यस बैंक का बोर्ड भंग, रिजर्व बैंक ने निकासी की सीमा भी 50,000 रुपये तय की

यस बैंक का बोर्ड भंग, रिजर्व बैंक ने निकासी की सीमा भी 50,000 रुपये तय की

हाइलाइट्स

  • नकदी संकट से जूझ रही यस बैंक का निदेशक मंडल भंग
  • आरबीआई ने नियुक्त किया प्रशासक, कई तरह की पाबंदी भी
  • एक महीने में अब 50 हजार रुपये ही निकाल पाएंगे ग्राहक

नई दिल्ली
भारतीय रिजर्व बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के यस बैंक को लेकर गुरुवार को बड़ा फैसला लिया। RBI ने इस बैंक के निदेशक मंडल को भंग करते हुए प्रशासक नियुक्त कर दिया है। इसके साथ ही RBI ने गुरुवार को बैंक के जमाकर्ताओं पर निकासी की सीमा सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की पाबंदियां भी लगा दीं। केंद्रीय बैंक ने अगले आदेश तक बैंक के ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय कर दी है।

एक महीने में बस 50 हजार
अब इस बैंक के ग्राहक अगले एक महीने में 50 हजार रुपये से ज्यादा अपने खाते से नहीं निकाल पाएंगे। यह आदेश 5 मार्च 2020 को शाम 6 बजे से प्रभावी हो गया है और फिलहाल के लिए 3 अप्रैल 2020 तक प्रभावी रहेगा। बैंक का नियंत्रण भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में वित्तीय संस्थानों के एक समूह के हाथ में देने की तैयारी की गई है।

SBI के पूर्व सीएफओ बैंक के प्रशासक नियुक्त
आरबीआई ने देर शाम जारी बयान में कहा कि यस बैंक के निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है।

इससे करीब छह माह पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था। आपको बता दें कि यस बैंक काफी समय से डूबे कर्ज की समस्या से जूझ रहा है। इससे पहले दिन में सरकार ने एसबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों को यस बैंक को उबारने की अनुमति दी थी।

SBI का समूह यस बैंक को संकट से उबारेगा
इस बीच खबर है कि सार्वजनिक क्षेत्र का भारतीय स्टेट बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के यस बैंक (yes bank) को संकट से उबारेंगे। सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने एसबीआई की अगुआई वाले बैंकों के समूह को यस बैंक के अधिग्रहण की मंजूरी दे दी है। दिनभर यस बैंक को लेकर गतिविधियां चलती रहीं।

इस दौरान एसबीआई के निदेशक मंडल की बैठक भी हुई। ऐसी भी चर्चाएं है कि एलआईसी से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के साथ मिलकर हिस्सेदारी खरीदने की योजना पर काम करने को कहा गया है। कुल मिलाकर दोनों की यस बैंक में हिस्सेदारी 49 प्रतिशत रह सकती है। यस बैंक में एलआईसी पहले ही आठ प्रतिशत की हिस्सेदार है।

गौरतलब है कि कुछ सप्ताह पहले इस तरह की अटकलें थीं कि यस बैंक को सरकार उबरने में मदद करेगी। उस समय एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने भी कहा था कि संकट में फंसे बैंक को ‘बंद नहीं’ होने दिया जाएगा।

2018 से संकट में है यह बैंक
मुंबई मुख्यालय वाला यस बैंक अगस्त 2018 से संकट में है। उस समय रिजर्व बैंक ने बैंक के संचालन और ऋण से जुड़ी खामियों की वजह से तत्कालीन प्रमुख राणा कपूर को 31 जनवरी, 2019 तक पद छोड़ने को कहा था। उनके उत्तराधिकारी रवनीत गिल के नेतृत्व में बैंक ने संकटग्रस्त ऋणों की सूचना प्रकाशित की। बैंक को मार्च 2019 की तिमाही में पहली बार घाटा हुआ। यस बैंक ने शुरुआत में दो अरब डॉलर की पूंजी जुटाने की योजना बनाई थी। इस बारे में कई प्रस्तावों पर विचार-विमर्श हुआ था, लेकिन कोई सिरे नहीं चढ़ सका।

निजी क्षेत्र का चौथा बड़ा बैंक
भारत में प्राइवेट सेक्टर के चौथे सबसे बड़े बैंक यस बैंक की देश के 28 राज्यों और 9 केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूदगी है। देशभर में इसकी तकरीबन 1000 शाखाएं हैं और 1800 एटीएम हैं जिसके जरिए बैंक अपने ग्राहकों को सुविधाएं मुहैया कराता है।