने मुझे जेल भेजने के लिए कागजों पर हस्ताक्षर कर दिए।

भाजपा नेता ने दावा किया कि जब मुझे हथकड़ी-बेड़ी में पैदल जेल ले जाया जा रहा था, तो रास्ते से गुज़र रहे कुछ बच्चों ने मुझे देखा और कहा कि मैं ज़रूर चोर हूँ। जब मैंने ‘चोर’ शब्द सुना, तो मेरी अंतरात्मा रो पड़ी। मैंने अकेले ही नारे लगाने शुरू कर दिए कि ‘ज़ुल्म के आगे नहीं झुकूंगा, ज़ुल्म किया तो और लड़ूंगा’… जब मैं भोपाल सेंट्रल जेल पहुँचा, तो मैं बाहर से नारे लगा रहा था और जो लोग पहले से जेल में बंद थे, वे जेल के अंदर से नारे लगा रहे थे। मैंने उस जेल में ही मन बना लिया था कि मैं अपने लिए नहीं जीऊँगा। मुझे देश और समाज के लिए कुछ करना है।

उन्होंने कहा कि देश आपातकाल की क्रूर कथा कभी न भूले, इसलिए संविधान हत्या दिवस मनाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस संविधान की हत्यारी है। तानाशाही उसके DNA में है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का अपमान करने वाली कांग्रेस को देश से माफी मांगनी चाहिए। आज जो लोग संविधान लेकर घूमते हैं, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्हीं के पुरखों ने सत्ता में बने रहने के लिए देश में लोकतंत्र को रौंदने का काम किया था। मुझे आज भी याद है, जब मैं भोपाल सेंट्रल जेल में बंद था और हमारे साथ असमद वारसी जी भी थे। उनकी तबियत बिगड़ी, वे 3-4 दिन दर्द से कराहते रहे, उन्हें ईलाज की सुविधा नहीं मिली और अंततः उन्होंने दम तोड़ दिया।


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