सऊदी सरकार के तब्लीगी जमात पर पाबंदी लगाने की विश्व प्रसिद्ध दारूल उलूम ने की निंदा

देवबंद [24CN]। सऊदी अरब हुकूमत द्वारा तब्लीगी जमात पर अपने देश में पाबंदी लगा दिये जाने के फेसले से इल्मी व दीनी हल्कों में नाराजगी की लहर दौड गयी है। विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारूल उलूम ने निंदा की है तथा सऊदी सरकार से अपने इस फेसले पर फिर से विचार करने तथा इस तरह के फेसले लेने से परहेज करने की नसीहत दी है। साथ ही उलेमाओं ने भी सऊदी सरकार के इस निर्णय की निंदा की है।
-क्या कहा दारूल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने
सऊदी हुकूमत ने अपने देश में तब्लीगी जमात पर शिरक (अल्लाह के साथ किसी को शामिल करना) बिदअत (गैर इस्लामी कार्य) व दहशत गर्दी फैेलाने का आरोप लगाते हुये अपने देश में जमात के गिितिवधियों पर रोक लगा दी है। दारूल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासमी ने प्रेस को जारी ब्यान में कहा कि दारूल उलूम के वरिष्ठ उस्ताद रहे चुके हजरत मौलाना महमूद हसन रह0 के शिष्य स्व0 मौलाना मौ0 इलयास ने तब्लीगी जमात की शुरूआत की थी । जो दीनी व धार्मिक ऐतबार से फायदेमंद रही है और मामुली स्तर पर मतभेद के बावजूद तब्लीगी जमात अपने मिशन में सफलता के साथ काम कर रही है । उन्होने कहा कि लगभग पूरी दुनिया में तब्लीगी जमात काम कर रही है और इस पर शिरक बिदअत आतंकवाद के इल्जाम पूरी तरह बेमानी और निराधार है। उन्होने कहा कि दारूल उलूम सऊदी सरकार के इस निर्णय की निंदा करता है और मांग करता है तब्लीगी जमात पर लिये अपने फैेसले पर पुर्नविचार करे और इस तरह के फेैसले लेने से परहेज करे।
-इस निर्णय से पहले सऊदी सरकार को करना चाहिये था अन्य देशों के विद्वानों से विचार
प्रख्यात लेखक मौलाना नदीम अल-वाजिदी ने सऊदी सरकार के फैसले पर अपनी अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सऊदी सरकार से इस गैर जिम्मेदाराना रवैये की उम्मीद नहीं थी। सऊदी सरकार को अगर तब्लीगी जमात को लेकर कोई कदम उठाना था तो उसे भारत सहित अन्य देशों के विद्वानों के सामने इस पर विचार करना चाहिए था। कहा कि सऊदी सरकार को दुनिया के इस्लाम विरोधी मुद्दों पर भी नजर रखनी चाहिए। उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि सऊदी सरकार के इस कदम का दुनिया के अन्य हिस्सों में असर होगा, जहां तब्लीगी जमात जैसे धार्मिक संगठनों पर प्रतिबंध शुरू हो सकता है।
-सोच समझकर करना चाहिये था तब्लीगी जमात पर फैसला
मदरसा जामिया कासमिया के मोहतमिम मौलाना इब्राहिम कासमी ने कहा कि सऊदी अरब सरकार के इस रवैये का असर इस्लामिक दुनिया पर पडेगा इसलिए सऊदी सरकार को यह फैसला बहुत सोच समझकर करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि जिस देश में सिनेमा हॉल और जुए के अड्डे खुल रहे हों वहां किसी भी धार्मिक समूह के खिलाफ अचानक प्रतिबंध लगाना निंदनीय है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के सामाजिक संगठनों को शांतिपूर्वक ढंग से सऊदी दूतावासो के सामने अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए।