चिराग पासवान के नए दांव से दूर हो जाएगा लोजपा के अध्‍यक्ष का भ्रम, बिहार में तय होगा असली कौन

चिराग पासवान के नए दांव से दूर हो जाएगा लोजपा के अध्‍यक्ष का भ्रम, बिहार में तय होगा असली कौन
  • लोजपा का असली अध्‍यक्ष कौन है यह एक बड़ा सवाल है। चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों ही खुद को पार्टी का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बताते हैं लेकिन अब यह संशय खत्‍म होने वाला है। चिराग ने एक ऐसा फैसला लिया है जिससे यह भेद खुल जाएगा।

पटना : राम विलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी लोजपा सियासत और परिवार के दोहरे संकट से गुजर रही है। यूं तो राम विलास ने खुद के रहते चिराग पासवान को पार्टी का अध्‍यक्ष घोषित कर दिया था, लेकिन उनके निधन के साल भर के अंदर पार्टी पर असली हक की लड़ाई सड़क पर आ गई। अब हालत यह है कि चिराग पासवान खुद को पार्टी का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बताते हैं और उनके चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) भी। बतौर लोजपा सांसद पशुपति पारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में भी शामिल हो चुके हैं। लेकिन, पार्टी का असली राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष कौन है, ये अब जल्‍द ही साफ होने की उम्‍मीद बन गई है।

बिहार विधानसभा की दो सीटों का उप चुनाव करेगा फैसला

दरअसल, चिराग पासवान ने बिहार विधानसभा की दो सीटों पर होने वाले उप चुनाव में अपनी पार्टी का प्रत्‍याशी देने का ऐलान किया है। अगर वे ऐसा करते हैं तो यह पता चल जाएगा कि लोजपा पर असली हक किसका है। यह साफ और सर्वविदित है कि बतौर एनडीए का हिस्‍सा चिराग के चाचा पशुपति पारस केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री हैं। वे बिहार की सरकार में भी अपनी पार्टी की इंट्री की कोशिश में जुटे हैं, हालांकि इसमें दिक्‍कत यह है कि उनके पास बिहार में न तो कोई विधायक है और न ही कोई विधान पार्षद। उम्‍मीद जताई जा रही है कि वे विधान परिषद के रास्‍ते बिहार की सरकार में शामिल होने की कोशिश करेंगे।

क्‍या अपने प्रत्‍याशियों को लोजपा का सिंबल दे पाएंगे चिराग

पशुपति पारस शायद ही बिहार विधानसभा की दो सीटों के लिए हो रहे उप चुनाव में जदयू के खिलाफ प्रत्‍याशी देने पर सहमत हों। ऐसे में अगर चिराग अपने स्‍तर से अगर प्रत्‍याशी देने का फैसला लेते हैं तो यह बड़ा सवाल सामने आएगा कि क्‍या वे किसी नेता को लोजपा का सिंबल देने में सक्षम हैं। जाहिर है पशुपति पारस का खेमा इसका विरोध करेगा। चिराग ने इससे पहले अपने चाचा के खेमे को लोजपा का नाम और चुनाव चिह्न नहीं इस्‍तेमाल करने की नसीहत दी थी। अब अगर वे अपने चाचा की मर्जी के बगैर किसी नेता को उप चुनाव के लिए चुनाव चिह्न देते हैं तो दोनों गुटों में टकराव तय है। ऐसे में फैसला चुनाव आयोग पर निर्भर करेगा। चुनाव आयोग किसे लोजपा का अध्‍यक्ष मानता है, यह सामने आ जाएगा।

लोकसभा में चिराग के दावे को नहीं मिली है मान्‍यता

लोजपा के निर्वाचित प्रतिनिधियों की बात करें तो ऐसे नेता केवल लोकसभा में मौजूद हैं। राज्‍यसभा में इस पार्टी का कोई सदस्‍य नहीं है। किसी राज्‍य की विधानसभा या विधान परिषद में भी लोजपा का कोई नेता नहीं है। लोकसभा में चिराग पासवान ही लोजपा संसदीय बोर्ड के नेता हुआ करते थे। पिछले दिनों इस पद के लिए उनके चाचा पशुपति पारस ने लोकसभा अध्‍यक्ष से दावा किया और उनका दावा मंजूर भी कर लिया गया। इसके खिलाफ चिराग ने लोकसभा अध्‍यक्ष को पत्र लिखने के अलावा उनसे व्‍यक्तिगत रूप से मिलकर भी आपत्ति जताई थी, लेकिन इस पर कोई फैसला होने की जानकारी नहीं है। यह तो रही संसदीय बोर्ड का नेता होने की बात, लेकिन राजनीतिक पार्टियों का निबंधन चुनाव आयोग में होता है। अब चुनाव आयोग किसे लोजपा का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मानता है, यह वक्‍त बताएगा।

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