क्या हिमाचल में पक्की होगी BJP की जीत?, समझिए पीएम मोदी के डेरा ब्यास जाने के मायने

- पंजाब और हिमाचल प्रदेश में डेरा ब्यास का व्यापक प्रभाव है. खास नौजवानों के बीच ये काफी पॉपुलर है. यही वजह है कि दोनों ही राज्यों में सत्ता के दावेदार राजनीतिक दलों के बड़े नेता अक्सर उसकी शरण में दिख जाते है.
New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 नवंबर को हिमाचल प्रदेश के अपने चुनावी दौरे से पहले पंजाब के मशहूर डेरा ब्यास स्थित राधा स्वामी सत्संग जा सकते हैं. आदमपुर एयरबेस में उतरने के बाद वे सीधे डेरा ब्यास जा सकते हैं. प्रधानमंत्री का थोड़ी देर के लिए डेरा ब्यास में रुकने का कार्यक्रम है. इस दौरान प्रधानमंत्री के समुदाय प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से मिलने की उम्मीद है. पीएम मोदी के दौरे को लेकर स्थानीय स्तर पर अधिकारी तैयारियों में जुट गए हैं. सत्संग के बाद पीएम मोदी हिमाचल प्रदेश में दो चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे.
पीएम मोदी क्यों जा रहे हैं डेरा ब्यास
माना जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की जीत पक्की करने के मकसद से पीएम मोदी राधा स्वामी सत्संग की शरण में जा रहे हैं. राधा स्वामी सत्संग को डेरा बाबा जयमल सिंह के नाम से भी जाना जाता है. यह अमृतसर शहर से करीब 45 किमी दूर ब्यास शहर में स्थित है. इसके देश भर में, खासकर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में अनुयायी है. माना जाता है कि हिमाचल में कई क्षेत्रों में डेरा ब्यास का अच्छा खासा प्रभाव है. इस समुदाय के लोग कई सीटों पर चुनाव परिणामों के प्रभावित करते हैं. पीएम मोदी के डेरा ब्यास जाने से हिमाचल में इसके अनुयायी बीजेपी के पाले में आ सकते हैं. पीएम मोदी डेरा ब्यास के अपने इस दौरे से हिमाचल में इस समुदाय को साधने की कोशिश करेंगे.
क्या है राधा स्वामी सत्संग ब्यास?
राधा स्वामी सत्संग ब्यास की स्थापना 1891 में की गई थी इसका उद्देश्य लोगों को धार्मिक संदेश देना है. राधा स्वामी का मतलब होता है आत्मा के भगवान. सत्संग का मतलब होता है सच्चाई से परिचय कराना. राधा स्वामी सत्संग ब्यास दुनिया में कई जगह पर है. ब्यास दुनिया के 90 देशों में फैला हुआ है, जिनमें यूएसए, स्पेन, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अफ्रीका और कई नाम शामिल हैं. सभी जगह संगठन की अपनी प्रॉपर्टी है, जिसे ‘साइंस ऑफ द सोल स्टडी सेंटर’ के नाम से जाना जाता है. यहां ब्यास से जुड़े लोगों की मीटिंग्स होती रहती है. बता दें कि इसका किसी भी राजनीतिक दल या व्यावसायिक संस्थान से कोई लेना-देना नहीं है. सीधे तौर पर सत्संग राजनीति में हिस्सा नहीं लेता लेकिन अपने रसूख से राजनीति को प्रभावित जरूर करता है.
पंजाब की राजनीति में डेरों की अहमियत
राधा स्वामी सत्संग ब्यास पंजाब के उन छह डेरों में से एक है जिनके न सिर्फ लाखों-करोड़ों लोग अनुयायी हैं बल्कि इनका राजनीति रसूख भी है. पंजाब में एक चौथाई आबादी किसी न किसी डेरे से ताल्लुक रखती है. ये डेरे हैं- डेरा सच्चा सौदा, राधा स्वामी सत्संग ब्यास, नूरमहल डेरा (दिव्य ज्योति जागृति संस्थान), संत निरंकारी मिशन, नामधारी संप्रदाय और डेरा सचखंड बल्लां. ये डेरे बेहद प्रभावशाली हैं. पंजाब हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की 120 से ज्यादा विधानसभा सीटों अपना असर रखते हैं. हालांकि, पिछले चुनावों से एक सबक सीखते हुए डेरे (धार्मिक संप्रदाय) किसी विशेष पार्टी के पक्ष में खुलकर बोलने से बचने लगे हैं. लेकिन राजनीतिक दलों को अपना मंच उपलब्ध कराके उन्हें राजनीतिक फायदा उठाने में मदद करते हैं. यही वजह है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के बड़े नेता इन डेरों में अक्सर हाजिरी लगाते रहते हैं.
पंजाब में डेरा ब्यास का रसूख
पंजाब और हिमाचल प्रदेश में डेरा ब्यास का व्यापक प्रभाव है. खास नौजवानों के बीच ये काफी पॉपुलर है. इसी वजह है कि ये डेरा पंजाब और हिमाचल में ड्रग्स के शिकंजे में जकड़े हुए जवानों को इससे बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. यही वजह है कि दोनों ही राज्यों में सत्ता के दावेदार राजनीतिक दलों के बड़े नेता अक्सर उसकी शरण में दिख जाते है. पिछले साल पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने डेरा ब्यास में जाकर हाजिरी लगाई थी. पंजाब में इसकी अहमियत को देखते हुए पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने डेरा ब्यास के सहारे अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश की थी. चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने राधा स्वामी सत्संग डेरा ब्यास के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से मुलाकात की थी. वहीं मतदान से तीन दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह भी डेरा ब्यास की शरण में पहुंच गए थे.
हिमाचल में डेरा ब्यास का कितना असर?
हालांकि हिमाचल प्रदेश में बाबाओं का ज्यादा प्रभाव नहीं हैं. लेकिन कई इलाकों में डेरा ब्यास की जबरदस्त पकड़ है. धर्मशाला के पालमपुर के परौर में डेरे का सबसे बड़ा आश्रम है. इसे लेकर पिछले कई साल से विवाद चल रहा है. इसके अलावा सोलन में भी इसका बड़ा आश्रम है. इनमें पूर्व और मौजूदा मुख्यमंत्रियों के साथ ही विभिन दलों के दिग्गज नेता अक्सर हाजिरी लगाकर डेरे का आशीर्वाद लेते रहते हैं. हिमाचल के लगभग हर जिले में डेरे के सत्संग भवन हैं. यहां नेताओं की आवाजाही से ही राज्य की राजनीति में इसकी अहमियत का अंदाजा हो जाता है. प्रदेश में चुनावों की दस्तक के साथ ही डेरा ब्यास के आश्रमों में नेताओं के हाजिरी लगाने का सिलसिला बढ़ जाता है. आश्रम का आशीर्वाद सबके साथ है. चुनाव में हार जीत सियासी समीकरणों पर निर्भर करती है. लेकिन नेता यहां चक्कर लगाना नहीं छोड़ते.
मुख्यमंत्री भी लगा चुके हैं हाजिरी
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर राधा स्वामी सत्संग अनुयायियों के अनुशासन के कायल हैं. वो धर्मशाला और सोलन के राधा स्वामी सत्संग में कई बार शिरकत कर चुके हैं. मुख्यमंत्री कई बार कह चुके हैं कि सत्संग प्रदेश में नौजवानों को नशा मुक्त करने के लिए बेहतरीन काम कर रहा है. ठाकुर से पहले मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह भी डेरा के कायल थे. 2017 के चुनाव से पहले अपनी कैबिनेट की आखिरी बैठक में उन्होंने डेरों को दान में मिली अतिरिक्त जमीन बेचने की छूट देने का फैसला किया था. तब उन पर डेरा ब्यास के हित में फैसला करने का आरोप लगा था. इससे सबसे ज्यादा फायदा डेरा ब्यास को होना था. क्योंकि हिमाचल में सबसे ज्यादा जमीन डेरा ब्यास के पास ही है. लेकिन डेरा ब्यास पर इतनी बड़ी मेहरबानी भी वीरभद्र सरकार की हार को टाल नहीं सकता थी.
महत्वपूर्ण है पीएम मोदी की हिमाचल दौरा
पीएम मोदी हिमाचल प्रदेश का चुनावी दौरे काफी महत्वपूर्ण है. वो 5 नवंबर को हिमाचल के सुंदरनगर और सोलन में रैलियों को संबोधित करेंगे. यहां पीएम मोदी पहले सुंदरनगर में और फिर दोपहर के बाद सोलन में जनसभा को संबोधित करेंगे. इससे पहले पीएम मोदी के डेरा ब्यास जाकर इसके प्रमुख से मुलाकात करने के खास मायने हैं. इसके जरिए पीम मोदी राज्य में डेरा के अनुयायियों को खास राजनीतिक संदेश देना चाहते हैं. ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि डेरा ब्यास के पैरोर स्थित आश्रम विवादों में घिरा हुआ है. इस पर 648 कनाल भूमि पर चाय बागान को खत्म करके वहां राज्य सरकार की अनुमति के बिना बड़े शेड का निर्माण करने का आरोप है. इसकी शिकायत हिमाचल हाईकोर्ट में की गई है. कोर्ट के निर्देश पर इसकी जांच चल रही है. ऐसे में पीएम के डेरा की शरण में जाने से इसके अनुयायियों को एक सकारात्मक संदेश जाएगा. इसका चुनाव में बीजेपी को फायदा हो सकता है.
8 दिसंबर को आएंगे नतीजे
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश की सभी 68 विधानसभा सीटों पर 12 नवंबर को वोटिंग होगी. वहीं, 8 दिसंबर को चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे. इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सरकार और पीएम मोदी की साख दांव पर लगी है. पिछले 35 साल से हर पांच साल बाद सत्ता बदलने की परिपाटी चल रही है. इस बार बीजेपी इस परिपाटी को तोड़ने की पुरजोर कोशिश कर रही है. बीजेपी ने यहां अपनी सरकार बचाने के लिए मिशन रिपीट अभियान छेड़ रखा है. उसे रांच साल चली जयराम ठाकुर सरकार के कामकाज से ज्यादा पीएम मोदी के चेहरे पर भरोसा है. इसी लिए पीएम मोदी भी बीजेपी की सरकार रिपीट कराने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं. प्रचार खत्म होने से पहले पीएम मोदी का एक बार और वहां जाने की उम्मीद है.