लखनऊ । देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी और लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस की ऐसी दुर्दशा पिछले किसी चुनाव में नहीं हुई। प्रदेश में बैसाखियों के सहारे चलने की आदी हो चुकी इस पार्टी से जब दूसरे राजनीतिक दलों का सहारा हटा तो उसका वोट प्रतिशत रसातल में चला गया।

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी के सभी 399 प्रत्याशियों को कुल मिलाकर कांग्रेस को 21,51,234 वोट मिले जो कि कुल पड़े मतों का 2.33 प्रतिशत है। इस हिसाब से कांग्रेस के हर उम्मीदवार को औसतन 5391 वोट मिले। वर्ष 2017 में कांग्रेस ने 114 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे जिन्हें कुल 54,16,540 यानी 6.25 प्रतिशत वोट मिले थे। तब कांग्रेस के प्रत्येक प्रत्याशी को औसतन 47,513 वोट मिले थे। यह इस बात का सुबूत है कि पिछले चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी सपा के जनाधार की बैसाखी के सहारे थी। इस चुनाव में वह बैसाखी हटते ही उसकी हैसियत सामने आ गई।

सिर्फ चार सीटों पर नंबर दो रही कांग्रेस : अठारहवीं विधान सभा के चुनाव में कांग्रेस के 399 प्रत्याशी मैदान में थे। कांग्रेस सिर्फ दो सीटें जीत पाई जबकि दूसरे स्थान पर उसके सिर्फ चार प्रत्याशी ही रहे। हालांकि इनमें से कोई भी नजदीकी मुकाबले में नहीं था। मिसाल के तौर पर मथुरा सीट पर दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस विधानमंडल दल के पूर्व नेता प्रदीप माथुर विजेता भाजपा के श्रीकांत शर्मा से एक लाख से ज्यादा वोटों से पिछड़ गए। वर्ष 2017 में सपा के साथ गठबंधन करने वाली कांग्रेस ने 114 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। तब पार्टी ने सात सीटें जीती थीं और वह 44 स्थानों पर दूसरे नंबर पर थी।

पदाधिकारियों का प्रदर्शन निराशाजनक : कांग्रेस के जो पदाधिकारी चुनाव मैदान में उतरे, इक्का-दुक्का को छोड़ उनमें से ज्यादातर का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू तो तमकुहीराज सीट पर 33,496 वोट पाकर तीसरे स्थान पर पिछड़ गए। वह इस सीट के विजेता से 81,627 मतों से पीछे रहे। यानी जितने वोट वह पाए, उसके दोगुने से भी ज्यादा के अंतर से वह हारे। युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कनिष्क पांडेय कानपुर की महाराजपुर सीट पर 7280 वोट पाकर चौथे पायदान पर रहे। आगरा (ग्रामीण) सीट पर कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र सिंह 3770 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे तो आजमगढ़ की निजामाबाद सीट पर पार्टी के प्रदेश सचिव (संगठन) अनिल यादव 2297 वोट पाकर पांचवें स्थान पर खिसक गए।

महिला पदाधिकारियों का भी बुरा हाल : महिला कांग्रेस मध्य जोन की प्रदेश अध्यक्ष ममता चौधरी लखनऊ की मोहनलालगंज सीट पर 2990 वोट हासिल कर सकीं जो यहां पड़े कुल वोटों का 1.22 प्रतिशत था। महिला कांग्रेस की पूर्व जोन की प्रदेश अध्यक्ष शहला अहरारी को देवरिया की रामपुर कारखाना सीट पर 2016 वोट मिले जो इस सीट पर हुए कुल मतदान का एक प्रतिशत भी नहीं है। पार्टी की इंटरनेट मीडिया विंग की प्रदेश उपाध्यक्ष पंखुड़ी पाठक को नोएडा सीट पर 13,494 वोट मिले और उन्हें तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।

करिश्मा नहीं कर पाईं महिलाएं : कांग्रेस ने उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष करने वाली कई महिलाओं को भी चुनाव मैदान में उतार कर उनसे करिश्मे की आस लगाई थी लेकिन पार्टी की यह उम्मीद धूमिल होती नजर आई। उन्नाव के बहुचर्चित माखी कांड की दुष्कर्म पीड़िता की मां को कांग्रेस ने उनके गृह जिले की सीट से प्रत्याशी बनाया लेकिन उन्हें महज 1555 (0.63 प्रतिशत) वोट मिले। बिकरू कांड के बाद पुलिस मुठभेड़ में मारे गए अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे की बहन नेहा तिवारी को कानपुर की कल्याणपुर सीट पर महज 2302 वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रहीं। अभिनेत्री अर्चना गौतम हस्तिनापुर सीट पर पांचवें स्थान पर रहीं और वह मात्र 1519 वोट बटोर सकीं।

प्रियंका की मेहनत भी न लाई रंग : कांग्रेस महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने पार्टी प्रत्याशियों के लिए जनसमर्थन जुटाने की खातिर खूब पसीना बहाया लेकिन उनकी मेहनत रंग नहीं लाई। प्रियंका ने नोएडा में पार्टी प्रत्याशी पंखुड़ी पाठक और हस्तिनापुर में अर्चना गौतम के अलावा बुलंदशहर, गाजियाबाद, रामपुर, मुरादाबाद, हमीरपुर, जालौन, वाराणसी, कानपुर, आजमगढ़, मऊ, रायबरेली, अमेठी, बाराबंकी, महाराजगंज, सोनभद्र, बलिया, देवरिया, बलरामपुर, महाराजगंज आदि जिलों में भी पार्टी प्रत्याशियों के लिए जनसमर्थन जुटाया लेकिन बड़ी संख्या में उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने से नहीं बचा पाईं।