लखनऊ । UP Vidhanmandal Monsoon Session: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के गठन के बाद विधानमंडल का दूसरा सत्र आज से शुरू होगा। पांच दिवसीय सत्र 23 तक चलेगा। इस दौरान विपक्षी दल सरकार की जोरदार घेराबंदी करने की तैयारी में भी हैं।

विधान भवन में इस सत्र में योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) कई अध्यादेशों के प्रतिस्थानी विधेयक लाएगी। सरकार विधानसभा के साथ ही विधान परिषद में भी पूर्ण बहुमत में है। इसी कारण विधेयक को पास कराने में सरकार को परेशानी नहीं होगी।

पहले दिन शोक प्रस्ताव के बाद स्थगित हो जाएगी विधान सभा की कार्यवाही

मानसून सत्र के पहले दिन यानी आज विधान सभा सदस्यों के निधन के बाद कार्यवाही स्थगित हो जाएगी। स्पीकर सतीश महाना ने बताया कि गोला गोकर्णनाथ के भाजपा विधायक अरविंद गिरि के निधन के कारण सोमवार को सत्र के पहले दिन प्रस्ताव के बाद विधान सभा की कार्यवाही स्थगित कर दी जाएगी। 20 सितंबर को तीन सदस्यों को उनके जन्मदिन की बधाई दी जाएगी।

जोरदार तैयारी में विपक्ष

विपक्षी दलों ने भी कानून व्यवस्था, लखीमपुर खीरी में दो बालिकाओं से सामूहिक दुष्कर्म के बाद उनकी हत्या, सूखे और बारिश से फसलों को हुए नुकसान, राजधानी के होटल लेवाना सुइट्स में हुए अग्निकांड, बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी की है। इस लिहाज से सत्र के दौरान हंगामा होने के आसार हैं।

महिला सशक्तीकरण की दिशा में रचा जाएगा इतिहास

उत्तर प्रदेश का मानसून सत्र महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी इतिहास रचेगा। विधानमंडल के इतिहास में पहली बार एक दिन दोनों सदनों की कार्यवाही महिला विधायकों के नाम रहेगी। 22 सितंबर को दोनों सदनों की कार्यवाही महिला सदस्यों के लिए आरक्षित रहेगी।

विधान सभा में 47 और विधान परिषद में छह महिला सदस्य हैं। दोनों सदनों की कार्यमंत्रणा समितियों की बैठक में यह कार्यक्रम तय हुआ है। इस दिन को विशेष बनाने के लिए दोनों सदनों में महिला सदस्यों को पीठासीन किया जाए। विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में हुई विधान सभा की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में 19 से 23 सितंबर तक के कार्यक्रमों को मंजूरी दी गई।

बैठक में तय हुआ 22 सितंबर को प्रश्नकाल के बाद सदन में सिर्फ महिला विधायकों को बोलने का मौका दिया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बताया कि उस दिन सदन में सभी विधायकों को उपस्थित रहने के लिए कहा गया है, लेकिन बोलने का अवसर सिर्फ महिला सदस्यों को मिलेगा। प्रत्येक महिला सदस्य को कम से कम तीन मिनट और अधिकतम आठ मिनट का समय दिया जाएगा। महाना ने दावा किया कि आजादी के बाद से पहली बार विधानमंडल में ऐसा नजारा देखने को मिलेगा।