योगी सरकार ने इस वर्ष भी नहीं बढ़ाया गन्ना समर्थन मूल्य, किसान मायूस

योगी सरकार ने इस वर्ष भी नहीं बढ़ाया गन्ना समर्थन मूल्य, किसान मायूस

लखनऊ/नोएडा: योगी सरकार ने इस वर्ष भी गन्ना किसानों का मायूस किया है, पेराई सत्र 2020-21 के लिए गन्ना समर्थन मूल्य में कोई वृद्धि नहीं की। किसानों को गत सत्र के बराबर 325, 315 व 310 रुपये प्रति ङ्क्षक्वटल दर से गन्ना मूल्य भुगतान किया जाएगा।

योगी सरकार ने तर्क दिया है कि बाजार में चीनी के दाम नहीं बढऩे पर उत्पादन वृद्धि होने सेे लगातार तीसरे पेराई सत्र में भी गन्ना मूल्य नहीं बढृाया जा सका है। कैबिनेट बाई सर्कुलेशन फैसले के बाद पर्चियों पर गन्ने की मूल्य पर अंकित करने का कार्य आरंभ हो जाएगा। अगैती प्रजाति के गन्ने का मूल्य 325 रुपये, सामान्य प्रजाति 315 एवं अस्वीकृत प्रजाति का 310 रुपये प्रति क्विंटल होगा।

गन्ना समर्थन मूल्य नहीं बढऩे से किसानों में मायूसी है, परंतु चीनी उमद्यियों ने खुशी जाहीर की। हालाँकि किसानों को उम्मीद थी कि इस बार गन्ना मूल्य निर्धारण में हुए विलंब का लाभ मामूली वृद्धि के तौर पर मिल सकता है। कृषि कानूनों विरोधी आंदोलन को देखते हुए माना जा रहा था कि सरकार किसानों को खुश करने के लिए गन्ना समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी कर सकती है।

उधर, चीनी मिलों द्वारा गन्ना मूल्य वृद्धि का लगातार विरोध किया जा रहा था। उप्र चीनी मिल्स एसोसिएशन के सचिव दीपक गुप्ता का कहना है कि प्रदेश में चीनी का पुराना स्टाक इतना है कि वर्ष भर देश की जरूरत को पूरा किया जा सकता है। महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन बढऩे से भी उप्र की चीनी मिलों की बिक्री पर दुष्प्रभाव पड़ा है। गन्ना मूल्य बढ़ाया जाता तो मिलों द्वारा किसानों को भुगतान कर पाना संभव नहीं था।

किसानों का कहना है कि पिछले चार वर्षों यूरिया, डाई, व अन्य खाद सहित पेस्टिसाइड के दामों लगातार बढ़ोतरी के बावजूद भाजपा सरकार द्वारा गन्ना मूल्य में बढ़ोत्तरी न करना किसानों के साथ अन्याय है। पड़ोसी राज्य हरियाणा में गन्ना मूल्य 350 रुपये प्रति कुंतल व एक सप्ताह में  गन्ना मूल्य का भुगतान चीनी मिले कर रही है तो फिर उत्तर प्रदेश में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? योगी सरकार की मंशा ही किसानों को बर्बाद करने की है। अगले वर्ष विधानसभा चुनाव में इस अन्याय का बदला लिया जाएगा।