रियाज नायकू के खात्मे के साथ ही पूरा हुआ डोभाल के ऑपरेशन ‘जैकबूट’ का बड़ा मकसद

रियाज नायकू के खात्मे के साथ ही पूरा हुआ डोभाल के ऑपरेशन ‘जैकबूट’ का बड़ा मकसद

 

  • NSA अजीत डोभाल ने कश्मीरी आतंकवादियों के खात्मे के लिए ऑपरेशन जैकबूट लॉन्च किया था
  • बुरहान वानी से प्रभावित होकर कश्मीरी युवा आतंक की राह पर चल पड़े तो ऑपरेशन लॉन्च किया गया
  • बुरहान के ग्रुप में 10 कश्मीरी थे जिनका पहले ही काम तमाम किया जा चुका था
  • बुधवार को रियाज नाइकू के मारे जाने के साथ ही ऑपरेशन जैकबूट का बड़ा मकसद पूरा हो गया

नई दिल्ली
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को भारत का जेम्स बॉन्ड यूं ही नहीं कहा जाता है। हिज्बुल मुजाहिदीन के चीफ कमांडर रियाज नायकू के खात्मे ने डोभाल की जेम्स बॉन्ड वाली छवि को और भी मजबूत कर दिया है। यह उन्हीं के ऑपरेशन ‘जैकबूट’ का कमाल है कि आतंक के पोस्टर बॉय बुरहान वानी की जगह लेने वाला रियाज नायकू भी आज इस दुनिया में नहीं है। नायकू, ऑपरेशन जैकबूट की लिस्ट का आखिरी बड़ा आतंकवादी था जिसे उसके पैतृक गांव में ही घेरकर सुरक्षाबलों ने मार गिराया।

क्यों पड़ी ऑपरेशन जैकबूट की जरूरत?
डोभाल ने ऑपरेशन जैकबूट तब लॉन्च किया जब दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा, कुलगाम, अनंतनाग और शोपियां जिलों को आतंकियों की ओर से ‘आजाद इलाका’ घोषित किया जाने लगा। बुरहान वानी के ग्रुप में सबजार भट्ट, वसीम माला, नसीर पंडित, इशफाक हमीद, तारिक पंडित, अफाकुल्लाह, आदिल खांडे, सद्दाम पद्दार, वसीम शाह और अनीस जैसे कई कश्मीरी युवा थे। इन सभी ने मिलकर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को तेज करने की साजिश रचनी शुरू कर दी थी।

विदेशी आतंकवादियों को पृष्ठभूमि में धकेल दिया गया क्योंकि ये कश्मीरी आतंकी स्थानीय युवाओं को आतंकवाद के रास्ते पर ले जाने में लगातार कामयाबी हासिल करने लगे थे। कई पढ़े-लिखे कश्मीरी युवकों के लिए आतंक की राह चुनना एक मकसद सा बनने लगा। ये स्थानीय पुलिसकर्मियों को टॉर्चर करने लगे, उनके परिवारों को तंग करने लगे और कई बार उन्हें मार भी दिया जाता ताकि वो आतंकवादी अभियानों में हिस्सा नहीं लें। बुरहान का यह ग्रुप कई बार अलग-अलग गावों में बिना किसी डर के पार्टियां मनाने लगा था। ग्रुप ने मुखबिरों की ताकतवर फौज खड़ी कर ली थी। लोग उसे सुरक्षाबलों की गतिविधियों की हर खबर इसलिए भी देते क्योंकि वो सभी उनके बीच के ही लड़के थे।

कश्मीर में ‘अपने आंख-कान’ की बदौलत डोभाल ने रची पटकथा
पाकिस्तान परस्त कश्मीरी युवाओं के आतंकवादी संगठनों में शामिल होने से डोभाल थोड़े चिंतित तो जरूर हो रहे थे, लेकिन उन्हें अपनी रणनीति और सुरक्षा बलों की क्षमता पर पूरा भरोसा था। डोभाल को इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने के लिए कड़ा और बड़ा कदम उठाने की जरूरत महसूस हुई। डोभाल ने अपने उन माध्यमों का सहारा लिया जिन्हें कश्मीर में उनका ‘आंख-कान’ कहा जाता है। डोभाल के इन ‘आंख-कान’ के बारे में सुरक्षा बलों को भी ज्यादा पता नहीं होता है। इंटेलिजेंस सर्किल में इन्हें ‘डोभाल साहब के ऐसेट्स’ कहा जाता है।

डोभाल ने इन ऐसेट्स की बदौलत ऑपरेशन जैकबूट का खाका तैयार किया और उसे अंजाम तक पहुंचाने में जुट गए। ऑपरेशन के तहत मार गिराए जाने वाले आतंकवादियों की लिस्ट में बुरहान के इन 10 साथियों को भी शामिल किया गया जो 10 साथियों से घिरे बुरहान वानी की वायरल हुई तस्वीर में भी नहीं दिखे थे। मसलन, लतीफ टाइगर जो हिज्बुल का टॉप कमांडर था। वह बुरहान का बेहद करीबी था, लेकिन वायरल पिक्चर में वह कहीं नहीं था। 3 मई, 2019 को टाइगर समेत तीन आतंकवादी मार गिराए गए। उससे पहले, बुरहान को 8 जुलाई, 2016 को ही दुनिया से विदाई दी जा चुकी थी।

परिवार और गांव वालों के प्यार में मारा गया रियाज नाइकू

  • परिवार और गांव वालों के प्यार में मारा गया रियाज नाइकू

    नाइकू पिछले आठ वर्षों से फरार था। वह हिजबुल मुजाहिदीन का ऑपरेशनल कमांडर था जिसके मंगलवार को अपनै पैतृक गांव बेगपोरा आने की खबर सुरक्षा बलों को मिल गई थी। मंगलवार शाम को ही जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के बेगपोरा को चारों तरफ से घेर लिया गया और तलाशी अभियान छेड़ दिया गया। राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर), केंद्रीय पुलिस बल (सीआरपीएफ) और स्थानीय पुलिस के स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी) की ओर से संयुक्त अभियान चलाया गया। उन्होंने तत्काल ही गांव के सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं को सील कर दिया।इससे पहले, नायकू दक्षिण कश्मीर के शोपियां में तीन बार पुलिस को चकमा देकर फरार हो चुका था। इस वजह से सुरक्षा बलों ने इस बार पूरी एहतियात बरती और गांव में नायकू के मौजूद होने की सूचना मिलने के बाद उसे पकड़ने की योजना बनाई, लेकिन वह मारा गया। 8 जुलाई, 2016 को अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में पोस्टर बॉय और कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद रियाज नाइकू ने हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर के रूप में कमान संभाली थी। नाइकू के सिर पर 12 लाख रुपये का इनाम था। आतंकवादी रैंक में शामिल होने से पहले नाइकू ने एक स्थानीय स्कूल में गणित शिक्षक के रूप में काम किया था। 33 साल की उम्र में बंदूक उठाने से पहले उसे गुलाबों की पेंटिंग करने के शौक के लिए जाना जाता था।
  • गर्लफ्रेंड ने करवाया था आतंक के पोस्टर बॉय बुरहान वानी का खात्मा

    बुरहान वानी हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर था और आतंकियों के लिए वह पोस्टर बॉय था। खूबसूरत नैन-नक्श वाले बुरहान वानी की कई गर्लफ्रेंड थीं। उसकी गर्लफ्रेंड में से ही एक ने बेवफाई से आहत होकर सुरक्षा बलों से मुखबिरी कर दी और 8 जुलाई, 2016 को अनंतनाग में हुए एनकाउंटर में उसकी मौत हो गई। मई 2019 में बुरहान के आखिरी साथी लतीफ टाइगर सहित तीन आतंकी मारे गए थे। इन सभी आतंकियों पर दक्षिण कश्मीर में सरपंचों समेत कई स्थानीय लोगों की हत्या का आरोप था।
  • ​महिला के साथ रिलेशनशिप में था जुनैद अहमद मट्टू

    जून 2017 में हुए एनकाउंटर में मारा गया लश्कर आतंकी जुनैद अहमद मट्टू भी कुलगाम की एक महिला के साथ रिलेशनशिप में था। मट्टू अक्सर महिला से मिलने जाता था और सुरक्षा बलों ने इसी सूचना के आधार पर उसे मार गिराया। लश्कर का यह आतंकी कश्मीर के अरवानी गांव में मारा गया था। कुलगाम के खुदवानी गांव का रहने वाला मट्टू मात्र 24 वर्ष का था।
  • ​प्यार के फांस में ही फंसा था अबू दुजाना

    2017 के अगस्त महीने में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का आतंकी अबू दुजाना भी गर्लफ्रेंड के चक्कर में ही मारा गया था। जब वह अपनी नई गर्लफ्रेंड से मिलने गया तो उससे धोखा खाई पुरानी गर्लफ्रेंड ने पुलिस को उसकी सूचना दे दी थी।
  • छिप-छिप कर मासूका से मिलता था ​उमर माजिद गनी

    नवंबर 2018 में 5 साथियों के साथ मारे गए उमर माजिद पर पुलिसकर्मियों और 2 नागरिकों को मारने के केस में पुलिस ने 10 लाख का इनाम रखा था। सूत्र बताते हैं कि हिजबुल के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी उमर माजिद गनी आतंकी मंसूबे कितने भी घातक रहे हों, लेकिन इश्क के मामले में वह भी थोड़ा अलग था। कुलगाम की अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए वह अक्सर लुका-छिपी कर पहुंच जाता था।
  • ​अब्दुल्ला उनी की थी 5 गर्लफ्रेंड

    सोपोर में साल 2012 में लश्कर का कमांडर अब्दुल्लाह उनी मारा गया था, जिसकी 4 से 5 गर्लफ्रेंड्स थीं। सोपोर में उसका कहर था और सुरक्षाबलों के लिए उसे पकड़ना चुनौती बन गया था। अपने अफयेर्स की वजह से वह खुफिया एजेंसियों के रडार पर आ गया। आखिरकार उसकी एक गर्लफ्रेंड द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ही उसे सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया।
  • उमर खालिद की थीं 17 गर्लफ्रेंड

    सुरक्षा बलों ने 9 अक्टूबर, 2017 को जैश-ए-मोहम्मद आतंकी उमर खालिद को मार गिराया था। वह जैश का सीनियर कमांडर था। उसे नॉर्थ कश्मीर के लदूरा में मारा गया था जब उसने सिक्यॉरिटी फोर्सेज पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं। खालिद की मौत की वजह बनी उसकी एक गर्लफ्रेंड। एक सीनियर पुलिस ने बताया था कि खालिद को कुल 17 गर्लफ्रेंड थीं- कुछ नई, कुछ पुरानी। जिन लड़कियों को उसने धोखा दिया, वो खालिद से नफरत करने लगी थीं और उनमें कुछ ने पुलिस से भी संपर्क साध लिया था। खालिद को मार गिराने में उसकी जिस पुरानी गर्लफ्रेंड का हाथ था, उसने गुस्से में खालिद को जहन्नुम (नरक) तक कहा था।
  • गर्लफ्रेंड से मिलने आया और मारा गया बशीर वानी

    अप्रैल 2017 में बशीर वानी को सुरक्षा बलों ने अनंतनाग में एनकाउंटर में मार गिराया। सूत्रों के हवाले से मीडिया में ऐसी खबर आई थी कि उस वक्त लश्कर आतंकी वानी अपनी गर्लफ्रेंड से ही मिलने आया था।
  • ​सिविल सर्विस की तैयारी करती थी अंसार-उल-हक की गर्लफ्रेंड

    दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने नवंबर 2018 में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी अंसार-उल-हक को दिल्ली एयय पोर्ट से गिरफ्तार कर लिया था। तब उसकी उम्र महज 28 साल थी। वह जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला है। उस पर पुलवामा में सीआईडी के सब इंस्पेक्टर इम्तियाज अहमद मीर की हत्या का आरोप है। 30 वर्षीय मीर जब अपनी कार से घर जा रहे थे तभी उन्हें अगवा कर लिया गया था। बाद गोलियों से छलनी उनकी लाश चेवा कलां एरिया में मिली थी। इस पूरी प्लानिंग में अंसारुल की गर्लफ्रेंड सादिया शेख की मिलीभगत थी। सादिया सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी किया करती थी। उसके सब इंस्पेक्टर इम्तियाज से जान-पहचान थी। इस हत्या के बाद आतंकी अंसारुल पहले दिल्ली आया और फिर मुंबई गया, जहां से वो बेंगलूरू चला गया। स्पेशल सेल उसके हर मूवमेंट पर पिछले 15-20 दिनों से नजर रख रही थी, मंगलवार को जैसे ही वो दिल्ली एयरपोर्ट आया पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

 

इजरायली सरकार के ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड जैसा ही ऑपरेशन जैकबूट
डोभाल का यह ‘ऑपरेशन जैकबूट’ भी इजरायली सरकार के ‘ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड’ जैसा ही था। इजरायल गवर्नमेंट ने म्यूनिक में आयोजित 1972 के समर ओलिंपिक में मारे गए अपने लोगों का बदला लेने के लिए फिलिस्तीनी लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) के खिलाफ यह बेहद रहस्यमयी अभियान छेड़ा था। डोभाल ने भी इजरायली सरकार की तर्ज पर उन सभी कश्मीरी आतंकवादियों के खात्मे की रूपरेखा तैयार कर दी।

बुरहान के ग्रुप 11 का खात्मा
बुरहान ग्रुप से और जिन लोगों को खत्म किया जा चुका है, उनमें सबजार अहमद भट्ट (मई, 2017), वसीम माला (अप्रैल, 2015), नसीर अहमद पंडित (अप्रैल, 2016), अफाकुल्ला भट्ट (अक्टूबर, 2015), आदिल अहमद खांडे (अक्टूबर 2015), सद्दाम पद्दार (मई, 2018) के अलावा वसीम शाह और अनीस शामिल हैं। मोहम्मद रफी भट्ट भी पद्दार के साथ ही मारा गया था। बुरहान ग्रुप का एक और आतंकी तारिक पंडित 2016 में ही गिरफ्तार किया जा चुका था।

सीन में आया रियाज नायकू और फिर…
बुरहान के मारे जाने के बाद हिज्बुल को जल्द-से-जल्द एक तेजतर्रार कश्मीरी युवक की दरकार थी जिसे वह घाटी में आतंक के नए पोस्टर बॉय के रूप में पेश कर सके। उसी वक्त उसके हाथ रियाज नायकू लग गया। नायकू एक शिक्षित स्कूल टीचर था जिसे गणित की अच्छी समझ थी। वह गुलाबों पर अच्छी पैंटिंग किया करता था। वह बुरहान की तरह का ही चश्मा लगाता था।

जाकिर मूसा ने 2017 में हिज्बुल का साथ छोड़ दिया तो यह नायकू ही था जिसने संगठन को टूटने से बचा लिया। मूसा ने तब अंसार गजवातुल हिंद नाम की आतंकी संस्था बनाई थी जिसे अल-कायदा का इंडियन विंग माना जाता था। मूसा को 23 मई, 2019 को पुलवामा के त्राल सेक्टर स्थित दर्दसारा गांव में मार गिराया गया था।

प्रॉपेगैंडा फैलाने में माहिर था नायकू
तब से नायकू ऑपरेशन जैकबूट का एकमात्र हाई वैल्यू टेररिस्ट बन गया। उस पर 12 लाख रुपये का ईनाम भी घोषित किया गया। बुरहान के मारे जाने के आठ महीने बाद नायकू को हिज्बुल का चीफ घोषित किया गया था। उसके खात्मे से न केवल 3 मई को सुरक्षा बलों की हुई शहादत का बदला पूरा हुआ बल्कि घाटी में आतंकी गतिविधियों पर बड़ा विराम लगने की उम्मीद जगी। दरअसल, मूसा के हिज्बुल छोड़ने के बाद नायकू ने जम्मू-कश्मीर के पुलिस बलों से सरकारी नौकरी छोड़कर आतंकवाद में शामिल होने का आह्वान करने लगा था। उसी ने मारे गए आतंकवादियों के सम्मान में बंदूकों की सलामी देने की प्रथा पुनर्जीवित की थी। नायकू उन पुलिस वालों का अपहरण भी कर रहा था जिन्होंने उसकी अपील पर पुलिस की नौकरी नहीं छोड़ी थी।

वह प्रॉपगैंडा फैलाने में बहुत माहिर था। इस वजह से अच्छी-खासी संख्या में कश्मीर युवक आतंकवाद के रास्ते पर जाने लगे थे। आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी किए जाने के बाद उसने न केवल युवाओं बल्कि किशोर उम्र के बच्चों को भी आतंकवाद में शामिल करने का अभियान छेड़ चुका था। 35 वर्षीय नायकू पिछले 8 सालों से भागते-भागते आखिरकार बुधवार को डोभाल के ऑपरेशन जैकबूट का शिकार बन ही गया।

LoC के अंदर डोभाल की ‘उड़ी: द सर्जिकल स्ट्राइक’
नायकू के साथ ही बुरहान के ग्रुप 11 और उसकी विरासत का अंत हो चुका है। यह डोभाल का ही कमाल है कि कश्मीर घाटी इन पाकिस्तानी गुर्गों से मुक्त हो चुकी है। ऑपरेशन जैकबूट के तहत डोभाल ने आतंकियों के खात्मे की जो पटकथा तैयार की थी, वह कुछ-कुछ विकी कौशल की फिल्म ‘उड़ी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ जैसी ही लगती है।


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