लखनऊ । उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के पहले के साथ दूसरे कार्यकाल में कानून-व्यवस्था (Better Law And Order) पर बेहद गंभीर रहने का बड़ा परिणाम सामने आ गया है। एनसीआरबी ने साल 2021 के लिए राज्यवार क्राइम (State Wise Crime Data) के आंकड़े जारी किए हैं। एनसीआरबी के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanayh Government) में क्राइम पर कंट्रोल होता दिख रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश को दंगा मुक्त प्रदेश होने का गौरव मिला है। इसके साथ ही प्रदेश में महिला तथा बचिचयां भी पहले की अपेक्षा काफी सुरक्षित हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों ने उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ी राहत दी है।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार अपराध तथा अपराधी के नियंत्रण के मामले में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ माडल ने बड़ी छाप छोड़ी है। प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा से लेकर बच्चों तथा महिलाओं की सुरक्षा के मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार को एनसीआरबी के आंकड़ों ने काफी ऊपर का स्थान दिया है। महिलाएं और बच्चे योगी आदित्यनाथ के राज में काफी सुरक्षित हैं। वर्ष 2019 की तुलना में महिला तथा बच्चों के खिलाफ अपराध में 2021 में एक-दो या तीन नहीं, बल्कि छह से 11 फीसदी की कमी आई है।

उत्तर प्रदेश में 2019 की तुलना में बीते 2021 में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में बड़ी कमी आई है। 2019 की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 6.2 प्रतिशत तो बच्चों के खिलाफ हुए अपराधों में 11.11 परसेंट की कमी आई है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में बच्चों के खिलाफ 18943 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2021 में यह संख्या घटकर 16838 हो गई। 2019 में महिलाओं के खिलाफ 59853 मामले दर्ज थे जो कि 2021 में घटकर 56083 हो गए।

साइबर क्राइम में भी काफी कमी

प्रदेश में साइबर क्राइम भी काफी कम हुआ है। एनसीआरबी के डेटा की मानें तो साइबर क्राइम के मामले में भी 22.6 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। 2019 में साइबर क्राइम के 11416 मामले दर्ज थे जो 2021 में घटकर 8829 हो गए।

2021 में सांप्रदायिक हिंसा का सिर्फ एक मामला

उत्तर प्रदेश यूपी में सांप्रदायिक हिंसा के मोर्चे पर आंकड़ों पर गौर करें तो 2021 में देश में सांप्रदायिक हिंसा के 378 मामले दर्ज हुए। जिनमें से उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक ही मामला दर्ज हुआ। महाराष्ट्र में सर्वाधिक सौ, झारखण्ड में 77 और हरियाणा में 40 मामले दर्ज हुए। उत्तर प्रदेश में 2019 और 2020 में दंगा का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ।