विवाद के बीचः नया संघ बनाने की तैयारी में जेएनयू के नाराज शिक्षक
जेएनयू कैंपस में हॉस्टल मैनुअल पर मचा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। छात्रों के बाद अब विश्वविद्यालय के शिक्षक भी दो धड़े में बंट गए हैं। करीब 160 शिक्षकों ने जेएनयू शिक्षक संघ से नाता तोड़ते हुए नया संघ बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
नया शिक्षक संघ बनाने को लेकर एक या दो दिन में बैठक आयोजित होगी। शिक्षकों में डीन ऑफ स्टूडेंट प्रो. उमेश कदम और एसोसिएट डीन ऑफ स्टूडेंट प्रो. वंदना मिश्रा को छात्रों द्वारा बंधक बनाने के मामले में शिक्षक संघ की ओर से साथ नहीं देने पर नाराजगी है।
जेएनयू के प्रोफेसर अश्विनी महापात्रा के मुताबिक छात्रों ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों से अभद्र व्यवहार करते हुए उन्हें घंटों बंधक बनाकर रखा, पर जेएनयू शिक्षक संघ चुपचाप देखता रहा।
शिक्षक संघ का अर्थ विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों का हित देखना होता है। हालांकि हर बार की भांति शिक्षक संघ तमाशा देखता रहा। एक बार भी शिक्षक संघ ने छात्रों के अभद्र व्यवहार व बंधक बनाने की घटना की निंदा नहीं की।
ऐसे में शिक्षक संघ से जुड़ेे रहने का कोई अर्थ नहीं है। इसलिए हमने शिक्षक संघ से नाता तोड़ दिया है। जल्द ही नया शिक्षक संघ बनाने पर फैसला हो जाएगा। शिक्षकों का आरोप है कि देशभर में वामपंथ का वैचारिक आधार खिसक रहा है।
ऐसे में छात्रावास की फीस बढ़ोतरी के मुद्दे के बहाने अपने वैचारिक आधार को पुनर्जीवित करने का काम किया जा रहा है। छात्रों हित सिर्फ एक बहाना है, असल में इन्हें व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन खड़ा करना है।
नौकरी शुरू होने के साथ विवि के साथ हर फैसले का करार:
प्रो. मजहर आसिफ का कहना है कि जेएनयू में नौकरी शुरू करने से पहले ही विश्वविद्यालय के साथ करार हो जाता है। शिक्षक होने के नाते विश्वविद्यालय प्रबंधन के हर फैसले का साथ देना जरूरी है। इसलिए शिक्षक हॉस्टल मैनुअल के मुद्दे पर भी विश्वविद्यालय प्रबंधन के हर फैसले के साथ हैं।