चुनावी समर में अपनी अपनी सेना के सेनापति कौन, मालूम नही’
- चुनावी संघर्ष भाजपा सपा के बीच, भाजपा विधायक की प्रतिष्ठा दाव पर ।
देवबंद (खिलेन्द्र गांधी): विधानसभा चुनाव में बहुत कम समय बचा है और सभी राजनीतिक दलों के द्वारा सबसे बडे प्रदेश की गद्दी कब्जाने के लिए जी तोड मेहनत की जा रही है। इस चुनाव में लखनऊ की गद्दी पाने के लिए भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में कडा मुकाबला है। इनके अलावा कांग्रेस, आम पार्टी और असदूददीन ओवैसी भी उत्तर प्रदेश में अपनी हाजरी लगाने के लिए परेशान है ।
इसी क्रम के चलते देवबंद विधानसभा सीट जो वर्तमान में भाजपा के पास है तथा ब्रिजेश सिंह इस सीट पर विधायक है। मगर क्षेत्र की जनता परिवर्तन चाहती है। जनता का विधायक के बारे में सीधा सीधा कहना है कि यह जनता के नही चन्द खास लोगों के नेता है। इनके कारण कई नेता और कार्यकर्ता जो हर समय जनता के बीच रहते थे, वह घर बैठ गये है। कहने के लिए नेताओं की यहा बाढ आई है। अफसोस जिलाध्यक्ष महेन्द्र सैनी के अलावा दर्जन भर जिलास्तर के नेता देवबंद से है। इतने नेता होने के बाद भी यहां भाजपा की नैय्या डांवाडोल है ।
चुनाव दरवाजे पर है और अभी तक भी किसी भी पार्टी ने अपने प्रतिनिधि का नाम घोषित नही किया है। बहुजन समाज पार्टी से मिरगपुर निवासी चैधरी राजेन्द्र सिंह का नाम चर्चाओं मे है और उनके पोस्टर भी क्षेत्र में देखे जा रहे है। तथा बसपा के सम्मेलन भी जारी है। समाजवादी पार्टी के दो प्रबल दावेदारों में टिकट के लिए जबरदस्त खींच तान है। समाजवादी पार्टी के टिकट के लिए पूर्व राज्यमंत्री स्व० राजेन्द्र राणा के पुत्र कार्तिक राणा और पूर्व विधायक माविया अली मैदान मे है। दोनों के द्वारा अपने अपने आकाओं पर टिकट पाने के लिए जोर डाला जा रहा है। तीसरी सपा की नेता तथा देवबंद विधानसभा में पूर्णरूप से सक्रिय शशिबाला पुंडीर है। शशिबाला पुण्डीर एक मात्र ऐसी नेता है, जो हिन्दू मुसलमानों में समान रूप से पहचानी जाती है ।
भारतीय जनता पार्टी ने भी अभी तक कोई प्रत्याशी घोषित नही किया है। वर्तमान विधायक ब्रजेश सिंह से वोटर नाराज है तथा दूसरी ओर भाजपा का एक बडा गुट नाराज है जो चुनाव में उनका साथ शायद नही देगा। चर्चा में वैसे तो कई नाम है मगर जिनको लेकर जनता में अधिक चर्चा है उन नामों में देवव्रत त्यागी, गजराज सिंह राणा, ठाकुर अनिल सिंह और शशि त्यागी है। क्षेत्र में यह चर्चा भी जोरों पर है कि सपा तथा लोकदल गठबंधन मे देवबंद सीट को लोकदल कोटे में दे दिया गया है। यदि ऐसा होता है तो भाजपा का संघर्ष आसान हो जायेगा। देवबंद सीट पर भाजपा का मुकाबला सपा से होगा और वर्तमान विधायक के लिए अपनी प्रतिष्ठा बचाना कठिन लग रहा है ।
इनके अलावा कांग्रेस की क्षेत्र में चर्चा तक नही है और असदूददीन ओवैसी की पार्टी का यहां कोई वजूद नही है। क्षेत्र में आम आदमी पार्टी के लिए भी कोई स्थान नही है। इस प्रकार चुनावी चर्चाएं तो है मगर इस चुनाव की जंग में अपनी अपनी सेनाओं के सेनापति कौन होगे उनका कोई पता नही है।