नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग को और प्रगाढ़ किया जाएगा। यह सहयोग साथ मिलकर नए अत्याधुनिक सैन्य साजो-सामान के निर्माण से लेकर दोनों देशों के विशेष सैन्य बलों के बीच सामंजस्य को बेहतर बनाने तक होगा। दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल की जरूरत को देखते हुए हर वर्ष बातचीत करने का एक ढांचा तैयार किया गया है जिसकी शुरुआत इसी वर्ष होगी। दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग में एक दूसरे के साथ सूचनाओं को और तेजी से साझा करने पर भी सहमति बनी है। दोनों देशों के विदेश व रक्षा मंत्रियों के बीच सोमवार को हुई टू प्लस टू वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में यह जानकारी दी गई है।

एक दशक पहले तक भारत अमेरिका से कोई भी रक्षा खरीद नहीं करता था, लेकिन आज की तारीख में अमेरिका भारत का एक प्रमुख रक्षा उपकरण आपूर्तिकर्ता देश बन गया है। सैन्य क्षेत्र में सहयोग पर हुई बातचीत के बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अमेरिका हमारा रणनीतिक साझीदार देश है और मैंने अमेरिकी कंपनियों को भारत के रक्षा क्षेत्र में निवेश करने व विकास के लिए आमंत्रित किया है। अमेरिकी कंपनियां भारत में हर तरह के सैन्य उपकरण बना सकती हैं। हम साझा लक्ष्यों को लेकर काम कर रहे हैं। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थायित्व और संपन्नता के लिए भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी बहुत ही महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने यह भी बताया कि उक्त बैठक में भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति के बारे में भी चर्चा हुई।

अंतरिक्ष और साइबर स्पेस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का भी फैसला

अमेरिकी रक्षा मंत्री लायड आस्टिन ने कहा कि हम सूचनाओं को और ज्यादा साझा करने जा रहे हैं। साथ ही अंतरिक्ष और साइबर स्पेस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का भी फैसला किया है। उन्होंने यह भी कहा कि हम आगे अब सैन्य सहयोग में कोई भी अवसर गंवाना नहीं चाहते। हिंद महासागर और उसके आसपास के क्षेत्र में भारत की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बारे में आस्टिन ने कहा कि दोनों देश एक समान सोच रखते हैं और इस उद्देश्य से दोनों देशों की नौसेना और वायुसेना के बीच सहयोग बढ़ाने को लेकर भी बात हो रही है।

अमेरिकी नौसेना जहाजों को भारत में मरम्मत की होगी सुविधा

दोनों देशों की सरकारें चाहती हैं कि इस क्षेत्र में निजी कंपनियों के बीच सहयोग बढ़े। एक दूसरे देश की निजी रक्षा क्षेत्र की कंपनियों को एक दूसरे की आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा। नौ सैन्य क्षेत्र में भी सहयोग की काफी संभावनाओं को देखते अमेरिकी नौसेना जहाजों को भारतीय बंदरगाहों पर मरम्मत की सुविधा देने का भी फैसला किया गया है।