नई दिल्ली। विनय कुमार सक्सेना ने बृहस्पतिवार को दिल्ली के 22वें उपराज्यपाल के रूप में शपथ ले ली है। दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी ने उन्हें दिलाई पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। राजनिवास में आयोजित समारोह में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सांसद मनोज तिवारी, कई मंत्री, विधायक और बड़ी संख्या में नौकरशाह भी मौजूद रहे।  दिल्ली के नवनियुक्त उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने आए पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन नाराज होकर वापस लौट गए। बताया जा रहा है कि शपथ ग्रहण समारोह के दौरान जिस पंक्ति में उन्हें बैठाया जा रहा था, वे वहां नहीं बैठना चाहते थे।

इसके बाद वह बिना कुछ कहे वापस लौट गए। वहीं, शपथ ग्रहण समारोह 40 मिनट देरी से हुआ। इस बीच कुछ और अतिथि नाराज होकर नहीं चले जाएं, इसलिए समारोह स्थल प सोफे व कुर्सियां लगाई गईं।

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बता दें कि पिछले दिनों अरविंद केजरीवाल (मुख्यमंत्री, दिल्ली) ने कहा था कि हम नए उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की नियुक्ति का स्वागत करते हैं। जिस तरह हमने अनिल बैजल जी के साथ मिलकर दिल्ली में बहुत से काम किए, उसी तरह इनके साथ भी करेंगे। दिल्ली को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाएंगे।

दिल्ली में विभिन्न विषयों पर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच चल रही रस्साकशी के बीच संतुलन बनाना भी नए उपराज्यपाल के लिए आसान नहीं होगा। इनमें सबसे महत्वपूर्ण विषय सर्विसेज से जुड़ा है। इस मसले पर दिल्ली और केंद्र के बीच टकराव पहले से ही चल रहा है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है।

बता दें कि खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष रहे विनय कुमार सक्सेना दिल्ली के उपराज्यपाल के तौर पर कई सालों तक अपने सेवाएं देंगे। विनय कुमार सक्सेना भारतीय कारपोरेट और सामाजिक क्षेत्र का एक जाना पहचाना नाम हैं। उनके पास तकरीबन 3 दशकों का एक लंबा अनुभव है। मूलरूप से उत्तर प्रपदेश के कानपुर के रहने वाले विनय कुमार सक्सेना एक शिक्षित परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने 1981 में कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और पायलट लाइसेंस भी प्राप्त किया। हालांकि, वह सामाजिक और विविध क्षेत्रों में सक्रिय रहे  हैं।

बता दें कि विनय कुमार सक्सेना ने 1984 में जेके ग्रुप के साथ राजस्थान में एक सहायक अधिकारी के रूप में अपना करियर शुरू किया। 11 साल तक जेके वाइट सीमेंट प्लांट में काम करने के बाद अपनी क्षमता और काबलियत के बल पर उन्हें गुजरात में एक प्रस्तावित पोर्ट का 1995 में जनरल मैनेजर नियुक्त किया गया।  इसके बाद वे कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते रहे।