नई दिल्ली। नए सहकारिता मंत्रालय के गठन के पीछे संघ-भाजपा के छिपे राजनीतिक एजेंडे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला के आरोप ने कांग्रेस के कान खड़े कर दिए हैं। इस नए मंत्रालय के जरिये केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र से लेकर बंगाल तक की सहकारी संस्थाओं में भाजपा का प्रभाव बढ़ाने की तैयारी की चेन्निथला की आशंका को पार्टी नजरअंदाज नहीं कर रही है।

कांग्रेस जल्द ही दूसरे विपक्षी दलों से करेगी चर्चा 

संकेत हैं कि कांग्रेस जल्द ही इसको लेकर विपक्षी खेमे के दूसरे दलों से चर्चा करेगी। उनसे मशविरे की यह प्रक्रिया मानसून सत्र से पहले पूरी की जाएगी ताकि इस नए मंत्रालय के गठन के पीछे की सियासत को संसद में उठाया जा सके।

सहकारिता मंत्रालय के गठन पर कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर किए सवाल खड़े

कांग्रेस के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने इस बारे में पार्टी हाईकमान को चेन्निथला के भेजे पत्र की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी चिंता को इसलिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सबसे भरोसेमंद राजनीतिक साथी गृह मंत्री अमित शाह को इस मंत्रालय का जिम्मा सौंपा है। उन्होंने कहा कि पार्टी मंत्रालय गठन से जुड़े राजनीतिक पहलुओं का इस चिंता के परिप्रेक्ष्य में अध्ययन करने के बाद ही अन्य विपक्षी पार्टियों से बातचीत करेगी। मगर इसमें संदेह नहीं कि राजनीति के अनुभवी चेन्निथला ने इस मंत्रालय के गठन पर न केवल राजनीतिक बहस का रास्ता खोल दिया है बल्कि केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा कर दिया है।

चेन्निथला ने कहा- सहकारी संस्थाओं को अपने प्रभाव में लेने की भाजपा की साजिश

मालूम हो कि चेन्निथला ने कहा है कि भाजपा का यह कदम वित्तीय दृष्टिकोण से मजबूत सहकारी संस्थाओं को अपने प्रभाव में लेने की उसकी साजिश का हिस्सा है। केरल और महाराष्ट्र में वित्तीय रूप से मजबूत सहकारी संस्थाओं का बहुत बड़ा नेटवर्क है। महाराष्ट्र में सहकारी संस्थाओं पर जहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की मजबूत पकड़ है, वहीं केरल में माकपा और कांग्रेस का अपना-अपना प्रभाव है।

नए मंत्रालय के गठन के पीछे छिपी सियासत पर जवाबी वार करने की जरूरत

चेन्निथला के अनुसार भाजपा केरल और महाराष्ट्र में सहकारी संस्थाओं की राजनीति में अपनी पैठ बनाने में नाकाम रही है और इसके मद्देनजर ही चेन्निथला ने कांग्रेस हाईकमान को तत्काल नए मंत्रालय के गठन के पीछे छिपी सियासत पर जवाबी वार करने की जरूरत बताई है।

धर्मनिरपेक्ष सहकारी संस्थाओं में बढ़ेगी संघ-भाजपा की सियासी पैठ

केरल की पिछली विधानसभा में नेता विपक्ष रहे चेन्निथला के मुताबिक अमित शाह को यह मंत्रालय सौंपे जाने से स्पष्ट है कि भाजपा के लिए यह कितना महत्वपूर्ण है। उनका यह भी मानना है कि केरल-महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक, बंगाल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में सहकारी समितियां व्यापक जनआंदोलन का हिस्सा बनकर उभरी हैं और इनके ढांचे का स्वरूप भी धर्मनिरपेक्ष है।

संसद और विधानसभाओं में संघ-भाजपा के इस एजेंडे के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए

इसलिए संघ-भाजपा इन सहकारी संस्थाओं में अभी तक अपनी जगह नहीं बना सके हैं। ऐसे में उन्हें आशंका है कि केंद्र का यह कदम भगवा राजनीति के एजेंडे के लिए इसमें राह बनाने पर केंद्रित है। चेन्निथला का कहना है कि केंद्र के इस मकसद को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व को अपने संगठनात्मक राजनीतिक प्लेटफार्म के साथ-साथ संसद और विधानसभाओं में संघ-भाजपा के इस एजेंडे के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।