नागपुर में विजयादशमी पर RSS प्रमुख मोहन भागवत के भाषण की 10 प्रमुख बातें

नागपुर में विजयादशमी पर RSS प्रमुख मोहन भागवत के भाषण की 10 प्रमुख बातें
हाइलाइट्स
  • मोहन भागवत ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के लिए मोदी सरकार की जमकर तारीफ की है
  • मोहन भागवत ने कहा कि देशहित में लोगों की इच्छाएं पूर्ण करने का साहस दोबारा चुने हुए सरकार में ही है
  • भागवत ने कहा, इस सरकार ने भी कई कड़े फैसले लेकर बताया कि उसमें पूरी तरह जनभावना की समझ है
  • इस दौरान भागवत ने उन पर भी निशाना साधा जो देश के विकास में बाधा बने हुए हैं, गांधी को भी याद किया

नागपुर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के लिए मोदी सरकार की जमकर तारीफ की है। उन्होंने कहा कि जन अपेक्षाओं को प्रत्यक्ष में साकार कर, जन भावनाओं का सम्मान करते हुए देशहित में उनकी इच्छाएं पूर्ण करने का साहस दोबारा चुने हुए सरकार में है। धारा 370 को अप्रभावी बनाने के सरकार के काम से यह बात सिद्ध हुई है। पाकिस्तान के पीएम पर निशाना साधते हुए आरएसएस चीफ ने कहा कि अपने गलत काम छुपाने के लिए संघ को कोसो, ये मंत्र इमरान खान ने भी सीख लिया है।

विजयादशमी के मौके पर नागरपुर में आयोजित कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख ने देश की सुरक्षा व्यवस्था, भारतीय सेना की तैयारी और सुरक्षा नीति के मोर्चे पर भी केंद्र सरकार की तारीफ की। पीएम मोदी की प्रशंसा करते हुए भागवत ने कहा कि इस सरकार ने भी कई कड़े फैसले लेकर बताया कि उसे जनभावना की समझ है। इस दौरान भागवत ने उन पर भी निशाना साधा जो देश के विकास में बाधा बने हुए हैं। साथ ही उन्होंने महात्मा गांधी और गुरुनानक देव को भी याद किया। आइए, आरएसएस प्रमुख के भाषण के 10 अहम बिंदुओं पर नजर डालते हैं- टॉप

1- देशहित और जनभावना का सम्मान:जन अपेक्षाओं को प्रत्यक्ष में साकार कर, जनभावनाओं का सम्मान करते हुए, देशहित में उनकी इच्छाएं पूर्ण करने का साहस दोबारा चुने हुए शासन में है। धारा 370 को अप्रभावी बनाने के सरकार के काम से यह बात सिद्ध हुई है।

2- 370 पर केंद्र की तारीफ: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के लिए मोदी सरकार को एक साहसी फैसला लेने वाली सरकार बताया।

3- सेना की तैयारी:सौभाग्य से हमारे देश के सुरक्षा सामर्थ्य की स्थिति, हमारे सेना की तैयारी, हमारे शासन की सुरक्षा नीति तथा हमारे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुशलता की स्थिति इस प्रकार की बनी है कि इस मामले में हम लोग सजग और आश्वस्त हैं।

4- देश के अंदर उग्रवादी हिंसा में कमी:हमारी स्थल सीमा और जल सीमाओं पर सुरक्षा सतर्कता पहले से अच्छी है। केवल स्थल सीमा पर रक्षक व चौकियों की संख्या और जल सीमा पर(द्वीपों वाले टापुओं की) निगरानी अधिक बढ़ानी पड़ेगी। देश के अंदर भी उग्रवादी हिंसा में कमी आई है। उग्रवादियों के आत्मसमर्पण की संख्या भी बढ़ी है।

5- दुनिया में बढ़ा दबदबा:बीते कुछ वर्षों में एक परिवर्तन भारत की सोच की दिशा में आया है। उसको न चाहने वाले व्यक्ति दुनिया में भी है और भारत में भी। भारत को बढ़ता हुआ देखना जिनके स्वार्थों के लिए भय पैदा करता है, ऐसी शक्तियां भी भारत को दृढ़ता व शक्ति से संपन्न होने नहीं देना चाहती।

6- सामाजिक समरसता पर बल: समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद तथा सहयोग बढ़ाने के प्रयास में प्रयासरत होना चाहिए। समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता व सहयोग तथा कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति यह आज की स्थिति में नितांत आवश्यक बात है।

7- लिंचिंग से संघ कार्यकर्ताओं का संबंध नहीं: मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि देश में ऐसी कुछ घटनाएं देखने को मिलती है और हर तरफ से देखने को मिलती हैं। कई बार तो ऐसा भी होता है कि घटना होती नहीं है लेकिन उसे बनाने की कोशिश की जाती है। संघ का नाम लिंचिंग की घटनाओं से जोड़ा गया, जबकि संघ के स्वयंसेवकों का ऐसी घटनाओं से कोई संबंध नहीं होता। लिंचिंग जैसा शब्द भारत का है ही नहीं क्योंकि भारत में ऐसा कुछ होता ही नहीं था।

8-उदारता हमारी परंपरा:कानून और व्यवस्था की सीमा का उल्लंघन कर हिंसा की प्रवृत्ति समाज में परस्पर संबंधों को नष्ट कर अपना प्रताप दिखाती है। यह प्रवृत्ति हमारे देश की परंपरा नहीं है, न ही हमारे संविधान में यह फिट बैठती है। कितना भी मतभेद हो कानून और संविधान की मर्यादा के अंदर ही न्याय व्यवस्था में चलना पड़ेगा। हमारे देश की परंपरा उदारता की है, मिलकर रहने की है।

9- इमरान खान को नसीहत:पाकिस्तानी पीएम इमरान खान पर निशाना साधते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- कुछ लोग संघ के बारे में बिना जानकारी के कुप्रचार करते हैं। इमरान खान भी यह बात सीख गए हैं।

10- अदालत का सम्मान: कुछ बातों का निर्णय न्यायालय से ही होना पड़ता है। निर्णय कुछ भी हो आपस के सद्भाव को किसी भी बात से ठेस ना पहुंचे ऐसी वाणी और कृति सभी जिम्मेदार नागरिकों की होनी चाहिए। यह जिम्मेदारी किसी एक समूह की नहीं है। यह सभी की जिम्मेदारी है। सभी को उसका पालन करना चाहिए।

मोहन भागवत

मोहन भागवत

 


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