योग व ज्योतिष भारतीय संस्कृति के अनमोल रत्न: कपिल
- सहारनपुर में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम के कार्यक्रम को सम्बोधित करते महामंडलेश्वर कमल किशोर।
सहारनपुर [24CN] । उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम के तत्वावधान में युवा पीढ़ी को सनातन संस्कृति से जोडऩे के लिए आयोजित प्रशिक्षण वर्ग के शुभारम्भ पर वक्ताओं ने ज्योतिष के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रशिक्षणार्थियों से ज्योतिष के प्रति विश्वास की भावना को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। स्थानीय मिशन कम्पाउंड स्थित बीएचएस इंटर कालेज के सभागार में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर आयोजित त्रैमासिक योग ज्योतिष एवं वास्तु प्रशिक्षण शिविर का शुभारम्भ महामंडलेश्वर संत कमलकिशोर नाथ, पूर्व सांसद राघव लखनपाल शर्मा, पूर्व विधायक सुरेंद्र कपिल, मंडल प्रशिक्षक राजेश पाल व प्रधानाचार्य ए. के. शर्मा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित करके किया। तत्पश्चात संगीतकार संजीव झिगरन ने सरस्वती वंदना व पं. रजनीश पुरोहित ने स्वस्ति वाचन किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए महामंडलेश्वर संत कमल किशोरनाथ ने कहा कि योग का मतलब जोडऩे से है। साथ ही ज्योतिष पूरी तरह विज्ञान पर आधारित गणित है जिसे एकाग्र होकर सीखने की जरूरत है। उन्होंने भारतीय संस्कृति में 108 के महत्व की वैज्ञानिकता को नक्षत्र एवं गृहों के माध्यम से सिद्ध किया। पूर्व सांसद राघव लखनपाल शर्मा ने कहा कि सनातन धर्म कभी भी विस्तारवादी नहीं रहा है। कहीं भी सनातन धर्म ने जोरजबरदस्ती करके लोगों को जोडऩे का काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि जो कमजोर संस्कृति होती है, उस पर ही लोग आक्रमण करते हैं और भारतीय संस्कृति भी आक्रमण का शिकार हुआ है। हमें अपनी संस्कृति के साथ मजबूती से जुडऩे की आवश्यकता है ताकि हमारी संस्कृति को कोई दबा न सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व विधायक सुरेंद्र कपिल ने कहा कि योग व ज्योतिष भारतीय संस्कृति के अनमोल रत्न हैं। इन्हें ग्रहण करने के लिए जितना अभ्यास किया जाता है उसका उतना ही प्रतिफल मिलता है। उन्होंने प्रशिक्षुओं से आह्वान किया कि वह प्रशिक्षण को रोजगारपरक बनाकर ज्योतिष की विश्वसनीयता को और अधिक मजबूत बनाने का काम करें। मंडल प्रशिक्षण राजेश पाल ने उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी देते हुए प्रशिक्षण के उद्देश्य पर प्रकाश डाला तथा प्रशिक्षणार्थियों से ज्योति व योग को सीखकर भारतीय संस्कृति के गौरवशाली इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया।
कालेज के प्रधानाचार्य ए. के. शर्मा ने कहा कि विद्यालय की स्थापना का मूल उद्देश्य संस्कृत का प्रचार प्रसार करना है। विद्यालय में प्रशिक्षण के आयोजन से विद्यालय की स्थापना का उद्देश्य सार्थक सिद्ध होगा। कार्यक्रम को खिचड़ी वाले बाबा शम्भूनाथ, शामली प्रशिक्षक अश्विनी शर्मा, सौराज सिंह, पूर्व प्रवक्ता लक्ष्मीचंद वर्मा व सतीश आर्य ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम में अतिथियों समेत उपप्रबंधक सर्वजीत शर्मा, कोषाध्यक्ष जगतनारायण शर्मा, प्रवक्ता संजय तेगवाल समेत कई प्रतिभाओं को अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। इस दौरान चौ. रामपाल सिंह, चौ. मदनपाल सिंह, चौ. महेशपाल सिंह, प्रदीप तुगाना, प्रवीण कुमार, राकेश पुरोहित, विशेष कुमार काकरान समेत प्रशिक्षणार्थी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन राजेश पाल ने किया।
