‘2024 की मतदाता सूची को क्यों नहीं बनाया जा रहा आधार’, बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर EC से मीटिंग के बाद बोले ओवैसी

बिहार में विधानसभा चुनाव से लेकर वोटर लिस्ट पर बवाल मचा हुआ है. चुनाव आयोग की ओर से वोटर लिस्ट अपडेट करने की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठ रहे हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है तो दूसरी ओर अलग-अलग राजनीतिक दल चुनाव आयोग से मुलाकात कर रहे हैं. इस बीच असदुद्दीन ओवैसी ने भी चुनाव आयोग से मिलकर वोटर लिस्ट पर अपनी चिंता जताई है.
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात के बाद कहा कि यह जो प्रक्रिया की जा रही है इसके लिए राष्ट्रीय दलों से चर्चा नहीं की गई. उन्होंने कहा कि बीएलओ की कोई ट्रेनिंग नहीं हुई क्योंकि उनके पास हैंडबुक नहीं है. इस वजह से चुनाव आयोग जो प्रक्रिया कर रहा है, यह सही नहीं है.
ओवैसी ने किए तीखे सवाल
ओवैसी ने सवाल किया कि 2024 की मतदाता सूची को चुनाव आयोग आधार क्यों नहीं बना रहा है. जिन मतदाताओं ने 2024 में वोट दिया आखिर 2025 में उनसे उनकी पहचान क्यों पूछी जा रही है? AIMIM चीफ बयान में आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर हम अपनी पार्टी में बैठकर बात करेंगे आगे फैसला लेंगे, लेकिन हमारी आपत्ति यही है कि इतना कम वक्त क्यों दिया गया. इसके अलावा अख्तरुल ईमान ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग ऐसे हैं, जो की माइग्रेंट लेबर है जिनके पास में अपने दस्तावेज नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान
चुनाव आयोग से जुड़े मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लिया है. 10 जुलाई 2025 को इस मामले पर सुनवाई होनी है.कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है.अब तक इस मामले में 5 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं. देश की प्रतिष्ठित चुनाव सुधार संस्था Association for Democratic Reforms (ADR) ने इस पर याचिका दाखिल की है. इसके अलावा योगेंद्र यादव,महुआ मोइत्रा, मनोज झा और मुजाहिद आलम शामिल है. इन सभी याचिकाओं में चुनाव आयोग की प्रक्रिया को मनमाना और निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करने वाला बताया गया है. आशंका व्यक्त की गई है कि विशेष पुनरीक्षण अभियान के चलते लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से हट सकते हैं, जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं.