उर्दू के बिना सेक्यूलर किरदार मज़बूत नहीं होगा: दानिश

- विश्व उर्दू दिवस के उपलक्ष में मुशायरें की शमां रोशन करते अतिथि
सहारनपुर [24CN]। उर्दू तालिमी बोर्ड व उप्र अंजुम तरक्की उर्दू के तत्वावधान में विश्व उर्दू दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उर्दू भाषा के बल पर धर्म निरपेक्षता को मजबूत किए जाने का आह्वान किया। इस अवसर पर मुशायरे का आयोजन कर शायरों ने अपने कलाम सुना श्रोताओं की दाद बंटोरी।
मौहल्ला छत्ता जम्बुदास स्थित बोर्ड के कार्यालय पर प्रख्यात उर्दू शायर अल्लामा इकबाल की जयंती के मौके पर विश्व उर्दू दिवस का आयोजन किया गया। बोर्ड अध्यक्ष साबिर अली खान ने कहा कि जबानें धर्म की गुलाम नहीं होती, लेकिन ज़बान इंसान की पहचान होती है। उर्दू शिक्षक सही ढ़ंग से बच्चों को तालीम नहीं दे पा रहे है। इसकी वजह यह है कि उर्दू को उन्होंने केवल रोज़ी रोटी तक सीमित रखा है।
बोर्ड महासचिव दानिश सिद्दीकी ने कहा कि शायर डा० अल्लामा इकबाल के जन्मदिन को उर्दू दिवस के रूप में मनाया जाता है। अल्लामा इक़बाल ने अपनी शायरी में जो तराना लिखा, उसका बदला नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि बच्चों को हिन्दी, अंग्रेजी के साथ उर्दू भी जरूर पढ़ाएं और उच्च शिक्षा दिलाएं। उर्दू ज़बान किसी कौम, मज़हब, मिल्लत, जाति या देश तथा खास क्षेत्र की ज़बान नहीं है। उर्दू सद्भावना व राष्ट्रीय एकता की ज़बान है। उर्दू के बगैर हमारा सेक्यूलर किरदार मज़बूत नहीं होगा।
इस अवसर पर मुशायरे का आयोजन डा० आबिद हसन वफ़ा की नातेपाक से हुआ। यूँ तो ज़बान सैकड़ो दुनिया मे है मगर..। तहज़ीब किसको कहते है उर्दू बतायेगी..। फ़राज़ अहमद फ़राज़ ने पढा कि पड़ोसी हो के यूँ आँखे ना बदलो.। हमारा घर तुम्हारा घर रहा है..। महमूद असर के इस शेर को ख़ूब पसंद किया.. तुम्हारे ज़हनों में उर्दू का इंतेख़ाब नही..। येही सबब है के लहजे में जी-जनाब नही..।
अंजुम सहरानपुरी ने कुछ यूं बयां किया.. मैं कामयाब हुआ रब को गर मनाने में..। लगेगी देर कहा फिर निजात पाने में..। इकबाल अहमद मंसूरी ने इस शेर से ख़ूब वाह वाही लूटी.. असीर हो गए ज़ुल्फ़ों में अमीर व ग़ालिब सब..। उड़ा ना कोई भी इक़बाल की उड़ान के साथ..। कार्यक्रम की शमा रोशन नवेद उल हक़ सिद्दीकी ने की और अध्यक्षता इक़बाल अहमद मंसूरी संस्थापक बज़्मे इक़बाल सानी ने की।
कार्यक्रम का संचालन अंजुम सहरानपुरी ने किया। अंत मे डा० अल्लामा इक़बाल साहब को कार्यक्रम में मौजूद सभी ने खि़राजे अक़ीदत पेश की। इस अवसर पर राफे सिद्दीकी, हुजैफ़ सिद्दीकी, अरशद रहमानी, राव रमीज़, रय्यान सिद्दीकी, शादान अज़ीज़ आदि ने विचार व्यक्त किया।