शोभित विश्वविद्यालय में सांझी लोककला पर कार्यशाला, विद्यार्थियों ने बनाई सांझी
गंगोह। शोभित विश्वविद्यालय, गंगोह में विरासत यूनिवर्सिटी हेरिटेज रिसर्च सेंटर द्वारा आयोजित ‘सांझी संवाद एवं कार्यशाला’ में विद्यार्थियों ने पारंपरिक लोककला ‘सांझी’ का महत्व सीखा और उसे अपने हाथों से सृजित किया। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और सांझी से जुड़े धार्मिक, सांस्कृतिक और कलात्मक पक्षों को समझने का अवसर पाया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के सभागार में किया गया, जिसमें दो सत्र आयोजित हुए। पहले सत्र में ‘संवाद’ का आयोजन हुआ, जहां विरासत यूनिवर्सिटी हेरिटेज रिसर्च सेंटर के समन्वयक और इतिहासकार राजीव उपाध्याय यायावर ने सांझी की लोक महत्ता और इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सांझी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पुरातन लोककला है, जो धार्मिक अभिव्यक्ति के साथ-साथ सामाजिक चेतना और कला की अभिरुचि को सशक्त रूप में प्रस्तुत करती है।
राजीव उपाध्याय ने कहा कि इस लोककला को संरक्षित कर इसे प्रोत्साहन देना आवश्यक है ताकि भावी पीढ़ियों तक यह कला जीवित रह सके। उन्होंने सरकार से सांझी को संरक्षित कला घोषित करने का आग्रह किया।
दूसरे सत्र में सांझी निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जहां विद्यार्थियों ने कच्ची मिट्टी का प्रयोग करते हुए सांझी कला की विभिन्न सामग्री तैयार की और लोकगीतों के माध्यम से सांझी से जुड़े सांस्कृतिक पक्ष को भी व्यक्त किया।
शोभित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.(डॉ.) रणजीत सिंह ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन लोककला को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों को इसे सिखाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
कुलसचिव प्रो.(डॉ.) महिपाल सिंह ने भी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया और प्रमाण-पत्र वितरित किए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षक प्रो.(डॉ.) प्रशांत कुमार, प्रो.(डॉ.) गुंजन अग्रवाल, डॉ. अभिमन्यु उपाध्याय समेत अन्य शिक्षाविद उपस्थित रहे।
प्रतिभाग करने वाले विद्यार्थियों में सिमरन, शिवानी, मुस्कान, मंतशा, अलवीरा, पारुल, वर्तिका राठी, अर्चना, खुशी, राजश्री, रितु और प्रिंसी शामिल थे।