भारत समेत कुछ अन्य देशों के लिए भूटान बदल सकता है अपनी नीति, जानें इसका असर
नई दिल्ली । भारत, बांग्लादेश और मालदीव से भूटान जाने वाले पर्यटकों से किसी तरह का शुल्क नहीं वसूला जाता है। लेकिन पर्यटकों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए भूटान अब इन देशों के पर्यटकों पर भी शुल्क लगाने की तैयारी में है। भूटान का मंत्रिमंडल अगले महीने पर्यटन नीति के मसौदे को अंतिम रूप दे सकता है। इस संबंध में नई दिल्ली में भूटान के विदेश मंत्री तांदी दोरजी ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से हाल ही में मुलाकात भी की है। इस मसौदे को भूटान की पर्यटन परिषद (टीसीबी) ने तैयार किया है। टीसीबी के महानिदेशक दोरजी धराधुल ने स्पष्ट किया कि पिछले कुछ वर्षो में पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ी है, जो भूटान की नीति के लिए ठीक नहीं है। वर्ष 2018 में 2.74 लाख पर्यटक भूटान गए थे, जिनमें से 1.80 लाख भारतीय थे। यानी भूटान जाने वाले पर्यटकों में भारतीय लगभग दो-तिहाई संख्या में रहे। नई पर्यटन नीति के अनुसार अब इन पर्यटकों को सस्टेनेबल डेवलपमेंट फीस और परमिट फीस देनी होगी।
नई पर्यटन नीति के तहत अब दक्षिण एशियाई देशों- भारत, बांग्लादेश और मालदीव से भूटान आने वाले पर्यटकों को अन्य देशों के विदेशी यात्रियों के समान ही प्रति यात्री 250 डॉलर (18 हजार रुपये) प्रतिदिन के हिसाब से अदा करना होगा जिसमें प्रतिदिन 65 डॉलर सस्टेनेबल डेवलपमेंट फी और 40 डॉलर वीजा शुल्क भी शामिल है। भारी मात्र में पर्यटकों के भूटान आगमन को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। दरअसल भूटान सरकार क्षेत्रीय पर्यटकों को बहुत कम दर पर रहने योग्य यात्री निवास की सुविधा के उपयोग को रोकने के पक्ष में है, क्योंकि इससे भूटान में अनियंत्रित गेस्ट हाउसों और होम स्टे को बढ़ावा मिला है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में भूटान को पर्यटन से प्राप्त कुल राशि 85.41 मिलियन डॉलर थी। पर्यटन विशेषज्ञों का मानना है कि भूटान पर्यटकों के लिए भीड़-भाड़ वाली जगह बनता जा रहा है। साथ ही जो लोग ज्यादा पैसा खर्च करके यहां आते हैं उन्हें भी शिकायत रहती है कि ज्यादा पैसे देने के बावजूद उन्हें यहां होटल समेत अन्य कई प्रकार की पर्यटक सुविधाएं मिलने में दिक्कत होती है। वहीं भारत, मालदीव और बांग्लादेश के पर्यटकों को होटल सस्ते दामों में आसानी से मिल जाते हैं।