नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि पटाखों पर उसके द्वारा रोक लगाया जाना किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है। हम आनंद की आड़ में नागरिकों के अधिकारों के उल्लंघन की इजाजत नहीं दे सकते हैं। सर्वोच्च अदालत ने साफ कहा कि वह चाहती है कि उसके आदेशों का पूरी तरह से पालन किया जाए। जस्टिस एमआर शाह और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए यहां पर मौजूद हैं।
अदालत ने पटाखा उत्पादकों से दो-टूक कहा कि आप आनंद करने की आड़ में नागरिकों के जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं। हम किसी समुदाय विशेष या समूह के खिलाफ नहीं हैं। हम यह बात बिल्कुल साफ कर देना चाहते हैं कि हम नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए यहां पर हैं। पटाखों पर रोक लगाए जाने संबंधी पूर्व का आदेश व्यापक रूप से वजहों को जानने के बाद दिया गया था। यह व्यापक जनहित में दिया गया था। इसे इस तरह से नहीं देखा जाना चाहिए कि रोक किसी विशेष उद्देश्य के लिए लगाई गई है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उन अधिकारियों को कुछ जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए जिन्हें आदेश को जमीनी स्तर पर लागू करने का अधिकार दिया गया है। पटाखे आज भी बाजार में खुलेआम मिल रहे हैं। वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली के लोगों पर क्या बीत रही है यह हर कोई जानता है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने छह (पटाखा) निर्माताओं को कारण बताओं नोटिस जारी किया। अदालत ने कहा है कि इन पटाखा निर्माताओं को आदेशों का उल्लंघन करने के लिए क्यों नहीं दंडित किया जाए।
मालूम हो कि पूर्व में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारी ही कर सकते हैं। केवल ग्रीन पटाखे ही बेचे जा सकते हैं। यही नहीं शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने पटाखों की आनलाइन बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने वायु प्रदूषण को रोकने के लिए देशभर में पटाखों के निर्माण और बिक्री पर रोक लगाने के लिए दाखिल याचिका पर उक्त फैसला सुनाया था।