संविधान और संसद में सर्वोच्च क्या? CJI बीआर गवई ने बताया, किस बात पर बोले- ‘लोग क्या कहेंगे…’

New Delhi : प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई ने कहा कि भारत का संविधान सर्वोच्च है और लोकतंत्र के तीनों अंग संविधान के तहत काम करते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि संसद सर्वोच्च है, लेकिन उनकी राय में संविधान सर्वोपरि है. पिछले महीने 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले न्यायमूर्ति गवई अपने गृहनगर पूर्वी महाराष्ट्र के अमरावती में अपने अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि हमेशा इस बात पर चर्चा होती है कि लोकतंत्र का कौन सा अंग सर्वोच्च है – कार्यपालिका, विधायिका या न्यायपालिका. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि कई लोग कहते और मानते हैं कि संसद सर्वोच्च है, लेकिन मेरे अनुसार भारत का संविधान सर्वोच्च है. लोकतंत्र के सभी तीनों अंग संविधान के तहत काम करते हैं.’’
‘संसद के पास संशोधन करने की शक्ति है’- CJI बीआई गवई
‘मूल ढांचे’ के सिद्धांत के आधार पर उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित निर्णय का उल्लेख करते हुए प्रधान न्यायाधीश गवई ने कहा कि संसद के पास संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे में बदलाव नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि सरकार के खिलाफ आदेश पारित करने मात्र से कोई न्यायाधीश स्वतंत्र नहीं हो जाता. उन्होंने कहा, ‘‘न्यायाधीश को हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारा कर्तव्य है और हम नागरिकों के अधिकारों तथा संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों के संरक्षक हैं. हमारे पास केवल शक्ति नहीं है, बल्कि हम पर कर्तव्य भी डाला गया है.’’
लोग क्या कहेंगे? सीजेआई ने किस संबंध में कही ये बात
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि किसी न्यायाधीश को इस बात से निर्देशित नहीं होना चाहिए कि लोग उनके फैसले के बारे में क्या कहेंगे या क्या महसूस करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘हमें स्वतंत्र रूप से सोचना होगा. लोग क्या कहेंगे, यह हमारी निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन सकता.’ अपने संबोधन के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने अपने कुछ फैसलों का हवाला दिया. ‘बुलडोजर न्याय’ के खिलाफ अपने फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आश्रय का अधिकार सर्वोच्च है.