“आतंकियों पर शोक क्यों?”: कोलंबिया को शशि थरूर का करारा जवाब, पाकिस्तान की सच्चाई दुनिया के सामने रखी
नई दिल्ली/बोगोटा: कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जो इन दिनों कोलंबिया की राजधानी बोगोटा में भारत के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, ने वहां एक अहम मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में भारत की सैन्य कार्रवाई की जानकारी साझा करते हुए, कोलंबिया सरकार की प्रतिक्रिया पर नाराजगी जताई और पाकिस्तान के दोहरे चेहरे को बेनकाब किया।
कोलंबिया की संवेदना पर सवाल
थरूर ने कहा, “हमें इस बात से निराशा हुई कि कोलंबिया सरकार ने पाकिस्तान में भारतीय कार्रवाई में मारे गए आतंकियों पर संवेदना जताई।” उन्होंने साफ किया कि शायद कोलंबिया सरकार पूरी स्थिति को सही तरीके से समझ नहीं पाई है। उनका इशारा था कि भारत ने किसी निर्दोष नागरिक पर हमला नहीं किया, बल्कि सीधे आतंक के अड्डों को निशाना बनाया।
पाकिस्तान को किया उजागर
थरूर ने कोलंबिया में दुनिया को बताया कि पाकिस्तान की 81% रक्षा सामग्री चीन से आती है, और इसे ‘डिफेंस इक्विपमेंट’ कहना ही भ्रम पैदा करता है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान इन हथियारों का इस्तेमाल सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि हमला करने के लिए करता है।”
उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत की लड़ाई आतंकवाद के खिलाफ है, न कि किसी देश या धर्म के खिलाफ। उन्होंने कहा, “हम उन ताकतों के खिलाफ हैं जो आतंक को पनाह देती हैं, और हमारे पास इसके ठोस सबूत हैं।”
“हमारे पास प्रमाण हैं”
शशि थरूर ने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए बताया कि उसकी जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा की इकाई है और पाकिस्तान के मुरीदके में स्थित है। उन्होंने कहा, “हम इसे कोई सामान्य संघर्ष नहीं मानते, यह सीधा आतंकवाद है, जिसकी जड़ें पाकिस्तान में हैं।”
कोलंबिया को स्पष्ट संदेश
थरूर ने कोलंबिया के नेताओं को दो टूक शब्दों में समझाया:
“आतंक फैलाने वालों और उनसे लड़ने वालों के बीच तुलना नहीं की जा सकती। हम केवल आत्मरक्षा का अधिकार निभा रहे हैं। अगर कोलंबिया को कोई गलतफहमी है, तो हम उसे दूर करने को तैयार हैं।”
उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि भारत पाकिस्तान और पीओके में चल रही सैन्य कार्रवाई की विस्तृत जानकारी कोलंबिया सरकार के साथ साझा करने को तैयार है, ताकि कोई भ्रम न रहे।
शशि थरूर की इस स्पष्ट और तथ्य आधारित प्रतिक्रिया ने न केवल कोलंबिया के रुख पर सवाल उठाया, बल्कि भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती से प्रस्तुत किया। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क की वास्तविकता को उजागर करते हुए दुनिया को एक बार फिर चेता दिया कि आतंकवाद के खिलाफ चुप्पी भी एक तरह की सहमति मानी जाती है।
