हरियाणा में हार के बाद बदल गए गठबंधन के सुर, कांग्रेस को दी गई अहम सलाह
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हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार, 8 अक्टूबर को सामने आए, जिसमें कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन के साथियों के सुर भी बदल गए हैं। चुनाव के बाद कई सहयोगी दलों ने कांग्रेस को आगामी महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले अपनी चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है।
अरविंद केजरीवाल की कांग्रेस को सलाह
इंडिया गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस को हार से सबक लेने की सलाह दी है। केजरीवाल ने कहा, “चुनाव का सबसे बड़ा सबक यही है कि किसी को भी अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए। हर चुनाव और हर सीट चुनौतीपूर्ण होती है, और कोई भी चुनाव को हल्के में नहीं ले सकता।” उन्होंने इशारा किया कि हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने यह गलती की हो सकती है और भविष्य में इसे टाला जाना चाहिए।
शिवसेना (यूबीटी) की प्रतिक्रिया
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि हरियाणा चुनाव के नतीजों का महाराष्ट्र में आगामी चुनावों पर सीधा असर नहीं होगा, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को अपनी चुनावी रणनीति पर फिर से विचार करना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि कांग्रेस ने हरियाणा में भाजपा के खिलाफ लड़ाई में उम्मीद से कम प्रदर्शन किया और इसे आत्मचिंतन की जरूरत है।
भाकपा की सलाह
भाकपा महासचिव डी. राजा ने भी कांग्रेस को सलाह देते हुए कहा कि कांग्रेस को हरियाणा के परिणामों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि महाराष्ट्र और झारखंड में आगामी चुनावों में कांग्रेस को ‘इंडिया’ गठबंधन के सभी सहयोगियों को साथ लेकर चलना चाहिए। राजा ने कहा कि गठबंधन की एकजुटता ही भाजपा को कड़ी टक्कर देने का तरीका हो सकता है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
इन सलाहों के बाद, कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र में अपने गठबंधन साथियों को गठबंधन धर्म की याद दिलाई। कांग्रेस ने कहा कि लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में वह सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी, और इस बार भी वह गठबंधन को मजबूत करने के लिए काम करेगी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “गठबंधन का धर्म होता है कि आपसी मुद्दों को आपस में सुलझाया जाए, न कि मीडिया के माध्यम से। हम अपने साथी दलों के बारे में कुछ नहीं कहेंगे और साथ मिलकर चुनावी लड़ाई जारी रखेंगे।”
हरियाणा की हार ने कांग्रेस के लिए एक चुनौती खड़ी कर दी है, लेकिन सहयोगी दलों की सलाह और आत्मचिंतन के साथ, पार्टी आगामी चुनावों में अपने प्रदर्शन को सुधारने के लिए नए सिरे से प्रयास कर सकती है।