अफगानिस्तान से ना आए ये 25 लाख किसान, सरकार को शर्म क्यों नी: राकेश टिकैत

- कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को लीड करने वाले नेताओं में से एक राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है.
नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को लीड करने वाले नेताओं में से एक राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है. टिकैत ने केंद्र पर किसानों की अनदेखी करने और उन से बात न करने का आरोप लगाया है. किसान नेता ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की अनसुनी कर रही है और ऐसा करते हुए उसको लिहाज भी नहीं आ रही है. राकेश टिकैत ने स्पष्ट कहा कि 4 लाख ट्रैक्टर और 25 लाख लोग जो किसान आंदोलन में शामिल हैं, ये इसी देश के हैं. ये लोग अफगानिस्तान से नहीं आए हैं. उन्होंने कहा कि हम पिछले सात महीनों से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, क्या सरकार को इतनी भी लिहाज नहीं कि वो किसानों का पक्ष जानें? क्या लोकतंत्र इसी तरह काम करता है?
सोशल मीडिया के माध्यम से केंद्र सरकार पर हमला बोला
आपको बता दें कि इससे पहले भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सोशल मीडिया के माध्यम से केंद्र सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने कहा कि ये 4 लाख ट्रैक्टर और 25 लाख लोग यहीं के हैं. यहां राकेश टिकैत ने अपने ट्वीट के साथ “बिल वापसी ही घर वापसी” हैशटैग इस्तेमाल किया था. चार लाख ट्रैक्टर भी यही हैं, दिल्ली के ढब को खड़े खड़े घे करें वे, वो 25 लाख किसान भी यही हैं और 26 तारीख भी हर महीने आती है ये सरकार याद रख लें ..।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की
भाकियू नेता राकेश टिकैत ने पिछले दिनों पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की थी. टिकैत ने सीएम ममता के साथ किसान आंदोलन को लेकर बातचीत भी की थी. बताया गया कि ममता बनर्जी ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन को समर्थन देने का आश्वासन दिया है. आपको बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा, पंजाब और वेस्ट यूपी के लाखों किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मुहानों पर डेरा डाले हुए हैं. किसानों की मांग है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस ले और न्यूनतम समर्थन मूल्य ( MSP ) पर कानून बनाए. इस मुद्दे को लेकर सरकार और किसान नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. केंद्र ने कानूनों की वापसी से इनकार कर दिया और किसान इससे कम पर मानने को राजी नहीं हैं. यही वजह है कि किसान आंदोलन खिंचता जा रहा है.