रायपुर। भ्रष्टाचार के आरोप में गत दिनों निलंबित किए गए छत्तीसगढ़ के चर्चित अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) जीपी सिंह के खिलाफ अब रायपुर में गुरुवार देर रात राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है। उन पर लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई राज्य सरकार के खिलाफ षड्यंत्र करने और उसको गिराने की साजिश का आरोप लगा है।

उधर, राजद्रोह का मामला दर्ज होते ही जीपी सिंह छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की शरण में पहुंच गए हैं। उनकी ओर से पेश याचिका में प्रकरण की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) से जांच कराने और मामले की जांच होने तक एसीबी-ईओडब्ल्यू व स्थानीय पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगाने का आग्रह किया गया है। इसके साथ ही जीपी सिंह भूमिगत हो गए हैं।

गौरतलब है कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) की टीम ने एडीजी जीपी सिंह के 15 ठिकानों पर गत दिनों छापे मारे थे। अब सिंह पर राजद्रोह का मामला दर्ज होने के मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को कहा कि छापेमारी के दौरान मिली डायरी और अन्य दस्तावेज के आधार पर कार्रवाई की गई है।

एसीबी की टीम ने संबंधित थाने को दी शिकायत में कहा है कि सिंह के मकान के पिछले हिस्से से कागज के कुछ टुकड़े मिले थे, जिनके मिलान करने पर गंभीर और संवेदनशील बातों के प्रमाण मिले हैं। इनसे पता चला है कि प्रदेश के कई विधायकों की गोपनीय रिपोर्ट तैयार कराई गई है। शासकीय योजनाओं और धार्मिक मुद्दों पर गंभीर टिप्पणियां की गई हैं। दस्तावेज में भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल किया गया है, जिससे कि सरकार के प्रति असंतोष पैदा किया जा सके।

दस्तावेज से पता चला है कि राज्य सरकार के प्रति घृणा पैदा करने और धार्मिक सौहार्द को प्रभावित करने की भी कोशिश की जा रही थी। सरकार विरोधी गतिविधियों के साफ संकेत मिले हैं। एसीबी ने दस्तावेज का ब्योरा चार जुलाई को ही कोतवाली पुलिस को सौंप दिया था। पुलिस ने कार्रवाई के पहले उनका परीक्षण किया। उसके बाद छापेमारी में शामिल अधिकारियों के बयान लिए। बयान और दस्तावेज ही कार्रवाई का आधार बने।