एक के बाद एक भूकंप के झटकों से दहशत में दिल्ली, आगे क्या होगा?
- 12-13 अप्रैल को दिल्ली-एनसीआर में दो-दो बार महसूस किए गए भूकंप के झटके
- उत्तर पूर्वी दिल्ली के वजीराबाद क्षेत्र में जमीन से आठ किमी गहराई में था केंद्र
- रिक्टर पैमाने पर तीव्रता रही 2.7 और 3.5, दिल्ली अधिक तीव्रता वाले जोन 4 में स्थित
- दिल्ली में 2004 में 2.8 और इससे पहले 2001 में 3.4 तीव्रता का भूकंप आया था
नई दिल्ली
लॉकडाउन के बीच अगर भूकंप आ जाए तो क्या करेंगे? यह सवाल इस हफ्ते की शुरुआत में खूब पूछा गया। वजह थी कि 12-13 मार्च को 24 घंटों के भीतर दिल्ली दो बार हिली। दोनों बार भूकंप का केंद्र ईस्ट दिल्ली था। लोग घबरा गए और कुछ जगह घरों से बाहर निकल आए। हालांकि सीस्मोलॉजिस्ट्स का मानना है कि ये किसी बड़े भूकंप का इशारा नहीं है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि दिल्ली किसी भूचाल का एपिसेंटर नहीं बनेगी।
झटकों से घबराने की जरूरत नहीं
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के हेड (ऑपरेशंस) जे एल गौतम ने टीओआई को बताया कि दोनों भूकंप फॉल्ट-लाइन प्रेशर की वजह से आए, ऐसा नहीं लगता। उन्होंने कहा, “इन लोकल और कम तीव्रता वाले भूकंपों के लिए, फॉल्ट लाइन की जरूरत नहीं है। धरातल के नीचे छोटे-मोटे एडजस्टमेंट्स होते रहते हैं और इससे कभी-कभी झटके महसूस होते हैं। बड़े भूकंप फॉल्ट लाइन के किनारे आते हैं।”
हिमालयन बेल्ट को ज्यादा खतरा
गौतम ने कहा कि दिल्ली नहीं, बल्कि हिमालयन बेल्ट को भूकंप से ज्यादा खतरा है। उन्होंने कहा, “हिंदुकुश से अरुणाचल प्रदेश तक जाने वाले रेंज में ही बड़े भूकंप आते हं। दिल्ली से ये पहाड़ 200-250 किलोमीटर दूर हैं और दिल्ली का एपिसेंटर बनना मुश्किल है।
दिल्ली-NCR में महसूस किए गए भूकंप के झटकेदिल्ली एनसीआर में शाम 5:50 के करीब भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। दिल्ली से सटे नोएडा, गाजियाबाद और गुड़गांव में भूकंप के झटके महसूस किए गए। ऐसे में लोग घरों से बाहर निकल आए। जो लोग बाहर नहीं निकले वे अपनी बालकनी में आ गए। बताया जा रहा है कि इसकी तीव्रता 3.5 रही।
जोन 4 में आती है दिल्ली
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स ने भारत को चार सीस्मिक जोन में बांटा हुआ है। जोन 2 कम तीव्रता तथा जोन 5 गंभीर तीव्रता वाले इलाकों को बताता है। दिल्ली जोन 4 (गंभीर) में है। यहां से तीन फॉल्ट लाइनें गुजरती हैं। ये लाइने हैं- सोहना, मथुरा और दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइंस।
दिल्ली में कहां ज्यादा खतरा
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक स्टडी बताती है कि यमुना के मैदानों को भूकंप से ज्यादा खतरा है। ईस्ट दिल्ली, लुटयंस दिल्ली, सरिता विहार, पश्चिम विहार, वजीराबाद, करोलबाग और जनकपुरी जैसे इलाकों में बहुत आबादी रहती है, इसलिए वहां खतरा ज्यादा है। स्टडी के मुताबिक, JNU, AIIMS, छतरपुर, नारायणा, वसंत कुंज जैसे इलाके बड़ा भूकंप झेल सकते हैं।
दिल्ली में जो नई इमारतें बनी हैं, वे 6-6.6 तीव्रता के भूकंप को झेल सकती हैं। पुरानी इमारतें 5-5.5 तीव्रता का भूचाल सह सकती हैं। दिल्ली ने 2008 और 2015 में नेपाल भूकंप के बाद पुरानी इमारतों को ठीक करने की कवायद शुरू की थी। दिल्ली सचिवालय, दिल्ली पुलिस और PWD हेडक्वार्टर्स, विकास भवन, गुरु तेग बहादुर अस्पताल की इमारत को मजबूत किया गया था।
हिमालय में भूकंप की है चेतावनी
लोग इसलिए भी डरे हुए हैं क्योंकि वैज्ञानिक हिमालय में तगड़ा भूकंप आने की चेतावनी दे चुके हैं। 2018 में जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, बेंगलुरु की एक स्टी में कहा गया था कि 8.5 या उससे अधिक तीव्रता का भूकंप आएगा। स्टडी में पता चला कि साल 1315 आौर 1440 के बीच एक बड़ा भूकंप इस इलाके में आया था। तब से हिमालय का इलाका शांत है, मगर उसपर दबाव बढ़ रहा है।