‘जनसंख्या नियंत्रण की हमें सजा न मिले’, परिसीमन को लेकर चेन्नई में एकजुट हुआ विपक्ष, CM स्टालिन ने केंद्र पर साधा निशाना

चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शनिवार को परिसीमन को लेकर विपक्षी नेताओं की चेन्नई में बैठक बुलाई। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी सहित कई राज्य के मुख्यमंत्री और विपक्षी नेता इस बैठक में शामिल हुए।बैठक में हिस्सा लेते हुए केरल के सीएम ने कहा,”लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का प्रस्ताव हमारे सिर पर तलवार की तरह लटक रहा है। विभिन्न रिपोर्टों से पता चलता है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बिना किसी परामर्श के परिसीमन प्रक्रिया में आगे बढ़ रही है। यह अचानक उठाया गया कदम किसी संवैधानिक सिद्धांत या लोकतांत्रिक अनिवार्यताओं से प्रेरित नहीं है।
यह एक जनसांख्यिकीय दंड है: सीएम रेवंत रेड्डी
वहीं, मीडिया से बातचीत करते हुए तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने आरोप लगाया कि बीजेपी “जनसांख्यिकीय दंड” की नीति लागू कर रही है। उन्होंने आगे कहा, “परिसीमन प्रक्रिया में लोकसभा सीटों की संख्या न बढ़ाएं”
कई राज्यों ने सफलतापूर्वक जनसंख्या नियंत्रण किया: नवीन पटनायक
इस बैठक में वर्चुअली तौर पर शामिल होते हुए बीजेडी अध्यक्ष नवीन पटनायक ने कहा,”यह एक महत्वपूर्ण बैठक है। कई राज्य ऐसे हैं, जिन्होंने जनसंख्या को नियंत्रित करने और स्थिर करने के लिए बहुत अच्छा काम किया है। जनसंख्या नियंत्रण हमारे देश के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एजेंडा है। एक राष्ट्रीय एजेंडा को राज्यों के हस्तक्षेप में विकेंद्रीकृत किया गया था और पिछले कई वर्षों से केंद्र सरकार ने इसे उच्च प्राथमिकता दी है।उन्होंने आगे कहा कि राज्यों ने भी अपनी पहल की और राष्ट्रीय एजेंडे को सफलतापूर्वक लागू करने में शामिल हुए, और केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, पंजाब और ओडिशा राज्य इस संबंध में बहुत सफल रहे हैं। यदि इन राज्यों ने जनसंख्या को स्थिर करने में जो किया, वह हासिल नहीं किया होता, तो भारत में जनसंख्या विस्फोट हो जाता, जो हमारे देश के लिए सही नहीं होता।
भाजपा ने बैठक को लेकर क्या कहा?
वहीं, इस बैठक को लेकर कहा कि भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा,”परिसीमन पर प्रदर्शन करने के बजाय, इस पर बहस करना और चर्चा करना बेहतर है और क्षेत्रों की भौगोलिक, सामाजिक, जनसंख्या के बारे में परिसीमन समिति के सामने अपनी बात रखना है। यह पहली बार नहीं है जब परिसीमन हो रहा है, यह कांग्रेस के शासन में भी हुआ था।”