दिल्ली HC से AAP को झटका, नगर निगम के छह स्थायी सदस्यों का चुनाव दोबारा कराने का मेयर का निर्णय रद्द

दिल्ली HC से AAP को झटका, नगर निगम के छह स्थायी सदस्यों का चुनाव दोबारा कराने का मेयर का निर्णय रद्द

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने आज मंगलवार को एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) के छह स्थायी सदस्यों का चुनाव दोबारा कराने के मेयर शैली ओबरॉय के निर्णय को रद्द कर दिया है।

भाजपा पार्षद शिखा व कमलजीत सेहरावत ने मेयर के 24 फरवरी के निर्णय को अदालत में चुनौती दी थी।

 

गौरतलब है कि इससे पहले 24 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने नगर निगम की स्थायी समिति के छह सदस्यों के फिर से चुनाव कराने को चुनौती देने वाली याचिका पर मेयर से जवाब दाखिल करने के लिए कहा था।

न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने मेयर शैली ओबरॉय को तीन दिन में जवाब दाखिल करने का वक्त देते हुए 3 मई के लिए सुनवाई स्थगित कर दी थी। वहीं, मेयर के वकील ने मामले में दाखिल जवाब को वापस लेने का अनुरोध किया था।

याचिकाकर्ता पार्षद शिखा रॉय और कमलजीत सहरावत के वकील ने इस अनुरोध का विरोध करते हुए कहा था कि यह स्थायी समिति के गठन को रोकने का प्रयास है, जबकि ये एमसीडी के संचालन के लिए बहुत जरूरी है।

क्यों महत्वपूर्ण है स्थायी समिति?

एमसीडी में मेयर और डिप्टी मेयर के अलावा स्थायी समिति के पास भी शक्तियां होती हैं। स्थायी समिति नगर निगम के अहम फैसले लेने वाली संस्था है। स्थायी समिति निगम की नीति और वित्तीय फैसलों पर कंट्रोल रखती है और स्थायी समिति का अध्यक्ष का पद ही नगर निगम का सबसे शक्तिशाली पद होता है।

इसलिए समिति के अध्यक्ष पद पर दोनों ही पार्टी (आप और भाजपा) अपना कब्जा जमाना चाहती थीं। इसके चलते सदन में खूब हंगामा भी हुआ। अध्यक्ष पद पर कब्जा करने के लिए पार्टियों को पहले समिति के सदस्यों का चुनाव जीतना जरूरी होता है।

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