हरिओम की मौत के बाद बड़े घरानों में मची खलबली, देनदारी के साथ बढ़ते गए विवाद, नोटबंदी के बाद टूटी कमर

आनंद अस्पताल में जब से वितीय संकट शुरू हुआ, विवाद बढ़ते ही चले गए। पिछले साल दिसंबर में तो आनंद अस्पताल के 15 से ज्यादा चिकित्सकों ने ओपीडी बंद कर दी थी, जिससे अस्पताल को झटका लगा था।

चिकित्सकों का आरोप था कि मैनेजमेंट ने बकाया पैसे नहीं दिए, जबकि फाइनेंसर उन्हें अस्पताल छोड़ने के लिए धमका रहे हैं। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने इमरजेंसी सेवा के लिए चिकित्सकों की दूसरी टीम तैयार कर दी थी।
दूसरी तरफ, प्रशासन कुछ प्राइवेट अस्पताल कोविड-19 के इलाज को चयनित किया जाना तय किया था। उसमें आनंद हॉस्पिटल की तरफ से भी आवेदन किया गया था लेकिन अभी तक उसे इसकी अनुमति नहीं मिली है

इसे भी अस्पताल के लिए झटका माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी के कोविड-19 के तहत चयनित होने के बाद अस्पताल अच्छे से चलेगा। दरअसल, डॉक्टरों के विवाद के बाद सामने आया था कि शेयरधारकों और अस्पताल में निवेश करने वालों ने धन वापसी का दबाव बढ़ाया था। अस्पताल के निदेशक मंडल के करोड़ों रुपये फंसे थे। सभी ने इस्तीफा दे दिया था। साथ ही 23 चिकित्सकों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ अदालत का भी दरवाजा खटखटाया था।

नोटबंदी के बाद टूटी कमर
सूत्रों की मानें तो नोटबंदी, फिर जीएसटी के बाद आनंद अस्पताल की आर्थिक कमर टूट गई। अस्पताल के प्रबंधन ने 30 फीसद से ज्यादा कर्ज पर उधार लिया और पैसों को फार्म हाउस और जमीनों की खरीद, भवन निर्माण और शेयर बाजार में लगा दिया।

अस्पताल पर करोड़ों का कर्ज हो गया, जिसमें बैंक का 15 करोड़ के आसपास था। बाकी पैसा निवेशकों से भारी पर उठाया। हालांकि पैसे से अस्पताल के कई चिकित्सा उपकरण भी खरीदे गए। इस बीच, रियल एस्टेट कारोबार और शेयर बाजार में गिरावट से अस्पताल की आर्थिक रीढ़ टूट गई। कई बीमा कंपनियों ने अस्पताल को पैनल से हटा दिया।

टीडीएस जमा करने के लिए भी प्रबंधन को कर्ज लेना पड़ा। कई संस्थानों ने आनंद अस्पताल को खरीदने के लिए संपर्क किया, लेकिन सौदा तय नहीं हो सका। उन पर 400 करोड़ की देनदारी बताई जा रही है। जो बढ़ती जा रही थी। वहीं लॉकडाउन के बाद जैसे ही शहर अनलॉक हुआ, तभी से लोगों ने फिर से हरिओम आनंद के घर पर जाकर तगादा करना शुरू कर दिया था।
होटल मालिक भी पैसा लेकर भाग गया
बताया जा रहा है कि मेरठ के एक चर्चित होटल मालिक को भी उन्होंने मोटा पैसा दिया था। होटल मालिक करोड़ों रुपया लेकर मेरठ से भाग गया। इसका पता लगने के बाद लोगों ने और भी ज्यादा कर्ज लौटाने का दबाव डालना शुरू कर दिया। लोगों को लगने लगा था कि हरिओम भी अब उनका पैसा नहीं देंगे।

मेरठ के चिकित्सा जगत में अहम योगदान
मेरठ के चिकित्सा जगत में हरिओम आनंद का बड़ा नाम था। लोकप्रिय हॉस्पिटल और सुभारती कॉलेज की बुनियाद में भी उनका योगदान था। सन 1990 में मेरठ में चिकित्सा की अच्छी स्थिति नहीं थी। डॉक्टर अतुल कृष्ण के साथ मिलकर उन्होंने लोकप्रिय हॉस्पिटल बनाया।

नई-नई तकनीक लेकर आए। इसके बाद सुभारती मेडिकल कॉलेज की नींव रखी। दोनों के बीच 15 साल तक पार्टनरशिप चली। इसके बाद मतभेदों के चलते दोनों ने रास्ता अलग कर लिया। 2007 में हरिओम ने गढ़ रोड पर आनंद हॉस्पिटल बनाया। इसका आसपास के जिलों में भी नाम है।

 


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