बिना किसी वजह रमजान के रोजे छोड़ने वाला सख्त गुनाहगार

देवबंद [24CN]: रमजान माह पर रोशनी डालते हुए मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि इस माह में अल्लाह अपने बंदों पर रहमत और बरकतों की बारिश करता है। इसलिए इस माह की इस्लाम धर्म में बहुत ज्यादा अहमियत है।

रमजान में रोजे रखने को लेकर मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि रमजान महीने का रोजा मजहब-ए- इस्लाम का अहम रूक्न (भाग) है। नबी-ए-करीम हजरत मोहम्मद साहब की हदीस है कि जिसने रमजान के रोजे सिर्फ अल्लाह के लिए समझ कर रखे तो उसके गुनाह बख्श दिए जाएंगे। साथ ही यह भी फरमाया कि रोजेदार के मुंह की बू अल्लाह के नजदीक मुश्क खुश्बू से भी ज्यादा प्यारी है।

मुफ्ती असद ने कहा कि रोजा रमजान की सबसे अहम इबादत है। रोजे का अरबी मायने सौम, और सौम के मायने होते हैं रूकना। सुबह से लेकर सूरज डूबने तक खाने पीने से रूकने को सौम कहते है। यदि किसी ने सुबह के बाद भी कुछ खा पी लिया या फिर सूरज डूबने से एक मिनट पहले कुछ खा या पी लिया तो उसका रोजा नहीं हुआ। कहा कि रमजान के सारे रोजा रखना मुसलमान मर्द, औरत, अकलमंद और बालिग पर फर्ज है। जो शख्स किसी शरई वजह के बिना रोजे नहीं रखेगा तो वह सख्त गुनाहगार होगा।