विकास त्यागी ने मुख्यमंत्री को दारुल उलूम के सम्बन्ध में फिर लिखा पत्र
- दारूल उलूम पर शमन शुल्क के है करोड़ों रूपए अवशेष, वर्षों से मामले को लटकाया जा रहा है
देवबंद: बजरंग दल के पूर्व प्रांत संयोजक विकास त्यागी ने फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर दारुल उलूम में अवैध वृहद पुस्तकालय तथा अन्य अवैध निर्माण कार्यों की शिकायतों का तुरंत संज्ञान लेकर जांच कार्यो का तुरंत निस्तारण किये जाने का अनुरोध किया है। पत्र की प्रति जिलाधिकारी को भी मिलकर दी गई है।
विकास त्यागी ने अपने पत्र में कहा है कि दारुल उलूम देववृंद में एक वृहद पुस्तकालय पांच मंजिला 3557 वर्ग मीटर अनुमानित पिलंथ एरिया कुल कवर्ड एरिया 20374 वर्ग मीटर अवैध रूप से निर्मित कर लिया गया था। प्रकरण संज्ञान में आने पर सूचना अधिकार अधिनियम से मांगी गई सूचना क्रम में अवगत कराया गया है कि दारुल उलूम द्वारा निर्मित पुस्तकालय का कोई मानचित्र स्वीकृत नहीं है। जिलाधिकारी/नियंत्रक प्राधिकारी विनियमित क्षेत्र देववृंद की अध्यक्षता में बोर्ड बैठक में शमन शुल्क की गणना हेतु एक समिति का गठन किया गया जिसमें शमन शुल्क गणना अतिशीघ्र करके प्रकरण को निस्तारित करने के निर्देश भी दिये गये है।
प्रकरण के निस्तारण हेतु गठित समिति द्वारा दारुल उलूम प्रशासन पर अवैध निर्माण के संबंध में कंपाउंडिंग राशि रु. 17474043/- + लेबर सैंस रू. 10000000/- योग = 27474043/– आ गणित की गई है। जिसमें से दारुल उलूम प्रशासन द्वारा मात्र अभी तक रु. 25 लाख की धनराशि जमा कराई गई शेष बकाया है। जिसके कारण राजस्व की हानि हो रही है।
विकास त्यागी ने अपने पत्र में बताया है की मा. उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा स्वीकृत मानचित्र के सापेक्ष स्थल पर निर्माण के समय विचलन व अनाधिकृत निर्माण के शमन के संबंध में दिनांक 13/03/2024 को आदेश पारित किए गए व स्पष्ट आदेशित किया गया कि जो भवन निर्माण व विकास उपविधि में अनुमन्य नहीं है उन्हें शासन के द्वारा अनुमन्य नहीं किया जाना चाहिए। अर्थात बिना स्वीकृत मानचित्र के निर्मित भवन पर ध्वस्तिकरण की कार्रवाई अपेक्षित है। इसलिए दारूल उलूम पर अवैध पुस्तकालय भवन निर्माण हेतु मा. उच्च न्यायालय के द्वारा जारी नवीनतम आदेशों के क्रम में यथाशीघ्र विधिक कार्रवाई करने के आदेश पारित किये जायें ताकि लंबित प्रकरण का निस्तारण अतिशीघ्रता से हो सके।
विकास त्यागी ने पत्र के साथ हाईकोर्ट व सूचना अधिकार अधिनियम से प्राप्त पत्रों की प्रति भी संलग्न की है।