योगी सरकार जल्द लाएगी ‘संस्कृति नीति’, लुप्त हो रही कलाओं के संरक्षण के लिए कदम, नए रोजगार अवसरों का होगा सृजन

लखनऊ : उत्तर प्रदेश को विश्व में सर्वोत्तम सांस्कृतिक गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश की संस्कृति नीति तैयार हो रही है। संस्कृति विभाग की ओर से इसे लेकर सभी अकादमियों को निर्देश दे दिए गए हैं।
कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में रोजगारपरक प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करना, इस क्षेत्र में काम कर रही संस्थाओं को आवश्यक सहायता उपलब्ध कराना और कलाकारों के कल्याण को लेकर नीति तैयार की जाएगी।
संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम के अनुसार प्रदेश की संस्कृति नीति को तैयार करने के लिए एक सप्ताह में सुझाव मांगा गया है। इसके लिए सभी अकादमियों को निर्देश दिया गया है, जिसके आधार पर प्रदेश के लिए एक कारगर संस्कृति नीति तैयार की जाएगी। भारत सरकार की संस्कृति नीति का भी अध्ययन किया जाएगा।
सरकार की मंशा है कि यूपी की कलाओं और संस्कृति के सभी पहलुओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए व्यक्तिगत, समूह, संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों, कारपोरेट क्षेत्र और व्यावसायिक घरानों को भी प्रोत्साहित किया जाए। नीति के केंद्र में रोजगार के नए अवसरों का सृजन और लुप्त हो रही कलाओं का संरक्षण होगा।
प्राचीन गुरु शिष्य परंपरा को मिलेगा प्रोत्साहन
संस्कृति नीति के जरिए प्रदेश के विविध स्थलों पर मौजूद पुरातात्विक महत्व के स्मारकों को राज्य संरक्षित सूची में शामिल किया जाएगा तथा पुरातात्विक सर्वेक्षण, उत्खनन कार्य पर और अधिक बल दिया जाएगा। यही नहीं संग्रहालयों में रखी गई कलाकृतियों, मूर्तियों, सिक्के, पेंटिंग्स, आभूषणों, वस्त्रों आदि के संरक्षण, शोध पर भी जोर दिया जाएगा। जनजातीय कला एवं लोक कला का संरक्षण, प्राचीन गुरु शिष्य परंपरा को प्रोत्साहन, अवध, ब्रज, बुंदेलखंड, पश्चिमांचल एवं पूर्वांचल क्षेत्र की कला एवं संस्कृति का संरक्षण, बौद्ध, जैन, सूफी, भक्ति, शाक्त, नाथ, कबीरपंथ के आधारभूत तत्वों का संरक्षण एवं संवर्धन भी किया जाएगा। इसके लिए जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना की जाएगी।