फर्जी आधार कार्ड बनाकर बैनामा करने वाली महिला को किया गिरफ्तार

- सहारनपुर में पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गई महिला आरोपी।
बिहारीगढ़। थाना बिहारीगढ़ पुलिस ने धोखाधड़ी के मामले में वांछित चल रह एक महिला को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से आधार कार्ड, पेनकार्ड व दो वोटर कार्ड बरामद कर लिए। थाना बिहारीगढ़ प्रभारी बीनू चौधरी ने बताया कि विगत 9 अप्रैल को वादी अरूण तोमर पुत्र धर्मवीर सिंह निवासी देहरादून द्वारा कुछ आरोपियों द्वारा धोखाधड़ी से कूटरचित दस्तावेज तैयार करके फर्जी बैनामा कराने के सम्बंध में थाना बेहट में मुकदमा दर्ज कराया था।
उन्होंने बताया कि आज उनके नेतृत्व में पुलिस ने थाना बेहट से सम्बंधित महिला आरोपी गीता उर्फ सत्यवती पत्नी विजय कुमार निवासी श्यामपुरी कालोनी धोबीघाट नियर अरबी मदरसा थाना मंडी हाल निवासी गांव बेलड़ा नियर गोगा म्हाड़ी के पास मकान सुखवीर पुत्र शोभाराम थाना कोतवाली सिविल लाईन रूड़की को गांव बेलडा से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने गीता के कब्जे से एक आधार कार्ड, एक पेन कार्ड व दो वोटर कार्ड बरामद कर लिए। थाना प्रभारी बीनू चौधरी ने बताया कि पूछताछ में गीता उर्फ सत्यवती ने बताया कि विगत 20 साल से श्यामपुरी कालोनी में अपने बच्चों के साथ रह रही थी। करीब 15 वर्ष पूर्व उसके पति मौत हो गई थी। घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी जिस कारण मैंने अपना मकान बेच दिया था।
गीता ने बताया कि वह लड़के-लड़की की शादी कराने का काम भी करती है। इस कारण मेरी जान-पहचान बिजनौर के ओमपाल से हुई थी जिसने मेरी मुलाकात हरिद्वार के मंसूर से कराई थी। मंसूर ने मुझे बताया था कि दिल्ली-देहरादून गांव थापुल-इस्माइलपुर में मेरे भाई की कुछ जमीन है तथा वह विदेश में रहता है। इसलिए मैं उस जमीन का एग्रीमेंट करना चाहता है। इसके लिए तुम्हें गीता बनना पड़ेगा। इसके एवज में मंसूर ने मुझे 50 हजार रूपए देने का वायदा भी किया था। इस काम के लिए मंसूर ने मेरा गीता के नाम से आधार कार्ड बनवाया था तथा दो वर्ष पूर्व मंसूर ने मुझे देहरादून बुलाकर केनरा बैंक में मेरा खाता खुलवाया था।
उस खाते व एटीएम पासबुक सभी कागजात उसके पास हैं। मैंने तो सिर्फ गीता के नाम से हस्ताक्षर किए थे। जिस बैंक का फार्म मुझे दिखाया था उस पर मेरी फोटो व हस्ताक्षर थे। इसके कुछ बाद मंसूर मुझे गागलहेड़ी से गाजियाबाद तहसील ले गया। उसके साथ तीन व्यक्ति थे जिनमें से एक रामचंद्र था तथा दो के नाम मुझे पता नहीं। गाजियाबाद में मैंने कुछ कागजों पर हस्ताक्षर किए थे। उसने बताया कि पैसों के लालच में मैं मंसूर के साथ मिल गई थी और गीता के नाम का आधार कार्ड मंसूर के पास ही है।