क्या शिक्षामित्रों की बढ़ेगी सैलरी? योगी कैबिनेट से निर्णय की सिफारिश

क्या शिक्षामित्रों की बढ़ेगी सैलरी? योगी कैबिनेट से निर्णय की सिफारिश

लखनऊ। शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि के मामले में अब सरकार ही निर्णय लेगी। वृद्धि पर विचार को गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेज दी है। समिति ने कहा है कि शिक्षामित्रों के मानदेय में किसी भी प्रकार की वृद्धि का निर्णय केवल मंत्री परिषद स्तर से ही संभव है।

रिपोर्ट के अनुसार, सात फरवरी 2000 के शासनादेश के तहत शिक्षामित्रों को प्रारंभ में 700 प्रतिमाह मानदेय दिया गया था। इसके बाद मानदेय में छह बार वृद्धि की गई और वर्तमान में यह 10 हजार रुपये प्रति माह मानदेय मिल है। योजना प्रारंभ होने के समय के 1,450 रुपये मानदेय की तुलना में अब तक लगभग दस गुना वृद्धि की जा चुकी है।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 25 जुलाई 2017 को पारित आदेश के समय शिक्षामित्रों का मानदेय 3,500 रुपये प्रतिमाह था, जिसे बाद में 10 हजार कर दिया गया। यह वृद्धि मंत्रि परिषद के निर्णय के आधार पर शासनादेश द्वारा लागू की गई थी।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 6 सितंबर 2025 को शिक्षामित्रों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा प्रदान करने की घोषणा की थी। इसका पूरा वित्तीय भार राज्य सरकार वहन कर रही है, जिससे शिक्षामित्रों और उनके परिवारों को राहत मिली है।

वर्तमान में 1,42,450 शिक्षामित्रों के मानदेय पर राज्य सरकार का मासिक व्यय लगभग 1,577.35 रूपये करोड़ आता है। यदि प्रत्येक शिक्षामित्र का मानदेय एक हजार रुपये बढ़ाया जाता है तो सरकार पर वार्षिक रूप से लगभग 107.79 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि यह मामला व्यापक वित्तीय प्रभाव वाला है, इसलिए इस पर निर्णय किसी अधिकारी या समिति के स्तर पर नहीं, बल्कि मंत्री परिषद या अन्य सक्षम प्राधिकारी स्तर से ही लिया जा सकता है।

समिति ने सिफारिश की है कि 12 जनवरी 2024 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में शासन, मंत्री परिषद या सक्षम प्राधिकारी से आवश्यक विचार करने का अनुरोध किया जाए।


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