चरथावल विधानसभा: क्या कहते है आँकड़े, कौन बनेगा विधायक?
लखनऊ/मुजफ्फरनगर [दिग्विजय]: चरथावल विधानसभा (Charthawal Vidhansabha) मुजफ्फरनगर की 6 विधानसभाओ में से एक महत्वपूर्ण विधानसभा है। वर्ष 1967 में हुए परिसीमन में पहली बार चरथावल विधानसभा सीट बनी। 1967 से 2008 तक यह सीट अनुसूचित जाति के प्रत्याशी के लिए आरक्षित रही। वर्ष 2008 लोकसभा व विधानसभा के दुबारा हुए परिसीमन में इस सीट को सभी उम्मीदवारों के लिए खोल दिया गया।
यदि विगत दो विधानसभा चुनाव की बात करे तो यंहा वर्ष 2012 में नूर सलीम राणा (बहुजन समाजवादी पार्टी) ने 53,481 मत प्राप्त कर जीत हासिल की थी। जबकि भाजपा के विजय कुमार कश्यप 40,775 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे थे। समाजवादी पार्टी के मुकेश चौधरी को 34,292 मत मिले थे। इसके अतिरिक्त बाकी सभी 13 उम्मीदवारों को 43,851 मत हासिल हुए थे।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विजय कुमार कश्यप ने 82,046 मत लेकर यंहा पर विजयश्री हासिल की। जबकि समाजवादी पार्टी के मुकेश चौधरी को 58,815 व बसपा के नूर सलीम राणा को 47,705 व आरएलडी के सलमान जैदी को 14,442 मत मिले थे।
इस बार यहाँ से भाजपा से सपना विजय कश्यप, समाजवादी पार्टी से पंकज कुमार मलिक, बसपा से सलमान सईद व काँग्रेस से यासमीन राव चुनावी मैदान में है। विगत वर्षों के आंकड़ों पर गौर करने के बाद यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इस बार इस सीट पर भाजपा, सपा व बसपा में त्रिकोणिय मुकाबला होने की संभावना है। यह निश्चित है कि भाजपा मुख्य मुकाबले में है। अब सपा व बसपा में से जो भी पार्टी मुस्लिम वोट अपने पक्ष में करने में कामयाब हो जाएगी वही भाजपा की मुख्य प्रतिद्वनधि होगी।
यदि बसपा की बात करे तो बसपा के पास उसका कोर वोटर है जो किन्ही भी हालात में उससे छिटकने वाला नहीं है ऊपर से बसपा ने मुस्लिम उमीदवार सलमान सईद को इस उम्मीद से चुनावी रण में उतारा है कि यदि सलमान मुसलमानों को अपने पाले में करने में कामयाब हो जाते है तो वो आसानी से सीट जीत सकते है।
जबकि समाजवादी पार्टी ने पंकज मलिक को इसलिए यंहा से टिकट दिया है कि यदि पंकज यंहा जाटो की वोट हासिल कर ले तो मुसलमान व जाट मिलकर भाजपा को पटखनी दे सकते है। लेकिन इस सीट पर जाट व मुस्लिम का समायोजन क्या जीत की इबारत लिखने में सक्षम है? पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के वोट (58,815) व लोकदल को मिले वोटो (14,442 ) यदि जोड़ भी दिया जाए तो यह आंकड़ा भाजपा को मिले कुल वोट (82,046) से कम है। हालाँकि इसमें नए जुड़े वोटर नहीं है और मतदान प्रतिशत 70% माना गया है।
भाजपा को इस सीट पर केवल वो उम्मीदवार हरा सकता है जो मुसलमानों की 90 प्रतिशत वोट हासिल करेगा। पंकज अखिलेश के सहारे यह कारनामा करने का भरसक प्रयास कर रहे है। लेकिन बसपा व कॉंग्रेस से मुस्लिम उम्मीदवार होना उनके पक्ष में नहीं जा रहा। जबकि बसपा प्रत्याशी सलमान मुसलमानों को शत-प्रतिशत अपने पक्ष में करने में जूटे है। यदि सलमान ऐसा कर पाते है तो चुनाव परिणाम उनके पक्ष में आ सकते है, क्योंकि उनके पास बसपा का कोर वोटर भी है।
इस सीट पर हुए सर्वे रिपोर्ट की मानी जाए तो भाजपा के वोटरस में वर्ष 2017 के चुनावों की अपेक्षा बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे है। किसकी हार व किसकी जीत होगी यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होना तय है। प्रथमद्रष्टया मुकाबला त्रिकोणिय होगा, लेकिन मुसलमानों का सपा या बसपा के पक्ष में एक तरफा हो जाना ही तुरुप का इक्का साबित होगा।