उत्तराखंड: वैष्णोदेवी और तिरुपति बालाजी की तर्ज पर होगी चारधाम की व्यवस्था, 51 मंदिर भी शामिल
खास बातें
- तीर्थ पुरोहितों के हकहकूक रहेंगे सुरक्षित, कैबिनेट ने विधेयक को दी मंजूरी
- श्राइन बोर्ड पर कैबिनेट की मंजूरी होते ही विरोध में उतरे तीर्थ-पुरोहित
- प्रदेश सरकार ने वैष्णोदेवी और तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। श्राइन बोर्ड बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के अलावा पौराणिक और धार्मिक महत्व के 51 मंदिरों की व्यवस्था एवं प्रबंधन देखेगा।
उधर, प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूर चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन के प्रस्ताव का विरोध भी शुरू हो गया है। देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्ण कांत कोटियाल ने आरोप लगाया कि सरकार ने सलाह मशविरा किए बगैर निर्णय ले लिया। तीर्थ पुरोहित समाज इससे व्यथित है। सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध किया जाएगा। वर्ष 2004 में सरकार चारधाम का अधिनियम बनाने का प्रयास किया था।
बता दें कि बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड प्रबंधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी गई। यह विधेयक चार दिसंबर से आरंभ हो रहे विधानसभा सत्र के दौरान सदन के पटल पर रखा जाएगा।
विधानसभा में पारित होने के बाद ये अधिनियम की शक्ल ले लेगा। वहीं, चारधाम मंदिरों व उक्त क्षेत्र के विकास एवं रखरखाव के लिए चारधाम निधि का भी गठन होगा। कैबिनेट बैठक में कुल 36 विषयों पर चर्चा हुई, जिनमें से 35 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गई।
ये 51 मंदिर होंगे शामिल
चारधाम विकास बोर्ड का होगा गठन
मुख्य सचिव, सचिव पर्यटन, सचिव संस्कृति एवं धर्मस्व व सचिव वित्त पदेन सदस्य होंगे जबकि केंद्र सरकार का अधिकारी जो संयुक्त सचिव स्तर से कम का न हो विशेष आमंत्रित सदस्य होगा।
बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सदस्य सचिव होंगे। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बोर्ड का सीईओ होगा। बोर्ड में चारधाम के पुजारी व वंशागत पुजारी का प्रतिनिधित्व भी होगा। बोर्ड में क्षेत्र के सांसद, विधायक व टिहरी राजघराने के सदस्य व उनका प्रतिनिधि भी सदस्य होगा।
श्राइन बोर्ड के अधीन हो जाएंगी समितियां उपसमितियां
हक-हकूकों का रखा जाएगा ध्यान, गठित होंगी दो समिति
श्राइन बोर्ड के प्रस्ताव में चार धाम के वंशानुगत पंडा समाज, तीर्थ पुरोहित एवं पुजारियों के हक-हकूकों के लिए दो समितियों का गठन होगा। उनकी शिकायतों की सुनवाई के लिए पहली समिति सीईओ की अध्यक्षता में होगी। यदि यहां संतुष्टि नहीं मिलेगी तो मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति में शिकायत की जा सकेगी।
मंत्रिमंडल के महत्वपूर्ण फैसले
पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत : पूर्व मुख्यमंत्रियों से आवास का किराया सरकारी अधिकारियों पर लागू दरों से 25 प्रतिशत अधिक वसूला जाएगा। पहले सर्किल रेट के आधार पर वसूला जाता था। उन्हें राहत दे दी गई। उत्तराखंड भूतपूर्व मुख्यमंत्री सुविधा (आवासीय एवं अन्य सुविधाएं) विधेयक, 2019 के मसौदे को मंजूरी दी गई। यह विधेयक विधान सभा सत्र में लाया जाएगा।
अग्रिम जमानत को मंजूरी : अग्रिम जमानत को मंत्रिमंडल ने सशर्त मंजूरी दे दी। इसमें उच्च न्यायालय में आवेदन करने वाला व्यक्ति सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर नहीं कर पाएगा। वहीं, पांच धाराओं में अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। इसका विधेयक सत्र में आएगा।
जमींदारी भूमि विनाश अधिनियम का संशोधन विधेयक आएगा : 15 साल के लिए भूूमि लीज पर देने के संबंध में जमींदारी भूमि विनाश और व्यवस्था अधिनियम 1950 का संशोधन विधेयक सत्र में आएगा।
बांस से स्कूल भवन बनाने को मंजूरी : भूकंप के लिहाज से संवेदनशील 5117 स्कूलों के भवन बांस से बनेंगे। एक भवन की लागत 25 लाख रुपये आएगी।