नई दिल्ली। ‘जुमलाजीवी’ समेत अन्य कई शब्दों को ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखे जाने को लेकर सियासत गरमा गई है। विपक्षी दलों ने इस कदम को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। विपक्षी दलों का कहना है कि वे इस आदेश को नहीं मानेंगे और इन शब्दों का इस्तेमाल करेंगे। कांग्रेस ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है। दूसरी ओर सरकारी सूत्रों ने गुरुवार को कहा कि यह कोई सुझाव या आदेश नहीं है।
- राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री की शासन शैली का सटीक वर्णन करने वाले शब्दों पर रोक लगा दी गई है।
- जयराम रमेश ने कहा- सरकार की सच्चाई दिखाने वाले शब्द अब असंसदीय माने जाएंगे। अब आगे क्या विषगुरु..?
- प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा- सरकार चाहती है कि भ्रष्टाचार करने पर उसे भ्रष्ट नहीं वरन करप्शन को ‘मास्टरस्ट्रोक’ बोला जाए।
- टीएमसी के नेता डेरेक ओब्रायन ने कहा- अब हमें संसद में भ्रष्ट, पाखंड, शर्मिंदा, विश्वासघात, अक्षम आदि शब्दों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं होगी।
यूपीए शासन में भी रही ऐसी परंपरा
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी पुस्तिका में कुछ शब्दों को असंसदीय बताने पर विपक्ष के हंगामे के बाद सरकारी सूत्रों ने गुरुवार को कहा कि यूपीए शासन के दौरान भी अधिकांश शब्दों को असंसदीय (unparliamentary words) माना जाता था। वैसे यह कोई सुझाव या आदेश नहीं है, क्योंकि संसद और राज्य विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारियों ने पहले ही शर्तों को हटा दिया है।
हर साल सामने आती है यह सूची
संसद के सूत्रों ने कहा कि पिछले वर्ष के दौरान सूची में 62 नए शब्द जोड़े गए हैं। हालांकि इनमें से कुछ की समीक्षा की जा सकती है। सूची कोई नया सुझाव नहीं है, बल्कि लोकसभा, राज्यसभा या राज्य विधानसभाओं में पहले से ही हटाए गए शब्दों का संकलन है। सूची में राष्ट्रमंडल देशों की संसदों में असंसदीय माने जाने वाले शब्द भी हैं। दिलचस्प यह कि विपक्ष ने तथ्यों को जाने बिना हंगामा पैदा करने की कोशिश की है। यह सूची हर साल सामने आती है।
यह सुझाव या आदेश नहीं
अधिकारी ने कहा कि पुस्तिका केवल शब्दों का संकलन है, सुझाव या आदेश नहीं। वहीं लोकसभा सूत्रों ने कहा कि हटाए गए शब्दों को संकलित करने की प्रथा 1954 से कायम है। उक्त सूची सांसदों के लिए केवल एक संदर्भ के रूप में काम करती है। यदि कुछ शब्द आपत्तिजनक हैं और संसद की मर्यादा और गरिमा के अनुरूप नहीं हैं तो उन्हें हटाना दोनों सदनों के अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है।
छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी कई शब्द हटाए
सरकारी सूत्रों ने बताया कि आस्ट्रेलिया के प्रतिनिधि सभा (House of Representatives of Australia) में ‘दुर्व्यवहार’ शब्द जबकि क्यूबेक नेशनल असेंबली में ‘बचकानापन’ को असंसदीय माना जाता है। यही नहीं पंजाब विधानसभा से ‘बजट में लालीपाप’ और ‘आप यहां झूठ बोलकर पहुंचे हैं’ जैसे वाक्य हटाए जा चुके हैं। इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभाओं की कार्यवाही से क्रमश: ‘अक्षम’ और ‘अनपढ़, अनरगल’ शब्द हटा दिए गए हैं। 2021 में ‘असत्य’ शब्द को राजस्थान विधानसभा से हटा दिया गया था।