देवस्थानम बोर्ड को भंग करेगी उत्तराखंड सरकार, सीएम पुष्कर धामी का फैसला

- भाजपा सरकार द्वारा लाया गया यह कानून, चुनावों से पहले ब्राह्मण वोटर की नाराजगी बन सकता था.
नई दिल्ली: कृषि कानूनों की तरह देवस्थानम प्रबंधन कानून भाजपा के लिए गले की फांस बनता जा रहा है. इसे लेकर मंगलवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ऐलान किया कि उत्तराखंड सरकार देवस्थानम बोर्ड को भंग कर देगी. उत्तराखंड में भाजपा सरकार द्वारा लाया गया यह कानून, चुनावों से पहले ब्राह्मण वोटर की नाराजगी का बड़ा कारण बन सकता है. ऐसे में सीएम ने ये बड़ा ऐलान किया है. तीर्थ पुरोहित इस बात से खफा है कि सरकार ने 2019 में जो देवस्थानम बोर्ड की घोषणा की थी, उसे वापस नहीं लिया जा रहा है. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपना कार्यभार संभालने के बाद 11 सितंबर, 2021 को तीर्थ पुरोहितों को बुलाकर आश्वस्त किया था कि 30 अक्टूबर तक इस मामले को सुलझा लिया जाएगा.
किसी कीमत पर भंग नहीं करा जाएगा
पुरोहितों में रोष है कि भाजपा नेता मनोहर कांत ध्यानी ने कहा है कि बोर्ड को किसी कीमत पर भंग नहीं करा जाएगा. उनका कहना है कि अगर पुरोहित समाज को इससे परेशानी है तो उस पर विचार किया जा सकता है.
क्या है मामला
साल सितंबर 2019 में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 के तहत बोर्ड को तैयार किया था. इसके जरिए सरकार ने चार धामों (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) के अलावा 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथों ले लिया. सरकार का बोर्ड बनाने की पीछे ये तर्क था कि लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्या इस क्षेत्र को पर्यटन और तीर्थाटन के नजरिए से बेहतर बताई गई है. इससे मंदिरों के रखरखाव और यात्रा के प्रबंधन का काम बेहतर तरीके से हो सकेगा.