सादगी से मनाया गुरु तेग बहादुर जी का ४०० वां प्रकाश पर्व                            

सादगी से मनाया गुरु तेग बहादुर जी का ४०० वां प्रकाश पर्व                            

देवबंद [24CN] : गुरुद्वारा  श्री गुरुनानक सभा में हिंद की चादर नोंवें पातशाह साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी का ४०० वां प्रकाश पर्व सादगी पूर्वक तरीके  से सूक्ष्म रूप में मनाया गया।

संगतों को संबोधित करते हुए भाई जोगेंद्र सिंह बेदी ने कहा कि साहिब गुरु तेग बहादुर जी ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया।उनका जन्म आज से ४०० वर्ष पूर्व अमृतसर में छठे गुरु हरगोबिंद साहिब जी के घर हुआ था। उनका बचपन का नाम त्याग माल था। गुरु जी का विवाह माता गुजरी जी से हुआ। औ

रंगजेब के जबर व जुल्म से परेशान होकर जब कश्मीरी पंडितों ने आनन्दपुर साहिब पहुँचकर अपनी व्यथा सुनाई तो गुरु जी ने कहा कि औरंगजेब से कह दो की वो यदि हमारा धर्म परिवर्तन करा दे तो हम सब भी इस्लाम धर्म कबूल कर लेंगे। इसके बाद गुरु जी अपने शिष्यों भाई मतिदास, भाई सतिदास व भाई दयाला जी के साथ दिल्ली की ओर चल दिए। औरंगजेब ने गुरु जी व उनके शिष्यों को कैद कर लिया।

इस्लाम कबूल न करने पर पहले गुरु जी तीनों शिष्यों को यातनाएं देकर शहीद किया गया और फिर गुरु जी को भी दिल्ली के चांदनी चैक पर शहीद किया गया। जहाँ  आज गुरुद्वारा सीस गंज साहिब सुशोभित है। गुरुद्वारा कमेटी के प्रेस सचिव गुरजोत सिंह सेठी ने बताया कि कोरोना के चलते  गुरुद्वारे में संगतों की संख्या नाम मात्र को रही। लंगर का भी आयोजन नही किया गया। इस दौरान ज्ञानी सुखपाल सिंह, अमनदीप सिंह, हर्ष भारती, जितेश बत्रा, भोली मनचंदा, हर्षदीप मनचंदा, हरबंस कौर, गगनदीप सिंह ,बबनीश कौर आदि मौजूद थे।