Bengal Assembly Elections: परिवहन समेत सभी विभागों के मंत्री के पद से शुभेंदु ने दिया इस्तीफा

कोलकाता । आखिरकार तृणमूल के कद्दावर नेता व राज्य के परिवहन व सिंचाई मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने शुक्रवार को सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, उन्होंने विधायक और तृणमूल के सदस्य पद से इस्तीफा नहीं दिया है। गुरुवार को पहले उन्होंने हुगली रिवर ब्रिज कमिश्नर के चेयरमैन पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद शुक्रवार की सुबह उन्होंने पहले अपनी सरकारी सुरक्षा लौटा दी। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। साथ ही राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भी उन्होंने इस्तीफा पत्र ईमेल से भेज दिया।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि यदि शुभेंदु अधिकारी भाजपा ज्वाइन करते हैं तो उनका स्वागत है। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि तृणमूल के लिए यह संकट का समय है। बताते चलें कि तृणमूल की ओर से शुभेंदु को मनाने की लगातार कोशिश की जा रही थी। तीन दिन पहले भी तृणमूल के वरिष्ठ सांसद व नेता सौगत राय ने शुभेंदु के साथ बैठक कर उन्हें मनाने की कोशिश की थी।
दरअसल, शुभेंदु चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी में हस्तक्षेप और उनकी राय के बिना संगठन में फेरबदल से क्षुब्ध चल रहे थे। बताते चलें कि शुभेंदू के पिता शिशिर अधिकारी और भाई दिव्येंदू अधिकारी भी तृणमूल कांग्रेस से सांसद हैं।
सिर्फ शुभेंदु ही नहीं, बल्कि तृणमूल के कई और नेता व विधायक क्षुब्ध हैं। इनमें मुर्शिदाबाद से तृणमूल विधायक नियामत शेख ने एक पब्लिक रैली में रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) का खुलेआम विरोध करते हुए कहा था, क्या हमें प्रशांत किशोर से राजनीति समझने की जरूरत है? कौन हैं पीके? अगर बंगाल में तृणमूल को नुकसान पहुंचा तो पीके उसकी वजह होंगे।
वहीं, कूचबिहार से तृणमूल विधायक मिहिर गोस्वामी ने भी प्रशांत किशोर पर आपत्ति जताते हुए सोशल मीडिया पर कई पोस्ट किए। उन्होंने एक पोस्ट कर पीके पर निशाना साधते हुए लिखा, क्या तृणमूल अभी भी वाकई ममता बनर्जी की पार्टी है? ऐसा लगता है कि पार्टी को किसी कॉन्ट्रैक्टर को दे दिया गया है।
बैरकपुर विधानसभा से तृणमूल विधायक शीलभद्र दत्त ने पीके की एजेंसी पर हमला बोलते हुए चुनाव न लड़ने का एलान किया है। दत्ता ने कहा है कि एक बाहरी एजेंसी उन्हें सिखा रही है कि राजनीति कैसे करें। विधायक ने कहा कि उन्होंने पीके को बताया है कि यह यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार या फिर दिल्ली नहीं है। यही नहीं इनके अलावे सिंगुर के दो विधायक बेचाराम मन्ना और रवींद्र नाथ भट्टाचार्य भी क्षुब्ध है।