UP Panchayat Chunav 2021: पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट की UP सरकार को बड़ी राहत, याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट भेजा

UP Panchayat Chunav 2021: पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट की UP सरकार को बड़ी राहत, याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट भेजा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की आरक्षण की फाइनल सूची जारी होने के साथ ही चार चरणों में चुनाव कराने की तारीखों के एलान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ी राहत दी है। सीतापुर के दिलीप कुमार को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में जाने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव के मामले में किसी भी प्रकार का दखल देने से इन्कार करने के साथ याचिका दायर करने वाले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील दायर करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव के मामले में दखल देने से मना किया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से मना करने के साथ याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाइकोर्ट जाने को कहा है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की। ऐसे में पंचायत चुनाव से जुड़ी याचिकाओं के निस्तारण पर सब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी थी। सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण को लेकर दाखिल सीतापुर जिले के दिलीप कुमार की 186 पन्ने की याचिका पर आज सुनवाई थी। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर जो आदेश दिया है उसे बदला जाये। इस याचिका में दिलीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि 1995 को ही आधार वर्ष मानकर इस चुनाव के लिए सीटों का आरक्षण किया जाये। उन्होंने कहा है कि सरकार ने फरवरी में ऐसा ही करने का शासनादेश जारी किया था। इसको लेकर आरक्षण हो भी गया था, लेकिनबाद में हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और 2015 को आधार वर्ष मानकर सरकार को नये सिरे से आरक्षण के आदेश दे दिये।

उत्तर प्रदेश सरकार ने इससे पहले ही बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट अर्जी भी दाखिल की थी। इसमें कहा गया कि कोर्ट इस याचिका पर कोई भी निर्णय करने से पहले एक बार उनका पक्ष भी जरूर सुने। कैविएट याचिका में प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि जब पंचायत चुनाव को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा तब कोर्ट में सरकार का भी पक्ष सुना जाए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कुछ दिन पहले ही पुरानी आरक्षण सूची पर रोक लगाते हुए 2015 के आधार पर चुनाव कराने को लेकर फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि वर्ष 2015 को आधार मानते हुए सीटों पर आरक्षण लागू किया जाए। इसके पहले राज्य सरकार ने कहा कि वह वर्ष 2015 को आधार मानकर आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव से जुड़ी याचिकाओं को लेकर सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी थीं।


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