विशाखापट्टनम: छोटी सी गड़बड़ी के चलते गैस बन गई स्टाइरीन, 11 लोगों ने गंवा दी जान

विशाखापट्टनम: छोटी सी गड़बड़ी के चलते गैस बन गई स्टाइरीन, 11 लोगों ने गंवा दी जान

 

  • विशाखापट्टनम में स्टाइरीन गैस लीक होने से मंडरा रहा है खतरा, 11 लोगों की मौत
  • रेफ्रिजेरेशन यूनिट में आई खराबी के कारण गैस में बदल गया तरल स्टाइरीन
  • रात में फिर से लीक होने के कारण आसपास के गांवों को खाली करा लिया गया है

विशाखापट्टनम
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम की एलजी पॉलिमर्स लिमिटेड (LG Polymer limited) में गुरुवार को हुए गैस रिसाव के कारण 11 लोगों की जान चली गई। जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुरुआती जांच के हवाले से बताया कि फैक्ट्री के दो टैंकों में रखी स्टाइरीन (Styrene) गैस से जुड़ी रेफ्रिजेरेशन यूनिट में तकनीकी खराबी आने के कारण उसमें गैस बनी और फिर उसका रिसाव हुआ।

गुरुवार तड़के हुई इस घटना में 11 लोगों की मौत हुई है जबकि 1,000 लोग इससे प्रभावित हुए हैं। देर रात फिर से धुआं उठने के कारण आसपास के इलाकों को खाली करवाया गया। स्थानीय प्रशासन ने दो किलोमीटर के रेडियस वाले इलाके के लोगों को किसी सुरक्षित जगह पर जाने का अनुरोध किया। दूसरी तरफ स्टाइरीन गैस पर काबू पाने के लिए गुजरात से एयर इंडिया के स्पेशल कार्गो प्लेन से पीटीबीसी (पैरा-टर्शरी ब्यूटाइल कैटेकोल) लाया गया है।

कई घंटे बाद समझ आया कि हुआ क्या है
जिलाधिकारी वी. विनय चंद ने बताया कि एलजी पॉलिमर्स लिमिटेड से हुआ गैस का रिसाव इतना ज्यादा था कि हमें सुबह करीब साढ़े नौ बजे समझ आया कि आखिरकार हुआ क्या है, क्योंकि उस वक्त क्षेत्र में रिसाव के कारण छाई घनी धुंध दूर हुई। फैक्टरीज विभाग की ओर से प्राप्त शुरुआती जांच रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने कहा, ‘स्टाइरीन सामान्य तौर पर तरल रूप में रहता है और उसके भंडारण का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के नीचे रहने पर वह सुरक्षित रहता है लेकिन रेफ्रिजेरेशन यूनिट में गड़बड़ी के कारण यह रसायन गैस में बदल गया।

स्थितियों पर ये टीमें रखेंगी नजर

  • स्थितियों पर ये टीमें रखेंगी नजर

    केंद्र की मोदी सरकार ने गुरुवार को कहा कि आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एक रसायन फैक्टरी में गैस रिसाव होने के बाद वहां एनडीआरएफ के सीबीआरएन (रसायन, जैविक, रेडियोधर्मी और परमाणु) विशेषज्ञों की एक टीम और मेडिकल विशेषज्ञ भेजे जा रहे हैं। गैस रिसाव की इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 1000 अन्य प्रभावित हुए हैं।
  • क्या था तबाही का कारण?

    विशाखापट्टनम में हुई घटना के बाद पता चला है कि जिस कंटेनर में स्टाइरीन को स्टोर किया जाता था, वह पुराना हो चुका था और उसका रखरखाव भी ठीक ढंग से नहीं किया गया था। सही समय पर मरम्मत न होने की वजह से 3 टन स्टाइरीन लीक हो गई और लोग इसका शिकार बन गए। इस बात की जानकारी सीएसई ने दी। सीएसई ने यह भी कहा कि स्टाइरीन को सही तापमान में संरक्षित नहीं किया गया था, जिसकी वजह से यह दिक्कत पैदा हुई।
  • विशाखापट्टनम में हुई घटना के बाद कंपनी पर केस दर्ज

    इस घटना में कंपनी की लापरवाही सामने आई है। इसके साथ ही कंपनी के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया गया है।
  • सुरक्षित स्थानों में पहुंचाए गए लोग

    राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक एसएन प्रधान ने बताया कि गैस रिसाव से 20-25 लोगों की हालत नाजुक है। फैक्टरी के आसपास के इलाकों में रह रहे करीब 1,000 लोग गैस रिसाव से प्रभावित हुए हैं। संयंत्र के तीन किलोमीटर के दायरे से 200 से 250 परिवारों के लगभग 500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
  • पीएम मोदी ने सीएम रेड्डी को दिया यह भरोसा

    अधिकारियों की ओर से बताया गया कि जो गैस लीक हुई है वह स्टाइरीन है और घटनास्थल विशाखाट्टनम से करीब 20 किमी दूर है। उन्होंने कहा, ‘यह जहरीला है और मानव स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। अभी तक हमें यह जानकारी मिली है कि फैक्टरी के आसपास के इलाकों में रह रहे करीब 1,000 लोग प्रभावित हुए हैं।’ इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गैस रिसाव मामले के कारण पैदा हुई स्थिति की समीक्षा की और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।
  • क्या होती है स्टाइरीन?

    लीक हुई स्टाइरीन एक ऑर्गेनिक कंपाउंड है। यह एक सिन्थेटिक केमिकल है जो रंगहीन लिक्विड के रूप में दिखता है। हालांकि, काफी समय से इस गैस को रखा जाए तो यह हल्के पीले रंग की दिखती है। स्टीरीन बहुत ही ज्वलनशील होती है और जब यह जलती है तो बहुत ही जहरीली गैस रिलीज करती है। होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल ऐंड रिसर्च सेंटर के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर डी रघुनाथ राव के मुताबिक, स्टाइरीन का इस्तेमाल मुख्य तौर पर पॉलिस्टिरीन प्लास्टिक बनाने में किया जाता है।
  • शरीर को क्या नुकसान पहुंचाती है स्टाइरीन?

    स्टाइरीन की चपेट में आने से सेंट्रल नर्वस सिस्टम बुरी तरह खराब हो सकता है। सुनने की क्षमता भी खत्म हो सकती है और दिमागी संतुलन खत्म हो सकता है। बाहरी वातावरण में आने के बाद स्टीरीन ऑक्सिजन के साथ आसानी से मिक्स हो जाती है। नतीजतन हवा में कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगती है। इसके संपर्क में आने के बाद लोगों के फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है और वे घुटन महसूस करने लगते हैं। यह गैस बाद में दिमाग और रीढ़ की हड्डी पर भी असर डालती है। इस वजह से गैस के संपर्क में आने वाले स्थानीय लोग सड़कों पर इधर-उधर गश खाकर गिर पड़े।
  • मृतकों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा

    विशाखापट्टनम में हुए गैस कांड के बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने ऐलान किया है कि प्रत्येक मृतक के परिवार को 1 करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि और जो लोग वेंटिलेटर पर हैं उनके परिवारवालों को 10 लाख रुपये की मदद दी जाएगी।
  • PM मोदी हर स्थिति पर रख रहे नजर

    प्रधानमंत्री ने गैस लीक होने के बाद पैदा हुए हालात के मद्देनजर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की बैठक की अध्यक्षता की और स्थिति की समीक्षा की। पीएम मोदी ने एक ट्वीट में कहा कि उन्होंने गृह मंत्रालय और एनडीएमए के अधिकारियों से स्थिति के संबंध में बात की है, जो स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए हैं । वहीं, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति’ की बैठक हुई और गैस रिसाव से उत्पन्न स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जरूरी कदमों, प्रभावित लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा वहां आपात स्थिति से निपटने के लिए जरूरी कदमों का खाका तैयार किया गया।
  • बेसुध होकर नाले में गिरे पड़े थे लोग

    यह दुर्घटना तड़के करीब 2:30 बजे हुई। शुरुआत में लोगों को गले में खराश और त्वचा में खुजली तथा जहरीली गैस की दुर्गंध महसूस हुई। सुबह करीब साढ़े 5 से पौने 6 बजे के बीच एनडीआरएफ कर्मियों को इसकी सूचना दी गई और ये लोग आधे घंटे में पहुंच गए। सड़क पर इधर उधर लोग बेहोश पड़े थे। कुछ लोग बेसुध होकर नाले में गिर पड़े थे।
  • घर-घर जाकर कर रहे मुआयना

    एनडीआरएफ के कर्मी आसपास के इलाकों में अचेत लोगों मदद के लिए घर-घर जाकर मुआयना कर रहे हैं। ये उस इलाके में तब तक मौजूद रहेंगे जब तक स्थिति पूरी तरह सामान्‍य ना हो जाए।
  • 'घटनास्थल से निकाले गए लोगों की निगरानी'

    दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बताया है कि घटनास्थल से निकाले गए लोगों का इलाज किया जा रहा है और उनकी करीबी निगरानी की जा रही है। वहां घर-घर जाकर यह पता लगाया जा रहा है कि क्या कोई व्यक्ति स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या का सामना तो नहीं कर रहा है।

 

उन्होने बताया कि तकनीकी खामी के कारण टैंक में रखे गए रसायन का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया और वह गैस में बदलकर रिसने लगा। तड़के हुए गैस रिसाव की चपेट में आकर बच्चों सहित 11 लोगों की मौत हो गई है। साथ ही लोगों के मन में बड़े औद्योगिक हादसे का डर बैठ गया है। फैक्ट्री में स्टाइरीन के भंडारण के लिए 3,500 किलोलीटर और 2,500 किलोलीटर के दो टैंक हैं। यह रिसाव 2,500 किलोलीटर वाले टैंक में हुआ। हादसे के वक्त टैंक में 1,800 किलोलीटर स्टाइरीन था।

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‘धुंध के कारण वेंकटपुरम गांव में कोई जा नहीं सका’

जिलाधिकारी ने बताया कि रिसाव होने के बाद यह गैस वेंकटपुरम, पद्मनाभपुरम, बीसी कालोनी और एससी कालोनी में फैल गई। उन्होंने कहा कि इससे सबसे ज्यादा वेंकटपुरम प्रभावित हुआ है। उन्होंने बताया कि रिसाव संभवत: तड़के पौने चार बजे शुरू हुआ, तब से लेकर करीब पौने छह बजे तक स्टाइरीन गैस रिसाव के कारण छाई धुंध इतनी गहरी थी कि कोई भी वेंकटपुरम गांव में प्रवेश नहीं कर सका।

विशाखापत्तनम में लीक हुई गैस इतनी खतरनाक क्यों है?

विशाखापत्तनम में लीक हुई गैस इतनी खतरनाक क्यों है?आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में एक फैक्ट्री से जहरीली गैस लीक होने से हुए हादसे में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि हजारों लोग बीमार हैं। लेकिन अब लोगों के मन में ये सवाल पैदा हो रहे हैं कि आखिर यह कौन सी गैस है जो इतनी जहरीली है? जिस प्लांट से गैस लीक हुई, उसमें क्या बनता है और उसमें इस गैस का क्या इस्तेमाल है? आइए आपको बताते हैं इन सभी सवालों के जवाब।

विनय चंद ने बताया, ‘सुबह करीब साढ़े नौ बजे जब यह घनी धुंध छंटी, तब हमें समझ आया कि आखिरकार हुआ क्या है। चूंकि रिसाव अभी भी हो रहा था और गैस को शून्य स्तर तक लाने और पूरी तरह उसके तनु (डायल्यूट) होने में 12 से 124 घंटे का वक्त लगेगा। इसलिए ग्रामीणों को दूर ही रहने को कहा गया है।’ उन्होंने कहा कि हालात पर 48 घंटे नजर रखनी होगी ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि गैस कम होकर सुरक्षित स्तर पर आ गई है।